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शिक्षण गणित से संबंधित महत्वपूर्ण अवधारणाओं के आधार पर बहुविकल्पीय प्रश्न

गणित शिक्षाशास्त्र

शिक्षण गणित से संबंधित महत्वपूर्ण अवधारणाओं के आधार पर बहुविकल्पीय प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न
शिक्षण गणित से संबंधित महत्वपूर्ण अवधारणाओं के आधार पर बहुविकल्पीय प्रश्न

(1) राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 के अनुसार, जब स्कूलों में गणित फलता-फूलता है - 

(ए) गणित बच्चों के जीवन के अनुभव का एक हिस्सा होना चाहिए। (उत्तर)

(बी) बच्चों को दैनिक अभ्यास के माध्यम से सभी अवधारणाओं को सीखने के लिए मजबूर किया जाना चाहिए।

(c) बच्चे सुनते हैं और शिक्षक सक्रिय रूप से बताते हैं।

(d) बच्चे एक साथ सूत्रों का अभ्यास करते हैं और परीक्षा में प्रदर्शन करने के लिए दबाव डाला जाता है।


(२) शिक्षकों को रचनात्मक कक्षा में निम्नलिखित में से कौन सा नहीं करना चाहिए? 

(ए) छात्रों को प्रश्नों के समाधान खोजने के लिए अपनी नीतियों को विकसित करने की अनुमति दें।

(b) छात्रों को सूत्र रखने के लिए कहना। (उत्तर)

(ग) ऐसी परिस्थितियाँ बनाना जिनमें छात्र समाधान खोजने के इच्छुक हों।

(d) छात्रों को अपने स्वयं के गणितीय अर्थ बनाने की अनुमति दें।


(३) किसी छात्र द्वारा निम्नलिखित में से किसका मूल्यांकन किया जाना चाहिए?

(ए) गणितीय संचार। (उत्तर)

(ख) समझने की क्षमता।

(c) शिक्षक की सुनने की क्षमता।

(d) अवधारणाएँ न समझने पर भी प्रश्न न पूछने की प्रवृत्ति।


(४) गणित सार का लेखक है - 

(क) आर्यभट्ट।

(b) भास्कराचार्य 

(c) महावीरचार्य (उत्तर)

(d) ब्रह्मगुप्त

नोट - मैसूर के महावीरचार्य ने गणित सार लिखा जिसमें उन्होंने सबसे छोटे सामान्य कारक को निकालने की लोकप्रिय विधि का वर्णन किया है। उन्होंने लंबे वृत्त के अंदर बने चतुर्भुज के क्षेत्र को खोजने के सूत्र को भी व्युत्पन्न किया है।

(५) किसका कथन है कि शिक्षक शिक्षण साधनों के माध्यम से शिक्षण को स्थायी और रोचक बनाते हैं।

(भीड़।

(b) नन।

(c) माकन और रॉबर्ट। (उत्तर)

(डी) बंशीधर।

 

(६) गणित पढ़ाने की स्वयंसिद्ध पद्धति में कौन सी विधि शामिल नहीं है?

(ए) यूक्लिड विधि।

(b) गैर-यूक्लिड विधि।

(c) आनुवंशिक विधि। (उत्तर)

(डी) औपचारिक स्वयंसिद्ध विधि।


(() निम्न में से कौन सी पद्धति लुक, सुनो और समझने के सिद्धांत पर आधारित है?

(ए) प्रयोगशाला विधि।

(b) प्रदर्शन विधि। (उत्तर)

(सी) व्याख्यान विधि।

(d) अनुसंधान विधि।


(() गणित की प्रकृति है - 

(क) सजावटी।

(b) तार्किक। (उत्तर)

(ग) कठोरता।

(d) सामान्य के लिए नहीं।


(९) एक अच्छा गणितज्ञ होने के लिए ----------------------- आवश्यक है।

(a) प्रश्नों के उत्तर देने की तकनीक में प्रवीणता।

(b) अधिकांश सूत्र याद करना।

(c) प्रश्नों को बहुत जल्दी हल करना।

(d) सभी अवधारणाओं को समझना, लागू करना और संबंधित। (उत्तर)


(१०) शिक्षक जिस क्षेत्र की अवधारणा शुरू कर सकता है --------------- से।

(ए) विभिन्न आकारों के आकार के क्षेत्र को खोजने के लिए सूत्रों को स्पष्ट करना।

(b) हथेली, पत्तियों, नोटबुक आदि से विभिन्न वस्तुओं की मदद से किसी आकृति के क्षेत्र की तुलना करने के लिए (उत्तर)

(c) आयत की लंबाई और चौड़ाई का पता लगाएं और क्षेत्र के लिए सूत्र का उपयोग करके क्षेत्र का पता लगाएं आयत का।

(d) इकाई वर्ग गणना की सहायता से आंकड़ों का क्षेत्रफल ज्ञात करना।

 

(११) निम्नलिखित में से कौन सा कारण गणित से डरना और असफल होना नहीं माना जा सकता है?

