प्रतिभाशाली और पिछड़ा बालक

प्रतिभाशाली और पिछड़ा बालक

Talented and Backward Boy

Child Development And Pedagogy : विशिष्ट बालक

Child Development And Pedagogy : विशिष्ट बालक से तात्पर्य तीव्र बुद्धि या मंदबुद्धि बालकों से है विशिष्ट बालकों को निम्नलिखित प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है।
  • प्रतिभाशाली बालक।(Talented Child)
  • पिछड़े बालक।(Backward Children)
  • मंदबुद्धि बालक।(Stupid Child)
  • समस्यात्मक बालक।(Problem Child)
  • अपराधी बालक।(Criminal Child)
  • विकलांग बालक।(Handicapped Child)
  • प्रतिभाशाली बालक(Gifted Boy)

इनकी बुद्धि लब्धि 120 से ऊपर तथा कभी-कभी 180 या 190 तक भी हो सकती है यह खेल प्रिय मित्र व तो धैर्य शाली  संवेगात्मक स्थिरता नैतिकता व अनुशासित होते हैं। यह शारीरिक गुणों में श्रेष्ठ अच्छी सामाजिक आर्थिक स्थिति अधिक शब्द भंडार कठिन विषयों में  ज्ञानी मानसिक क्रियाओं में  तीव्रता होती है तथा सामाजिकता का गुण पाया जाता है। बुद्धि परीक्षाओं में उच्च बुद्धि लब्धि 130 से 170 तक होती है। इनको सामान्य बालकों के साथ ही शिक्षा दी जानी चाहिए विशेषज्ञ सुविधाओं तथा पाठ्य  सहगामी क्रियाओं का आयोजन किया जाना चाहिए।

Child Development And Pedagogy : पिछड़ा बालक
Backward Children

Child Development And Pedagogy : जो बालक का औसत कार्य नहीं कर पाता उसे पिछड़ा बालक कहते हैं। बुद्धि लब्धि 85,90 से 110 तक बुद्धि लब्धि दी जाती है। इनमें अमूर्त चिंतन नहीं पाया जाता है इसमें दो कमियों से ग्रसित बालक रखे जाते हैं।
  • शारीरिक कमियां ।
  • मंदितमना बालक।
  • अन्य प्रकार निम्न है
  • संवेगात्मक पिछड़ापन।
  • शिक्षा का अभाव।
  • वातावरण व परिस्थितियों के कारण।

पिछड़े बालकों में सीखने की निराशा समाज विरोधी कार्यों की प्रवृत्ति व्यवहारिकता का अभाव कम शैक्षिक उपलब्धि पाठ्यक्रमों से लाभ न उठा पाना शिक्षण विधियों के ग्रहण में अक्षमता अस्वस्थता समायोजन का  अभाव  निम्न बुद्धि लब्धि आदि विशेषताएं पाई जाती हैं।

Child Development And Pedagogy : पिछड़े बालकों की शिक्षा

  • विशिष्ट विद्यालयों की स्थापना अधिकतम क्रियाएं  स्वतंत्रता नियंत्रित।
  • विशिष्ट कक्षाओं की स्थापना 20 से अधिक छात्र ना हो व्यक्तिगत रूप से शिक्षा दी जानी चाहिए ।
  • अच्छे शिक्षकों की नियुक्ति साहित्यिक रुचि व व्यवहारिकता हो।
  • छोटे समूहों में शिक्षा दी जानी चाहिए।
  • विशेष पाठ्यक्रम का निर्माण किया जाना चाहिए।
  • अध्ययन के विषय अमूर्त चिंतन की जगह मूर्त अध्यापन हो।
  • हस्तशिल्प की शिक्षा दी जानी चाहिए।
  • सांस्कृतिक विषयों की शिक्षा दी जानी चाहिए विशेष व सरल रोचक शिक्षण विधियों का प्रयोग किया जाना चाहिए।
  • मौखिक शिक्षण विधियों का कम प्रयोग करना चाहिए।

