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बाल विकास और शिक्षाशास्त्र लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
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बाल विकास और शिक्षाशास्त्र : शैक्षिक वातावरण से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य

शैक्षिक वातावरण से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य

  1. शिक्षा की परिभाषा निम्न में से किस प्रकार दी जा सकती है -  विद्यार्थियों  का सर्वोत्तम मुखी विकास।
  2. शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि -  शिक्षण की अच्छी-अच्छी विधि सीखें।
  3. विद्यालयों का प्रबंध किया जाता है जिससे -  समाज की सुरक्षा हो सके।
  4. एक व्यवसाय के रूप में शिक्षण में सबसे आकर्षक बात क्या है -  आत्म अभिव्यक्ति का अवसर।
  5. विद्यालय में क्या सबसे अधिक आवश्यक है ताकि विद्यार्थी अपना अध्ययन ठीक से कर सकें -  पुस्तकालय।
  6. शिक्षा के मापदंड को बढ़ाने के लिए सबसे प्रभावशाली कार्य क्या होना चाहिए -  पाठ्य पुस्तकों में सुधार हो।
  7. शिक्षक अभिभावक संघ को मुख्यता आवश्यकता होती है -  सहगामी क्रियाओं के संगठन के लिए।
  8. छात्र संघ के गठन का मुख्य उद्देश्य क्या है - प्रजातंत्र की शिक्षा देना।
  9. अध्यापक राष्ट्र का निर्माता कहा जाता है क्योंकि वह -  भावी नागरिकों को तैयार करता है।
  10. विद्यालय अपना कार्य तभी पूरा कर सकता है जबकि वह -  समुदाय से करीबी रिश्ता बनाए रखें।
  11. एक शिक्षक होने के नाते आपका हड़ताल के बारे में क्या विचार है -  हड़ताल करना शिक्षक की गरिमा के खिलाफ है।
  12. विद्यालय में कक्षा प्रबंध का ठीक नहीं होना दर्शाता है  -  शिक्षक की कुशलता में कमी।
  13. शिक्षा कौन सी  पूंजी है -  ज्ञानात्मक पूंजी।
  14. शिक्षकों को अच्छे कार्य करने के लिए सबसे अच्छे प्रोत्साहन उपाय क्या है -  धन तथा सर्टिफिकेट के रूप में पुरस्कार।
  15. शिक्षा का स्तर गिरने का कौन सा एक प्रमुख कारण है -  भौतिक सुविधाओं का अभाव।
  16. शिक्षण व्यवसाय में जाने का प्रमुख उद्देश्य क्या होना चाहिए - भावी पीढ़ी का निर्माण करना।