(ए) लिंग अंतर। (उत्तर)

(बी) कक्षा के अनुभव।

(c) प्रतीकात्मक संकेत।

(d) गणित की संरचना।


(१२) निम्नलिखित में से कौन सा शिक्षण अधिगम उपकरण २ दशमलव संख्याओं के योग की अवधारणा को पढ़ाने के लिए सबसे उपयुक्त है?

(ए) गुंटारा।

(b) जियो बोर्ड।

(c) मोती और माला। 

(d) ग्राफ पेपर। (उत्तर)


(13) प्राथमिक स्तर के शिक्षार्थियों को माप के संदर्भ को पढ़ाने के लिए निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है - 

(क) गैर-मानक माप का उपयोग न करें।

(b) गैर-मानक माप का उपयोग प्रामाणिक माप के बाद किया जाना चाहिए।

(c) गैर-मानक माप के बाद प्रामाणिक माप का उपयोग किया जाना चाहिए। (उत्तर)

(डी) केवल गैर-मानक माप का उपयोग किया जाना चाहिए।


(१४) निम्नलिखित में से कौन सी मूल्यांकन योजनाओं का उपयोग गणित को वास्तविक जीवन से संबंधित करने और विभेदक विषयों को विकसित करने के लिए किया जा सकता है?

(ए) फील्ड ट्रिप, सर्वे, प्रोजेक्ट। (उत्तर)

(बी) फील्ड विजिट, मौखिक परीक्षा, ड्रिल वर्कशीट।

(c) सर्वेक्षण, परियोजना, चेकलिस्ट।

(d) क्षेत्र भ्रमण, मौखिक परीक्षा, जाँच सूची।


(१५) गणित की कक्षा में दृष्टिहीन छात्रों के लिए निम्नलिखित में से किसका उपयोग शिक्षा के साधन के रूप में किया जा सकता है?

(ए) कंप्यूटर, नंबर चार्ट, जियो बोर्ड।

(बी) टेलर की गिनती, अंशों की किट, संख्या चार्ट।

(c) नंबर चार्ट, कंप्यूटर, जियो बोर्ड।

(d) टेलर की गणना, कंप्यूटर, जियो बोर्ड। (उत्तर) 


गणित शिक्षण

 गणित शिक्षण

Math Pedagogy

Teacher Eligibility Test : गणित की अपनी भाषा है। भाषा का तात्पर्य -  गणितीय पद, गणितीय प्रत्यय, सूत्र, सिद्धांत तथा संकेतों से है जो कि विशेष प्रकार के होते हैं तथा गणित की भाषा को जन्म देते हैं। गणित एक बहुत ही महत्वपूर्ण एवं आधारभूत विषय है। किसी के द्वारा गणित को  गणना का विज्ञान कहा गया है, तो किसी के द्वारा संख्याओं तथा स्थान का विज्ञान कहा गया है वहीं दूसरी तरफ कोई माप तौल, मात्रा और दिशा, आकार प्रकार के विज्ञान के रूप में परिभाषित करता है।

वास्तव में गणित का शाब्दिक अर्थ होता है- “ वह शास्त्र जिसमें  गणना की प्रधानता हो”। इस आधार पर हम कहते हैं कि गणित अंक, अक्षर, चिन्ह आदि संक्षिप्त संकेतों का वह विज्ञान है जिसकी सहायता से परिमाण, दिशा तथा स्थान का बोध होता है।

गणित शिक्षण की विशेषताएं

गणित स्थान तथा संख्याओं का विज्ञान है।
गणित गणना का विज्ञान है।
गणित माप तौल, मात्रा तथा दिशा का विज्ञान है।
गणित विज्ञान की क्रमबद्ध, संगठित तथा यथार्थ शाखा है।
इसमें मात्रात्मक तथ्यों और संबंधों का अध्ययन किया जाता है।
यह तार्किक विचारों का विज्ञान है।
गणित के अध्ययन से मस्तिष्क में तर्क करने की आदत स्थापित होती है।
यह  आग्नत्मक तथा प्रायोगिक विज्ञान है।
गणित व विज्ञान है जिसमें आवश्यक निष्कर्ष निकाले जाते हैं।