Child Development And Pedagogy : मंदबुद्धि बालक
Stupid Child

Child Development And Pedagogy : मंदबुद्धि बालक वे होते हैं जिनकी शारीरिक आयु बढ़ती है परंतु बौद्धिक विकास नहीं होता इनमें अनुकूल व्यवहार की कमी पाई जाती है इनकी बुद्धि लब्धि 70 से कम होती है।

मंदता के अस्तर व बुद्धि लब्धि अंक

  • जड़ बुद्धि 25 से कम।
  • मुड़ बुद्धि 25 से 49 के बीच।
  • मूर्ख बुद्धि 50 से 70 के बीच।
  • मंद बुद्धि 85से कम।

मंदबुद्धि बालकों के प्रकार  मंदबुद्धि बालकों के 4 वर्ग हैं जो निम्न प्रकार हैं -
  1. मंद गति से सीखने वाला बालक।
  2. शिक्षा पाने योग्य मंदितमना बालक।
  3. प्रशिक्षण योग्यता मंदितमना बालक ।
  4. पूर्णतया मंद बालक।

मंदबुद्धि बालक की शिक्षा

  1. अपनी देखभाल का प्रशिक्षण।
  2. सामाजिक प्रशिक्षण।
  3. आर्थिक प्रशिक्षण।
  4. पाठ्यक्रम में निम्न बातें शामिल होनी चाहिए।

  • शारीरिक व मानसिक शिक्षा उचित आदतों का मूल्यांकन की शिक्षा सुरक्षा हुआ आचरण के शिक्षा सुनने निरीक्षण बोलने लिखने की शिक्षा। धान समय वस्तुओं का उचित प्रबंध करना।
  • छात्र संख्या कक्षा में 12 से 15 हो। विशिष्ट कक्षाओं का आयोजन किया जाना चाहिए।

Child Development And Pedagogy : समस्यात्मक बालक
Problem Child

Child Development And Pedagogy : समस्यात्मक बालक हुए हैं जिनका व्यवहार या व्यक्तित्व किसी बात में गंभीर रूप से असाधारण होता है।समस्यात्मक बालकों के प्रकार - 
  1. अति कुशाग्र बुद्धि वाले बालक।
  2. अकाल बालक।
  3. पिछड़े बालक।
  4. अपराधी बालक।
  5. अंगूठा चूसने वाले बालक।
  6. मुंह से नाखून काटने वाले बालक।
  7. बिस्तर गिला करने वाले बालक।
  8. चोरी करने वाले बालक।
  9. क्रोधी स्वभाव वाले बालक।
  10. तुतलाने या हकलाने वाले बालक।

समस्यात्मक बालकों की विशेषताएं

समस्यात्मक बालक नियम तोड़ना झूठ बोलना अनैतिकता वर्ग से बाहर मित्रता रुचि अनुसार कार्य कक्षा पलायन व चोरी करना समस्यात्मक बालकों की विशेषताएं हैं।

समस्यात्मक बालकों की शिक्षा

  • माता-पिता का सहानुभूति पूर्ण व्यवहार होना चाहिए।
  • मूल प्रवृत्तियों का विकास करना चाहिए।
  • मनोवैज्ञानिक चिकित्सा का प्रबंध करना चाहिए।
  • शिक्षण विधि मनोरंजक होनी चाहिए।
  • पाठ्यक्रम संतुलित होना चाहिए।
  • शैक्षिक व्यवसायिक व्यक्ति का निर्देशन प्रदान किया जाना चाहिए।

Child Development And Pedagogy : ऊपर बताई गई समस्त परिभाषाएं प्रकार वर्ग यह सभी जो है आपके विशिष्ट बालक के अंतर्गत आते हैं। इन सभी बिंदुओं का अध्ययन करके आप जो है  विशिष्ट बालकों के बारे में आसानी से जान सकते हैं और अपने प्रश्नों का जवाब दे सकते हैं।

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