  17. व्यावसायिक नैतिकता
  18. छात्रों में चरित्र निर्माण के लिए कौन सी विधि सबसे अधिक प्रभावशाली हो सकती है -  एक चरित्रवान के जीवन के विषय में पढ़ाना।
  19. एक शिक्षक दूसरे शिक्षक के विरोध में बहुत बोलता है। एक साथी अध्यापक के नाते आप क्या करेंगे -  अंतर को दूर करेंगे।
  20. अध्यापक का चरित्रवान होना क्यों आवश्यक है -  छात्रों  के सम्मुख आदर्श उपस्थित करना।
  21. विद्यार्थी जीवन में मानव मूल्यों के प्रति बालकों में आस्था पैदा की जा सकती है -  नैतिक शिक्षा से।
  22. कक्षा में स्वयं देर से आने पर आप क्या करेंगे -  देर से आने का कारण बताएंगे।
  23. नैतिक शिक्षा के लिए सबसे प्रभावशाली कौन सा तरीका होगा -  अच्छे नैतिक व्यवहार को पुरस्कृत करना।
  24. यदि किसी उच्चाधिकारी के पुत्र की उत्तर पुस्तिका का मूल्यांकन कर रहे हैं तो ऐसी स्थिति में आप क्या करेंगे -  यथा योग्य अंक देंगे।
  25. यदि कोई छात्र परीक्षा भवन में नकल कर रहा है तो आप क्या करेंगे - उसको दूसरी कॉपी देंगे तथा आगे से नकल नहीं करने के लिए कहेंगे।
  26. खेल के मैदान में चोट लगे खिलाड़ी को फौरन ले जाना चाहिए -  निकटतम स्वास्थ्य सेवा केंद्र में।
  27. छात्रों के भौतिक एवं नैतिक विकास में अध्यापक के कौन से गुण सर्वाधिक सहायक होते हैं -  ममतामई मां के गुण।
  28. यदि आप धूम्रपान करते हैं तथा किसी छात्र को आप विद्यालय में सिगरेट पीता देखते हैं तो आप -  सर्वप्रथम स्वयं धूम्रपान छोड़ेंगे।
  29. छात्र नैतिक शिक्षा को तभी ग्रहण करते हैं जब - चरित्रवान शिक्षक उदाहरण बने।
  30. यदि आपकी कक्षा में कोई विकलांग बालक है तब शिक्षक की हैसियत से आप -  विद्यार्थी को उसके साथ विशेष व्यवहार करने को प्रोत्साहित करेंगे।
  31. यदि कोई अभिभावक आपसे मिलने कभी नहीं आता है तो आप क्या करेंगे -  अभिभावक को लिखेंगे।
  32. पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा के शामिल करने के विषय में आपका क्या विचार है -  यह छात्रों के चरित्र के विकास के लिए लाभकारी हो सकता है।
  33. छात्रों में अच्छे संस्कार डालने आवश्यक होते हैं इस संदर्भ में कौन सा कथन सही है -  संस्कार परिवेश के अनुकूल होते हैं।
  34. अध्यापक का प्रमुख दायित्व है -  स्कूल के कार्यों में सहयोग देना।
  35. जब आप के छात्र उन्नति करते हैं तो आप महसूस करते हैं -  आत्म संतोष की भावना।
  36. आज के वैज्ञानिक युग में छात्रों को आध्यात्मिकता का ज्ञान देना आपके विचार में -  आवश्यक है।
  37. धर्म के विषय में आपका क्या विचार है -  यह व्यक्तिगत शुद्धि का साधन है।
  38. ग्रामीणों के मध्य तनाव है और आप वहां शिक्षक हैं आप क्या करेंगे -  आप ग्राम प्रधान को सूचित करेंगे।
  39. आपके विद्यालय में एक दीपावली मेले की व्यवस्था की गई है, आप क्या करना पसंद करेंगे -  कार्यक्रम में भाग लेना।
  40. यदि एक विद्यार्थी कोई सम्मान नहीं देता है तो आप -  उसकी ओर ध्यान नहीं देंगे।
  41. पिछड़े बालक उन्हें कहते हैं जो -  शैक्षिक उपलब्धि में सामान्य से नीचे होते हैं।
  42. आपकी कक्षा का एक होशियार विद्यार्थी अपने ज्ञान का प्रदर्शन करके आपको नाराज करता है, आपको -  उसे उसकी रूचि के क्षेत्र में कोई कठिन कार्य देना चाहिए।

