गणित शिक्षण
Math Pedagogy
Teacher Eligibility Test : गणित की अपनी भाषा है। भाषा का तात्पर्य - गणितीय पद, गणितीय प्रत्यय, सूत्र, सिद्धांत तथा संकेतों से है जो कि विशेष प्रकार के होते हैं तथा गणित की भाषा को जन्म देते हैं। गणित एक बहुत ही महत्वपूर्ण एवं आधारभूत विषय है। किसी के द्वारा गणित को गणना का विज्ञान कहा गया है, तो किसी के द्वारा संख्याओं तथा स्थान का विज्ञान कहा गया है वहीं दूसरी तरफ कोई माप तौल, मात्रा और दिशा, आकार प्रकार के विज्ञान के रूप में परिभाषित करता है।
वास्तव में गणित का शाब्दिक अर्थ होता है- “ वह शास्त्र जिसमें गणना की प्रधानता हो”। इस आधार पर हम कहते हैं कि गणित अंक, अक्षर, चिन्ह आदि संक्षिप्त संकेतों का वह विज्ञान है जिसकी सहायता से परिमाण, दिशा तथा स्थान का बोध होता है।
गणित शिक्षण की विशेषताएं
गणित गणना का विज्ञान है।
गणित माप तौल, मात्रा तथा दिशा का विज्ञान है।
गणित विज्ञान की क्रमबद्ध, संगठित तथा यथार्थ शाखा है।
इसमें मात्रात्मक तथ्यों और संबंधों का अध्ययन किया जाता है।
यह तार्किक विचारों का विज्ञान है।
गणित के अध्ययन से मस्तिष्क में तर्क करने की आदत स्थापित होती है।
यह आग्नत्मक तथा प्रायोगिक विज्ञान है।
गणित व विज्ञान है जिसमें आवश्यक निष्कर्ष निकाले जाते हैं।
गणित शिक्षण की प्रकृति
गणित में अमूर्त प्रत्यय को मूर्त रूप में परिवर्तित किया जाता है और साथ ही उनकी व्याख्या की जाती है।
गणित के नियम, सिद्धांत सूत्र सभी स्थानों पर एक समान होते हैं जिससे उनकी सत्यता की जांच किसी भी समय तथा स्थान पर की जा सके।
इसमें संपूर्ण वातावरण में पाई जाने वाली वस्तुओं के परस्पर संबंध तथा संख्यात्मक निष्कर्ष निकाले जाते हैं।
इसके अध्ययन से प्रत्येक ज्ञान तथा सूचना स्पष्ट होती है तथा उसका एक संभावित उत्तर निश्चित होता है।
इसके विभिन्न नियमों सिद्धांतों सूत्रों आदि में संदेह की संभावना नहीं रहती है।
गणित की भाषा सूपरिभाषित, उपयुक्त तथा स्पष्ट होती है।
गणित शिक्षण के उद्देश्य या लाभ
गणित के अध्ययन से बालकों में आगमन, निगमन तथा सामान्य करण की योग्यता विकसित होती है।
गणित के ज्ञान से बालकों में प्रशंसात्मक दृष्टिकोण तथा भावना का विकास होता है।
इससे बालकों में स्वस्थ्य तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित होता है।
इसमें प्रदतओं अथवा सूचनाओं को आधार मानकर संख्यात्मक निष्कर्ष निकाले जाते हैं।
गणित के ज्ञान का उपयोग विज्ञान की विभिन्न शाखाओं में जैसे भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान तथा अन्य विषयों के अध्ययन में किया जाता है।
आधुनिक सभ्यता एप्लाइड गणित के आधार पर ही रखी हुई है।
गणित पाठ्यक्रम की आवश्यकता एवं महत्व
पाठ्यक्रम शब्द शिक्षा के क्षेत्र में पाठ्यक्रम की तुलना उस दौड़ के मैदान से की जाती है, जिसके पार दौड़ने वाला विद्यार्थी अपने गंतव्य स्थान तक पहुंचता है। पाठ्यक्रम एक व्यापक शब्द है जिसमें पाठ्य विवरण तथा विद्यालय वातावरण से संबंधित प्रभावी एवं उपयोगी संपूर्ण विषय वस्तु का समावेश होता है।
केजी सैयद द्वारा गणित के पाठ्यक्रम की आवश्यकता एवं महत्व पर प्रकाश डालते हुए स्पष्ट रूप से कहा गया है कि - “ गणित का पाठ्यक्रम एक सहायक सामग्री है जिसके जरिए बालक अपने आप को उस वातावरण के अनुकूल बनाता है, जिसमें वह अपनी दैनिक क्रियाएं करता है। जिसमें भावी योजनाएं और क्रियाशीलता निहित है।”
गणित पाठ्यक्रम के महत्व व आवश्यकता को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है
गणित का पाठ्यक्रम शिक्षा की प्रक्रिया व्यवस्थित करने में सहायक है।
इसमें समय एवं परिश्रम का सदुपयोग करने में सहायता मिलती है।
मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं की पूर्ति में सहायक है।
पाठ्य पुस्तकों के लेखन में मार्गदर्शक का कार्य करता है।
छात्रों का मूल्यांकन करने के लिए आवश्यक है।
शिक्षण विधियों के चयन में सहायक है।
किसी विषय को पाठ्यक्रम में विशेष महत्व देने के लिए उस विषय को सामान्यतः तीन निम्न दृष्टिकोणों से देखा जाता है
अमुक विषय के बच्चों को मानसिक अनुशासन में सहायता मिलती है अथवा नहीं।
अमुक विषय का सामाजिक एवं सांस्कृतिक महत्व क्या है।
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