शैक्षिक विकास में विभिन्न एजेंसियों की भूमिका

शैक्षिक विकास में विभिन्न एजेंसियों की भूमिका

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (N.C.E.R.T.)


राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद (नेशनल काउन्सिल ऑफ एड्युकेशनल रिसर्च एण्ड ट्रेनिंग,NCERT -National Council of Educational Research and Training) भारत सरकार द्वारा स्थापित संस्थान है जो विद्यालयी शिक्षा से जुड़े मामलों पर केन्द्रीय सरकार एवं प्रान्तीय सरकारों को सलाह देने के उद्देश्य से स्थापित की गयी है। 

यह परिषद भारत में स्कूली शिक्षा संबंधी सभी नीतियों पर कार्य करती है।इसका मुख्य कार्य शिक्षा एवं समाज कल्याण मंत्रालय को विशेषकर स्कूली शिक्षा के संबंध में सलाह देने और नीति-निर्धारण में मदद करने का है। इसके अतिरिक्त एनसीईआरटी के अन्य कार्य हैं शिक्षा के समूचे क्षेत्र में शोधकार्य को सहयोग और प्रोत्साहित करना, उच्च शिक्षा में प्रशिक्षण को सहयोग देना, स्कूलों में शिक्षा पद्धति में लाए गए बदलाव और विकास को लागू करना, राज्य सरकारों और अन्य शैक्षणिक संगठनों को स्कूली शिक्षा संबंधी सलाह आदि देना और अपने कार्य हेतु प्रकाशन सामग्री और अन्य वस्तुओं के प्रचार की दिशा में कार्य करना। इसी तरह भारत में शिक्षा से जुड़े लगभग हरेक कार्य में एनसीईआरटी की उपस्थिति किसी न किसी रूप में रहती है।

अन्य शैक्षणिक संस्थान एनसीईआरटी के सहयोगी के तौर पर कार्यरत हैं, इनमें प्रमुख हैं
राष्ट्रीय शिक्षा संस्थान, नई दिल्ली
केन्द्रीय शिक्षा प्रौद्योगिकी संस्थान, नई दिल्ली
पं.सुंदरलाल शर्मा केन्द्रीय व्यावसायिक शिक्षा संस्थान, भोपाल
क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान, अजमेर
क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान, भोपाल
क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान, भुवनेश्वर
क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान, मैसूर
उत्तर-पूर्वी क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान, शिलांग
इनके अलावा महिला शिक्षा विभाग (दि डिपार्टमेंट ऑफ वुमेन स्टडीज), जो महिला शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत है। इस दिशा में यह संस्था नीतिगत बदलाव और सलाह का आदान-प्रदान करती है। यह विभाग भी केंद्र और राज्यों के साथ मिलकर महिला शिक्षा के क्षेत्र में गत दो दशक से कार्य कर रही है।
सिद्धांत -विद्ययाऽमृतम्श्नुते
मुख्यालय - नई दिल्ली
आधिकारिक भाषा - हिन्दी, English, उर्दू

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के उद्देश्य एवं कार्यों को निम्नांकित रूप से समझा जा सकता है
स्कूली शिक्षा के विभिन्न स्तरों के लिए पाठ्य पुस्तकों का निर्माण करना।
स्कूली शिक्षा के विभिन्न स्तरों के उद्देश्य निश्चित करना।
स्कूलों में विज्ञान की शिक्षा हेतु विज्ञान किट तैयार करना।
प्रतिभा खोज परीक्षा और जवाहर नवोदय विद्यालय प्रवेश परीक्षा का संपादन करना।
प्रौढ़ शिक्षा के क्षेत्र में तकनीकी सहयोग प्रदान करना।
राष्ट्रीय पर्यावरण शिक्षा कार्यक्रम में तकनीकी सहयोग प्रदान करना।

राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (N.C.T.E.)