बाल विकास में शिक्षा प्रणाली : शिक्षण में नवाचार

बाल विकास में शिक्षा प्रणाली : शिक्षण में नवाचार 

  1. नई तरह की शिक्षा व्यवस्था यथा मुक्त शिक्षा, पत्राचार पाठ्यक्रम आदि का औचित्य किस कारण से है -  शैक्षिक अवसरों की समानता बढ़ाने की दृष्टि से।
  2. कुछ वर्षों के पश्चात किताबों को बदल देना चाहिए क्योंकि -  इससे ज्ञान में वृद्धि होती है।
  3. कार्य करके सीखना उपयोगी है क्योंकि -  बच्चे क्रियाशीलता पसंद करते हैं।
  4. परीक्षा भवन में नकल रोकने का निम्न में से अच्छा उपाय क्या है -  परीक्षा पद्धति को बदला जाए।
  5. प्रोढ़ शिक्षा का मुख्य लाभ क्या होगा -  अपने जीवन को अधिक समृद्ध बना सकेंगे।
  6. कौन सी भाषा शिक्षा का सर्वोत्तम माध्यम है -  मातृभाषा।
  7. किस स्तर की शिक्षा का उत्तरदायित्व ग्राम पंचायतों को मुख्य रूप से लेना चाहिए -  प्राथमिक शिक्षा का।
  8. पर्यावरण शिक्षा को विद्यालयों में पाठ्यक्रम का अंग बनाना उचित है क्योंकि -  पर्यावरण जीवन का महत्वपूर्ण अंग है।
  9. अध्यापक को जनसंख्या शिक्षा का ज्ञान होना चाहिए, जनसंख्या शिक्षा का उद्देश्य है -  बच्चों को जनसंख्या वृद्धि के बारे में शिक्षित करना।
  10. उन पाठ्य पुस्तकों को सर्वश्रेष्ठ समझना चाहिए जो कि -  चिंतन तथा तर्क की योग्यता विकसित करें।
  11. जनसंख्या वृद्धि तथा निरक्षरता के मुद्दे -  एक दूसरे से संबंधित हैं।
  12. सह शिक्षा का प्रमुख लाभ क्या है -  एक दूसरे को समझने का अवसर मिलता है।
  13. ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड का अर्थ है -  स्कूलों में न्यूनतम आवश्यक सुविधाएं प्रदान करना।
  14. NOS  का आशय है -  नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग।
  15. निम्न में से किसका संबंध केवल अध्यापक शिक्षा से है - NCTE
  16. स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार द्वारा स्थापित किए जाने वाले पहले शिक्षा आयोग के अध्यक्ष कौन थे -  डॉ राधाकृष्णन।
  17. देश में वर्तमान में निम्न में से कौन सी शिक्षा प्रणाली प्रचलित है - 10+2+ 3
  18. 1964- 66 के शिक्षा आयोग  को कौन-कौन से कार्य सौंपा गए थे -  संपूर्ण शिक्षा पद्धति का पुनरावलोकन।
  19. राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा से संबंधित संगठन है - NCERT,NTE,UGC
  20. 5 सितंबर को शिक्षक दिवस किसकी जयंती के अवसर पर मनाया जाता है -  सर्वपल्ली राधाकृष्णन।
  21. भारत में उच्च शिक्षा का दायित्व किस संस्था पर है -  विश्वविद्यालय अनुदान आयोग
  22. नवोदय विद्यालय प्रारंभ किए गए हैं -  ग्रामीण बच्चों के लिए।
  23. किनकी रक्षा के लिए मेरिया मांटेसरी शिक्षा में प्रमुख देन है -  प्राथमिक विद्यालय के छात्र।
  24. ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड शिक्षा की किस अवस्था से संबंधित है -  प्राथमिक शिक्षा से।
  25. कंप्यूटर के पिता कौन कहलाते हैं -  चार्ल्स बैबेज।
  26. शिक्षा की किंडरगार्टन प्रणाली का योगदान दिया था -  फ्रोबेल ने।
  27. राष्ट्रीय अध्यापक परिषद का लक्ष्य है -  शिक्षा महाविद्यालयों में मानकों को बनाए रखना।
  28. राष्ट्रीय साक्षरता मिशन की स्थापना की गई थी -  1988 में।
  29. राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद की स्थापना हुई -  1961 में।
  30. बेसिक शिक्षा योजना का उद्देश्य है -  शिक्षा के द्वारा व्यक्तियों की बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति करना।
  31. पर्यावरण शिक्षा विद्यालयों में पढ़ाई जानी चाहिए क्योंकि -  यह जीवन का महत्वपूर्ण अंग है।
  32. नवोदय विद्यालयों की स्थापना की गई है -  ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छी शिक्षा के लिए।
  33. नई शिक्षा नीति का उद्देश्य है -  सभी को शिक्षा के समान अवसर देना।
  34. लक्ष्मीबाई नेशनल कॉलेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन कहां पर स्थित है -  ग्वालियर में।
  35. कोठारी आयोग गठित किया गया था -  1964 में।
  36. नई शिक्षा नीति के अंतर्गत जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना किस के प्रशिक्षण हेतु हुई है -  प्रारंभिक विद्यालयों के शिक्षक हेतु।
  37. विश्वविद्यालयों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है -  विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा।
  38. केंद्रीय विश्वविद्यालय उसे कहते हैं जो -  संसद के एक्ट द्वारा स्थापित हो।
  39. बीपीएड प्रोग्राम हेतु मानक तथा स्तनों को निर्धारित करने वाली शीर्ष संस्था है - NCTE
  40. किस विशेष चैनल से इग्नू के कार्यक्रम प्रसारित होते हैं -  ज्ञान दर्शन।
  41. ज्ञानवाणी का फोन इन कार्यक्रम एक है -  अंतः क्रिया शिक्षा।
  42. दूरस्थ शिक्षा का तात्पर्य है -  दूरस्थ विधियों तथा माध्यमों की सहायता से छात्रों को शिक्षित करना।
  43. अध्ययन में नमनीयता किसका आवश्यक लक्षण है -  अनौपचारिक शिक्षा का।
  44. बाल श्रम को बढ़ावा नहीं देना चाहिए क्योंकि - बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं।
  45. शारीरिक रूप से विकलांग बच्चों की शिक्षा है -  सामाजिक दायित्व।

