निदानात्मक और उपचारात्मक शिक्षण

निदानात्मक और उपचारात्मक शिक्षण

Child Development And Pedagogy : Diagnostic and Remedial Teaching

Child Development And Pedagogy : जब भी बालक कुत्समायोजित होता है ,वह पढ़ने में पिछड़ने लगता है  या अपनी इच्छा अनुसार परिस्थिति का लाभ नहीं उठा पाता अथवा अस्थिर बुद्धि असंतुलित व्यक्तित्व निर्दिष्ट उद्देश्य घृणा द्वेष स्वार्थपरता के गुण उसमें पाए जाते हैं तो ऐसे बालकों को निदानात्मक या उपचारात्मक शिक्षण की आवश्यकता होती है।


इन समस्याओं के समाधान को खोजने के लिए शिक्षक एवं विद्यालय शिक्षण की दो नवीन विधियों निदानात्मक एवं  उपचारात्मक  का प्रयोग करने का प्रयास करते हैं।

शिक्षक पहले निदानात्मक शिक्षण द्वारा छात्रों की कठिनाइयों का निदान करते हैं उसके बाद उनको अपनी व्यक्तिगत कठिनाइयों से मुक्त करने के लिए उपचारात्मक शिक्षण का प्रयोग करते हैं। दूसरे शब्दों में आप कह सकते हैं कि उपचारात्मक शिक्षण उचित रूप से निदनात्मक शिक्षण के बाद आता है। 

Child Development And Pedagogy : निदानात्मक शिक्षण

डायग्नोसिस का हिंदी रूपांतर है निदान जिसका शाब्दिक अर्थ है मूल कारण अथवा रोग निर्णय। निदानात्मक शिक्षण में शिक्षक छात्र की विषयगत मंदता और पिछड़ेपन या उसकी अधिगम संबंधित त्रुटियों और कमियों का ज्ञान प्राप्त करके उसकी कठिनाइयों का निदान करता है।

निदान का अर्थ है शिक्षक द्वारा छात्रों के अधिगम संबंधित त्रुटियों, कमियों, कठिनाइयों आदि का ज्ञान प्राप्त किया जाना। शिक्षक जिस विधि का प्रयोग करके इस ज्ञान को प्राप्त करता है वह है निदनात्मक शिक्षण।

Child Development And Pedagogy : निदानात्मक शिक्षण के उद्देश्य

निदानात्मक शिक्षण के दो मुख्य उद्देश्य हैं -

  1. छात्र की पाठ्य विषय से संबंधित स्वाभाविक अथवा जन्मजात कठिनाई का ज्ञान प्राप्त करना।
  2. छात्र की पाठ विषय से संबंधित विशिष्ट कठिनाई से अवगत होना।
इन उद्देश्यों का तात्पर्य है कि यदि छात्र की पाठ विषय से संबंधित कठिनाई स्वाभाविक है तो पाठ विषय को उसकी योग्यता के अनुरूप बनाया जाना चाहिए और इसके विपरीत यदि उसकी कोई विशेष कठिनाई है तो उसमें अधिगम संबंधी विभिन्न कार्यों द्वारा अधिगम की प्रभावशाली आदतों का विकास किया जाना चाहिए।

निदानात्मक शिक्षण के  विषय क्षेत्र-


  • वाचन
  • लेखन
  • उच्चारण
  • व्याकरण
  • अंकगणित

निदानात्मक शिक्षण के परिणाम

निदानात्मक शिक्षण के जितने उत्तम परिणाम प्राप्त होते हैं उतने  शिक्षण के किसी अन्य विधि से प्राप्त नहीं होते हैं, अतः यह परिणाम निम्नांकित है -

  • निदानात्मक शिक्षण छात्रों की अध्ययन संबंधी अनुचित आदतों पर अंकुश लगाता है।
  • निदानात्मक शिक्षण छात्रों में विद्यालय कार्य के प्रति उचित दृष्टिकोण का विकास करता है।
  • निदानात्मक शिक्षण छात्रों की विशिष्ट समस्याओं की संख्या को अधिक से अधिक कम करता है।
  • निदानात्मक शिक्षण छात्रों की अध्ययन संबंधी अनुचित प्रवृत्तियों को वैज्ञानिक विधि से उनके समक्ष उपस्थित करता है।
  • निदानात्मक शिक्षण छात्रों को उनकी त्रुटियों का ज्ञान प्रदान करता है और उनको उनसे बचने की चेतावनी देता है।

Child Development And Pedagogy : उपचारात्मक शिक्षण
Remedial Teaching

आधुनिक शिक्षा शास्त्र में उपचारात्मक शब्द औषधी शास्त्र से ग्रहण किया गया है। इस शिक्षण प्रक्रिया में शिक्षक छात्रों को अधिगम संबंधी दोषों से मुक्त करके उनको ज्ञानार्जन की उचित दिशा की ओर मोड़ने का प्रयत्न करते हैं।