गणित शिक्षण की प्रकृति

गणित के ज्ञान का आधार हमारी ज्ञानेंद्रियां होती हैं।
गणित में अमूर्त  प्रत्यय को मूर्त रूप में परिवर्तित किया जाता है और साथ ही उनकी व्याख्या की जाती है।
गणित के नियम, सिद्धांत सूत्र सभी स्थानों पर एक समान होते हैं जिससे उनकी सत्यता की जांच किसी भी समय तथा स्थान पर की जा सके।
इसमें संपूर्ण वातावरण में पाई जाने वाली वस्तुओं के परस्पर संबंध तथा संख्यात्मक निष्कर्ष निकाले जाते हैं।
इसके अध्ययन से प्रत्येक ज्ञान तथा सूचना स्पष्ट होती है तथा उसका एक संभावित उत्तर निश्चित होता है।
इसके विभिन्न नियमों सिद्धांतों सूत्रों आदि में संदेह की संभावना नहीं रहती है।
गणित की भाषा सूपरिभाषित, उपयुक्त तथा स्पष्ट होती है।

गणित शिक्षण के उद्देश्य या लाभ

गणित के अध्ययन से बालकों में आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता का विकास होता है।
गणित के अध्ययन  से बालकों में आगमन, निगमन तथा सामान्य करण की योग्यता विकसित होती है।
गणित के ज्ञान से बालकों में  प्रशंसात्मक दृष्टिकोण तथा भावना का विकास होता है।
इससे बालकों में स्वस्थ्य तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित होता है।
इसमें  प्रदतओं अथवा सूचनाओं को आधार मानकर संख्यात्मक निष्कर्ष निकाले जाते हैं।
गणित के ज्ञान का उपयोग विज्ञान की विभिन्न शाखाओं में जैसे भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान तथा अन्य विषयों के अध्ययन में किया जाता है।
आधुनिक सभ्यता एप्लाइड गणित के आधार पर ही रखी हुई है।
गणित पाठ्यक्रम की आवश्यकता एवं महत्व

पाठ्यक्रम शब्द शिक्षा के क्षेत्र में पाठ्यक्रम की तुलना उस दौड़ के मैदान से की जाती है, जिसके पार दौड़ने वाला विद्यार्थी अपने गंतव्य स्थान तक पहुंचता है। पाठ्यक्रम एक व्यापक शब्द है जिसमें पाठ्य विवरण तथा विद्यालय वातावरण से संबंधित प्रभावी एवं उपयोगी संपूर्ण विषय वस्तु का समावेश होता है।

केजी सैयद द्वारा गणित के पाठ्यक्रम की आवश्यकता एवं महत्व पर प्रकाश डालते हुए स्पष्ट रूप से कहा गया है कि - “ गणित का पाठ्यक्रम एक सहायक सामग्री है जिसके जरिए बालक अपने आप को उस वातावरण के अनुकूल बनाता है, जिसमें वह अपनी दैनिक क्रियाएं करता है। जिसमें भावी योजनाएं और क्रियाशीलता  निहित है।”

गणित पाठ्यक्रम के महत्व व आवश्यकता को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है

गणित का पाठ्यक्रम शिक्षा के उद्देश्य की प्राप्ति में सहायक है।
गणित का पाठ्यक्रम शिक्षा की प्रक्रिया व्यवस्थित करने में सहायक है।
इसमें समय एवं परिश्रम का सदुपयोग करने में सहायता मिलती है।
मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं की पूर्ति में सहायक है।
पाठ्य पुस्तकों के लेखन में मार्गदर्शक का कार्य करता है।
छात्रों का मूल्यांकन करने के लिए आवश्यक है।
शिक्षण विधियों के चयन में सहायक है।
किसी विषय को पाठ्यक्रम में विशेष महत्व देने के लिए उस विषय को सामान्यतः तीन निम्न  दृष्टिकोणों से देखा जाता है 

उस विषय की बच्चों के दैनिक जीवन में उपादेयता।
अमुक विषय के बच्चों को मानसिक अनुशासन में सहायता मिलती है अथवा नहीं।
अमुक विषय का सामाजिक एवं सांस्कृतिक महत्व क्या है।

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