राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020
Teacher Eligibility Test : नई शिक्षा नीति 2020 को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। इससे पूर्व 1968 एवं 1986 में शिक्षा नीति लागू की गई थी। 1992 में इस नीति में कुछ संशोधन किए गए थे, पूर्व इसरो प्रमुख के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की एक समिति ने नई शिक्षा नीति का मसौदा तैयार किया है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने बुधवार को मंजूरी दी।
इसके तहत मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है, जीडीपी का 6 फीसद शिक्षा में खर्च करने का लक्ष्य है, जो अभी 4.43 फीसद है। नई शिक्षा नीति का लक्ष्य 2030 तक 3 से 18 आयु वर्ग के प्रत्येक बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है।
- नई शिक्षा नीति में पांचवी क्लास तक मात्र भाषा, स्थानीय क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई का माध्यम रखने की बात कही गई है, इसे क्लास 8 या उससे आगे भी बढ़ाया जा सकता है। विदेशी भाषाओं की पढ़ाई सेकेंडरी लेवल से होगी, हालांकि नई शिक्षा नीति में यह भी कहा गया है कि किसी भी भाषा को थोपा नहीं जाएगा।
- साल 2030 तक स्कूली शिक्षा में 100% (GER) ग्रॉस एनरोलमेंट रेशों के साथ माध्यमिक स्तर तक एजुकेशन फॉर ऑल का लक्ष्य रखा गया है। अभी स्कूल से दूर रह रहे दो करोड़ बच्चों को दोबारा मुख्यधारा में लाया जाएगा, इसके लिए स्कूल के बुनियादी ढांचे का विकास एवं नवीन शिक्षा केंद्रों की स्थापना की जाएगी।
- स्कूल पाठ्यक्रम के 10+2 के ढांचे की जगह 5+3+ 3+4 का नया पाठ्यक्रम संरचना लागू किया जाएगा। जो क्रमशः 3 से 8,8 से 11,11-14 और 14 से 18 वर्ष के बच्चों के लिए है। इसमें अब तक दूर रखे गए 3 से 6 साल के बच्चों को स्कूली पाठ्यक्रम के तहत लाने का प्रावधान है, जिसे विश्व स्तर पर बच्चे के मानसिक विकास के लिए महत्वपूर्ण चरण के रूप में मान्यता दी गई है।
- एनसीईआरटी 8 वर्ष की आयु तक के बच्चों के लिए प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा के लिए एक राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और शैक्षणिक ढांचा विकसित करेगा, स्कूलों में शैक्षणिक धाराओं, पाठ्य गतिविधियों और व्यवसायिक शिक्षा के बीच खास अंतर नहीं किया जाएगा।
- नई प्रणाली में प्रीस्कूल इन के साथ 12 साल की स्कूली शिक्षा और 3 साल की आंगनवाड़ी होगी, इसके तहत छात्रों की शुरुआती स्टेज की पढ़ाई के लिए 3 साल की प्री प्राइमरी और पहली तथा दूसरी क्लास को रखा गया है । अगले स्टेज में तीसरी, चौथी और पांचवी क्लास को रखा गया है, इसके बाद मिडिल स्कूल यानी 6 से 8 कक्षा में सब्जेक्ट का इंट्रोडक्शन कराया जाएगा। सभी छात्र केवल तीसरी, पांचवी और आठवीं कक्षा में परीक्षा देंगे, 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा पहले की तरह जारी रहेगी।
- बच्चों के समग्र विकास करने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए इन्हें नया स्वरूप दिया जाएगा, एक नया राष्ट्रीय आकलन केंद्र “परख” ( समग्र विकास के लिए कार्य प्रदर्शन आकलन, समीक्षा और ज्ञान का विश्लेषण) एक मानक निर्धारक निकाय के रूप में स्थापित किया जाएगा।
- पढ़ने लिखने और जोड़ घटाव अर्थात संख्यात्मक ज्ञान की बुनियादी योग्यता पर जोर दिया जाएगा, बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान की प्राप्ति को सही ढंग से सीखने के लिए अत्यंत जरूरी एवं पहली आवश्यकता मानते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान पर एक राष्ट्रीय मिशन की स्थापना किया जाने पर विशेष जोर दिया गया है।
- सामाजिक और आर्थिक नजरिए से वंचित समूह (SEDG) की शिक्षा पर विशेष जोर दिया जाएगा, शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय प्रोफेशनल मानक राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा वर्ष 2022 तक विकसित किया जाएगा, जिसके लिए एनसीईआरटी, एससीईआरटी, शिक्षकों और सभी स्तरों एवं क्षेत्रों के विशेषज्ञ संगठनों के साथ परामर्श भी किया जाएगा।
- छठी क्लास से वोकेशनल कोर्स शुरू किए जाएंगे, इसके हेतु इच्छुक छात्रों को छठी क्लास के बाद से ही इंटर्नशिप कराई जाएगी, इसके अलावा म्यूजिक एवं आर्ट्स को बढ़ावा दिया जाएगा और इन्हें पाठ्यक्रम में लागू किया जाएगा।
