मुख्य सेविका भर्ती परीक्षा 2022-23 से संबंधित जनसंख्या के महत्वपूर्ण
जनसंख्या आर्थिक विकास का साधन ही नहीं वरन साध्य भी है। जनसंख्या वृद्धि आर्थिक विकास की एक पूर्व शर्त है। जनसंख्या दबाव आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करता है।
भारत में जनगणना का इतिहास:
भारत में अंग्रेजों के समय प्रथम एवं अनियमित जनगणना लॉर्ड मियों के शासनकाल 1872 में कराई गई। भारत में प्रथम नियमित जनगणना वर्ष 1881 ईस्वी में लॉर्ड रिपन के कार्यकाल में हुई थी। जबकि स्वतंत्र भारत की पहली जनगणना वर्ष 1951 में हुई थी।
जनगणना केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन महारजिस्टर एवं जनगणना आयुक्त के कार्यालय द्वारा प्रत्येक 10 वर्ष पर कराई जाती है। जनगणना का कार्य जनगणना अधिनियम 1948 के प्रावधानों के तहत किया जाता है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 246 के तहत जनगणना संघ का विषय है।
भारत में जनसंख्या वृद्धि:
भारत विश्व के क्षेत्रफल का 2.4% हिस्सा घेरता है जबकि यहां की जनसंख्या 2011 के आंकड़ों के अनुसार विश्व की आबादी का 17.5 प्रतिशत निवास करती है। 1947 में जब भारत को आजादी मिली तब इसकी जनसंख्या केवल 34 करोड़ के आसपास थी वर्तमान में यह 1.25 अरब हो गई वर्ष 1983 में प्रारंभ की गई स्वास्थ्य नीति में वर्ष 2000 तक कुल प्रजनन दर 2.1 प्रतिशत करने का लक्ष्य था जो कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से प्राप्त नहीं कर सका। भारत के महा पंजीयन के अनुसार वर्ष 2026 तक भारत कल प्रजनन दर 2.1% को प्राप्त कर लेगा। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट 2022 के अनुसार भारत वर्ष 2023 तक विश्व की सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश बन जाएगा।
स्वतंत्रता उपरांत भारत की जनसंख्या नीति:
भारत विश्व का पहला ऐसा देश है जिसने सबसे पहले 1952 में परिवार नियोजन कार्यक्रम को अपनाया। देश में पहली बार जनसंख्या नीति की घोषणा वर्ष 1976 ईस्वी में की गई थी। जनसंख्या नियंत्रण के लिए एक विशेषज्ञ समूह ने जनसंख्या नीति बनाने का सुझाव 1960 में दिया था।
भारत की नई जनसंख्या नीति 2000:
भारत की नई जनसंख्या नीति की घोषणा 15 फरवरी 2000 को की गई थी। देश की जनसंख्या को स्थिर करने का लक्ष्य 2045 से बढ़कर अब 2070 तक कर दिया गया है। राष्ट्रीय जनसंख्या आयोग का पुनर्गठन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने 19 मई 2005 को किया था। प्रधानमंत्री को इस आयोग का अध्यक्ष बनाया गया था। जनसंख्या स्थिरीकरण का लक्ष्य 2045 से बढ़कर अब वर्ष 2070 तक कर दिया गया है। वर्ष 1987 से प्रत्येक वर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है।
वर्ष 2022 के जनसंख्या दिवस की थीम 8 बिलियन की दुनिया सभी के लिए एक लचीले भविष्य की ओर अवसर का दोहन और सभी के लिए अधिकार और विकल्प सुनिश्चित करना है।
जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए स्वामीनाथन समिति ने सिफारिश की थी।
भारत की 2011 के जनगणना के अनुसार कुछ प्रमुख तथ्य:
भारत की कुल जनसंख्या 1210854977 है। भारत का लिंगानुपात 943/1000 है बाल लिंगानुपात 919 /1000 है। भारत की पुरुष साक्षरता दर 80.9% और महिला साक्षरता दर 64.6% है।
उत्तर प्रदेश जनसंख्या की दृष्टि से सबसे बड़ा राज्य है। सिक्किम जनसंख्या की दृष्टि से सबसे छोटा राज्य है। भारत में शिशु मृत्यु दर 2016 के अनुसार 34% है। जन्म दर 20.4 है, मृत्यु दर 6.4 है और मातृ मृत्यु दर 2014-16 के अनुसार 130 है।
उत्तर प्रदेश की नई जनसंख्या नीति:
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 2021 - 2030 अवधि के लिए एक नई जनसंख्या नीति की घोषणा की गई। इसके प्रमुख लक्ष्य हैं 2026 ई तक कुल प्रजनन दर को प्रति हजार आबादी पर 2.7 से घटकर 2.1 और वर्ष 2030 ई तक 1.9 तक लाना है। मातृ मृत्यु दर को 197 से घटाकर 150 तथा वर्ष 2030 ई तक घटकर 98 में तक लाना है। शिशु मृत्यु दर को वर्ष 2026 ई तक 43 से घटकर 32 तथा वर्ष 2030 ई तक 32 से घटकर 22 तक लाना है।