1973 के पूर्व राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद की भूमिका अध्यापक शिक्षा से संबंधित सभी विषयो पर केंद्रीय और राज्य सरकारो के लिए एक सलाहकार निकाय के रूप में थी। परिषद का सचिवालय राष्ट्रीय शेक्षिक अनुशंधान तथा प्रशिक्षण परिषद, (एनसीईआरटी) के अध्यापक शिक्षा विभाग में स्थित था।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NPE) 1986 और उसके अधीन कार्य योजना में अध्यापक शिक्षा प्रणाली को सर्वथा दुरुस्त करने के लिए पहले उपाय के रूप में संविधिक दर्जे और अपेक्षित संसाधनों से युक्त राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा प्ररिषद की कल्पना की गई थी। एक साविधिक निकाय के रूप में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा प्ररिषद अधिनियम 1993 के अधीन (1993 का 73 वा) राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा प्ररिषद 17 अगस्त 1995 से अस्तितव में आई।

राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा प्ररिषद का मूल उद्देश्य समूचे भारत में अध्यापक शिक्षा प्रणाली का नियोजित और समन्वित विकास करना, अध्यापक शिक्षा प्रणाली में मानदंडों और मानको का विनियमन तथा उन्हे समुचित रूप से बनाये रखना और तत्संबंधी विषय हैं।

इस परिषद का मुख्य कार्यालय दिल्ली में है। 1993 में इस परिषद को संवैधानिक दर्जा दिया गया।

राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद के उद्देश्य एवं कार्य निम्नांकित हैं
इस परिषद का एक उद्देश्य केंद्र एवं प्रांतीय सरकारों और यूजीसी एवं विश्वविद्यालयों को सलाह देना है।
सभी प्रकार के शिक्षकों एवं शिक्षा संस्थाओं के लिए मानदंड निर्धारित करना।
सभी प्रकार के शिक्षक शिक्षा संस्थाओं के शिक्षकों की न्यूनतम शैक्षिक योग्यता निर्धारित करना और साथ ही उनका वेतनमान निर्धारित करना।
सभी स्तर के सेवारत शिक्षकों के लिए पुनर बोधन कार्यक्रमों का निर्माण करना।

राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन विश्‍वविद्यालय (N.U.E.P.A.)


राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन विश्‍वविद्यालय (National University of Educational Planning and Administration (NUEPA / न्‍यूपा), शैक्षिक योजना और प्रशासन के क्षेत्र में केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा स्‍थापित भारत ही नहीं दक्षिण एशिया का प्रमुख संगठन है जो शैक्षिक योजना एवं प्रबंधन के क्षेत्र में क्षमता विकास और शोध कार्य में संलग्‍न है। भारत सरकार ने अगस्‍त 2006 में इसका उन्‍नयन करके मानद विश्‍वविद्यालय का दर्जा प्रदान किया ताकि यह स्‍वयं उपाधि प्रदान कर सके। न्‍यूपा भारत सरकार द्वारा पूर्णत: वित्‍तपोषित है।

आरम्भ में न्‍यूपा की स्‍थापना 1962 में एशिया तथा प्रशान्त क्षेत्र के शैक्षिक योजनाकारों, प्रशासकों और पर्यवेक्षकों के प्रशिक्षण के लिए एशिया क्षेत्र के यूनेस्‍को केंद्र के रूप में की गई थी जिसे 1965 में एशियाई शैक्षिक योजना एवं प्रशासन संस्‍थान बना दिया गया। इसके 4 वर्ष बाद भारत सरकार ने इसका अधिग्रहण कर लिया और इसका नाम 'राष्ट्रीय शैक्षिक योजनाकार एवं प्रशासक कालेज' रख दिया गया। 1979 में पुन: इसका नाम बदलकर राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन संस्‍थान (नीपा) कर दिया गया।

राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन विश्‍वविद्यालय (न्‍यूपा) में 10 विभाग हैं। विश्‍वविद्यालय अपने बहुआयामी गतिविधियों के अलावा शिक्षा नीति, योजना और प्रशासन के क्षेत्र में अंतर-शास्‍त्रीय समाजविज्ञान के परिप्रेक्ष्‍य में एम.फिल., पीएच-डी. और अंशकालिक पीएच-डी. पाठ्यक्रम भी संचालित करता है। न्‍यूपा के शोध कार्यक्रमों में राष्‍टूीय और अंतर्राष्‍टूीय दृष्‍टिकोणों से शिक्षा के सभी स्‍तरों और प्रकारों को शामिल किया जाता है।

राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन संस्थान (N.I.E.P.A.)


नीपा शैक्षिक आयोजन एवं प्रशासन के क्षेत्र में एक शीर्ष संस्था है। यह भारत सरकार द्वारा गठित एक स्वायत्तशासी निकाय है। इसकी स्थापना यूनेस्को के सहयोग से  हुई थी।
निपा के उद्देश्य निम्नांकित हैं

शैक्षिक आयोजन इकाई।
शैक्षिक प्रशासन इकाई।
शैक्षिक वित्तीय  इकाई।
उच्च शिक्षा इकाई।
शैक्षिक नीति इकाई।

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