- उच्च शिक्षा के लिए एक सिंगल रेगुलेटर रहेगा, ला और मेडिकल शिक्षा को छोड़कर समस्त उच्च शिक्षा के लिए अति महत्वपूर्ण व्यापक निकाय के रूप में भारत में उच्च शिक्षा आयोग का गठन किया जाएगा ।
- उच्च शिक्षा में 2035 तक 50 फीसद ग्रास एनरोलमेंट रेशों पहुंचाने का लक्ष्य है। फिलहाल 2018 के आंकड़ों के अनुसार यह 26.3% है, इसके अलावा उच्च शिक्षा में 3.5 करोड़ नई सीटें जोड़ी जाएंगी।
- पहली बार मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम लागू किया गया है, आप इसको इस तरह से समझ सकते हैं कि, अगर 4 साल इंजीनियरिंग पढ़ने या 6 सेमेस्टर पढ़ने के बाद किसी कारणवश आगे नहीं पढ़ पाते हैं तो आपके पास कोई उपाय नहीं होता था, लेकिन मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम में 1 साल के बाद सर्टिफिकेट, 2 साल के बाद डिप्लोमा और 3 से 4 साल के बाद डिग्री मिल जाएगी, इससे उन छात्रों को बहुत फायदा होगा जिनकी पढ़ाई बीच में किसी वजह से छूट जाती है।
- नई शिक्षा नीति में छात्रों को यह आजादी भी होगी कि अगर वह कोई कोर्स बीच में छोड़कर दूसरे कोर्स में दाखिला लेना चाहे तो वह पहले कोर्स से एक खास निश्चित समय तक ब्रेक ले सकते हैं और दूसरा कोर्स ज्वाइन कर सकते हैं।
- उच्च शिक्षा में कई बदलाव किए गए हैं, जो छात्र रिसर्च करना चाहते हैं उनके लिए 4 साल का डिग्री प्रोग्राम होगा। और जो लोग नौकरी में जाना चाहते हैं वह 3 साल का ही डिग्री प्रोग्राम करेंगे। लेकिन जो रिसर्च में जाना चाहते हैं वह 1 साल के m.a. के साथ 4 साल के डिग्री प्रोग्राम के बाद सीधे पीएचडी कर सकते हैं, उन्हें एमफिल की जरूरत नहीं होगी।
- ई- पाठ्यक्रम क्षेत्रीय भाषाओं में विकसित किए जाएंगे, वर्चुअल लैब विकसित की जा रही है और एक राष्ट्रीय शैक्षिक टेक्नोलॉजी फोरम (NETF) बनाया जा रहा है।
- शोध करने के लिए और पूरी उच्च शिक्षा में एक मजबूत अनुसंधान संस्कृति तथा अनुसंधान क्षमता को बढ़ावा देने के लिए एक शीर्ष निकाय के रूप में नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की जाएगी। NRF का मुख्य उद्देश्य विश्वविद्यालयों के माध्यम से शोध की संस्कृति को सक्षम बनाना होगा। नेशनल रिसर्च फाउंडेशन स्वतंत्र रूप से सरकार द्वारा, एक बोर्ड ऑफ गवर्नर्स द्वारा शासित होगा।
- उच्च शिक्षा संस्थानों को शुल्क चार्ज करने के मामले में और पारदर्शिता लानी होगी।
- SC,ST,OBC और अन्य विशिष्ट कैटेगरी से जुड़े हुए छात्रों की योग्यता को प्रोत्साहित करने का प्रयास किया जाएगा।
- छात्रवृत्ति प्राप्त करने वाले छात्रों की प्रगति को समर्थन प्रदान करना, उसे बढ़ावा देना और उनकी प्रगति को ट्रैक करने के लिए राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल का विस्तार किया जाएगा।
- निजी उच्च शिक्षण संस्थानों को अपने यहां छात्रों को बड़ी संख्या में मुफ्त शिक्षा और छात्रवृत्ति की पेशकश करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
- महामारी और वैश्विक महामारी में वृद्धि होने के परिणाम स्वरूप ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सिफारिशों के एक व्यापक सेट को कवर किया गया है, जिससे जब कभी और जहां भी पारंपरिक और व्यक्तिगत शिक्षा प्राप्त करने का साधन उपलब्ध होना संभव नहीं है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के वैकल्पिक साधनों की तैयारियों को सुनिश्चित करने के लिए, स्कूल और उच्च शिक्षा दोनों को ई शिक्षा की जरूरतों को पूरा करने के लिए एमएचआरडी में डिजिटल अवसंरचना, डिजिटल कंटेंट और क्षमता निर्माण के उद्देश्य से एक समर्पित इकाई बनाई जाएगी।
- सभी भारतीय भाषाओं के लिए संरक्षण, विकास और उन्हें और जीवंत बनाने के लिए नई शिक्षा नीति में पाली, सारसी और प्राकृत भाषाओं के लिए एक इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसलेशन एंड इंटरप्रिटेशन राष्ट्रीय संस्थान की स्थापना करने, उच्च शिक्षण संस्थानों में संस्कृत और सभी भाषा विभागों को मजबूत करने और ज्यादा से ज्यादा उच्च शिक्षण संस्थानों के कार्यक्रमों में, शिक्षा के माध्यम के रूप में मातृभाषा और स्थानीय भाषा का उपयोग करने की सिफारिश की गई है।