हम कह सकते हैं कि उपचारात्मक शिक्षण वास्तव में उत्तम शिक्षण है जो छात्र को अपनी वास्तविक स्थिति का ज्ञान प्रदान करता है और जो प्रेरित क्रियाओं द्वारा उसको अपनी कमजोरियों के क्षेत्रों में अधिक योग्यता की दिशा में अग्रसर करता है।

उपचारात्मक शिक्षण  उस विधि को खोजने का प्रयत्न करता है, जो छात्र को अपनी कुशलता या विचार की त्रुटियों को दूर करने में सफलता प्रदान करें।

उपचारात्मक शिक्षण के उद्देश्य

  • छात्रों की ज्ञान संबंधी त्रुटियों का अंत करना।
  • छात्रों के अधिगम संबंधी दोष दूर करना व भविष्य में उन दोषों से मुक्त रखना।
  • छात्रों की दोषपूर्ण आदतों को समाप्त कर  उनको उत्तम रूप देना।
  • बालकों की अवांछनीय रुचियां,आदेशों, दृष्टिकोण को वांछनीय बनाना।
  • दूसरे शब्दों में उपचारात्मक शिक्षण का सबसे प्रमुख उद्देश्य है कि सब प्रकार की अधिगम संबंधित त्रुटियों को सुधारें के लिए प्रभावशाली विधियों का विकास करना। 

उपचारात्मक शिक्षण प्रदान करने की विधियां

छात्रों को उपचारात्मक शिक्षण प्रदान करने के लिए पांच विधियों का प्रयोग किया जा सकता है -

  1. छात्रों की त्रुटियों को यदा-कदा शुद्ध करना।
  2. प्रत्येक छात्र के अधिगम संबंधी दोषों का व्यक्तिगत रूप से अध्ययन करके उसे उनको दूर करने के उपाय बताना।
  3. छात्रों की व्यक्तिगत  विभिन्नताओं के अनुसार उनको विभिन्न समूहों में विभाजित करके उनके शिक्षण की व्यवस्था करना।
  4. छात्रों को छोटे-छोटे समूहों में विभाजित करके उनको उनकी आवश्यकताओं के अनुसार शिक्षा प्रदान करना।
  5. कक्षा के छात्रों के अधिगम संबंधी दोषों ,कमजोरियों और बुरी आदतों का निदान करके उनको उनसे मुक्त करना।

कुछ त्रुटियों के उपचार की विधियों

यहां पर उदाहरण स्वरूप कुछ त्रुटियों के उपचार की विधियों को अंकित किया जा रहा है -

  • यदि छात्रों में उच्चारण संबंधी दोष है तो शिक्षक उनको शुद्ध उच्चारण बताकर उनसे उनका अभ्यास कराएं।
  • यदि छात्रों की वाचन की गति धीमी है तो उसमें वृद्धि करने के लिए शिक्षक उनको अधिक वाचन करने के लिए प्रोत्साहित करें।
  • यदि छात्रों में वाचन संबंधी दोष है तो शिक्षक वाचन में उनकी वास्तविक योग्यता का पता लगाकर उन्हें वृद्धि करने की चेष्टा करें।
  • यदि छात्रों की शब्दावली कम विस्तृत है तो उसको अधिक विस्तृत करने के लिए शिक्षक उनको अधिक पढ़ने और शब्दकोश में नवीन शब्दों के अर्थों को देखने के लिए प्रोत्साहित करें।

Child Development And Pedagogy : उपचारात्मक शिक्षण के विषय क्षेत्र

उपचारात्मक शिक्षण के विषय क्षेत्र निम्न है - 

  • वाचन
  • लेखन
  • उच्चारण
  • भाषा
  • अंकगणित

उपचारात्मक शिक्षण के परिणाम

उपचारात्मक शिक्षण के परिणाम निम्नांकित हैं -

  • छात्रों में सामान्य समायोजन की क्षमता का विकास करना।
  • छात्र की अपनी विशिष्ट कठिनाइयों पर विजय प्राप्त करना।
  • छात्र की मानसिक एवं संवेगात्मक संघर्षों से मुक्ति होना।
  • छात्र में अपने विचारों को सुनियोजित करने की योग्यता  का विकास होना।
  • छात्र में अधिक स्पष्ट रूप से विचार करने और अपने विचारों को व्यक्त करने की योग्यता  का विकास होना।

उपरोक्त शीर्षक के अंतर्गत हमने निदानात्मक और उपचारात्मक शिक्षण के बारे में  जानकारी ग्रहण की। इसमें हम इस बात का उल्लेख कर चुके हैं कि उपचारात्मक शिक्षण उचित रूप से निदानात्मक शिक्षण के बाद आता है। इसका कारण यह है कि पहले छात्रों के अधिगम संबंधी दोषों, त्रुटियों ,कठिनाइयों आदि का निदान किया जाता है और उसके पश्चात उनके निवारक का उपचार किया जाता है।
निदानात्मक तथा उपचारात्मक शिक्षण में शिक्षक की भूमिका ऐसे चिकित्सक की होती है जो विभिन्न प्रकार के परीक्षणों द्वारा सेवा के कारणों की खोज करता है तथा औषधियों अथवा उपायों द्वारा रोगों की चिकित्सा करता है।

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