बाल विकास और शिक्षाशास्त्र : शिक्षण विधियाँ

Child Development & Pedagogy
बाल विकास और शिक्षाशास्त्र : शिक्षण विधियाँ 


बाल विकास और शिक्षाशास्त्र : शिक्षण विधियाँ  

  1. आपके विचार से विद्यालयों में छात्रों के शैक्षिक भ्रमण का प्रबंध करना आवश्यक होता है क्योंकि इससे -  छात्रों को प्रत्यक्ष संपर्क से ज्ञान प्राप्त करने का अवसर मिलता है।
  2. विद्यालय में योग शिक्षा के संदर्भ में आपका विचार है कि -  छात्रों के शारीरिक स्वास्थ्य और मन मस्तिक  विकसित होगा।
  3. शिक्षण में प्रश्न करने का कौशल सर्वाधिक उपयुक्त है -  छात्रों को परीक्षा हेतु तैयार करने में।
  4. विद्यालय में खेल के आयोजन का उद्देश्य होता है -  बालक का सर्वांगीण विकास करना। 
  5. छात्रों में स्काउट के प्रशिक्षण के लाभ पर आपके विचार हैं -  छात्रों में सेवा भावना, मितव्ययिता, सत्य बोलना आदि गुणों का विकास होता है।
  6. छात्रों को मूल्यों की शिक्षा देना आवश्यक है क्योंकि -  उनमें सद्गुणों के प्रति आस्था और सजगता  विकसित हो।
  7. शिक्षक को अपने विषय वस्तु में निरंतर नए ज्ञान का समावेश करते रहना चाहिए जिससे -  वह छात्रों को नवीनतम ज्ञान दे सके।
  8. बच्चों को कहानी सुनाकर पढ़ाना चाहिए, आपका विचार है कि -  कहानी बच्चों के मस्तिष्क को केंद्रित करती है।
  9. बालकों में शोध व अनुसंधान संबंधी क्रियाकलाप विकसित करने हेतु -  आप उनकी निरीक्षण शक्ति को बढ़ाएंगे।
  10. किस विद्वान ने सीखने( पाठ योजना) के पांच चरण बताए थे -  हरबर्ट।
  11. यदि स्कूल में बच्चों की वाद विवाद प्रतियोगिता होने वाली हो, तो आप कुछ बच्चों के लिए -  भाषण के लिए वे कहां से सामग्री लें इसका मार्गदर्शन करेंगे।
  12. जब अध्यापक अपनी कक्षा के छात्रों के लिए शिक्षण योजना तैयार करता है तो उसे छात्रों की -  आयु और बौद्धिक आयु को ध्यान में रखना होता है।
  13. शिक्षा की प्रोजेक्ट विधि का आधार है -  करके सीखने का सिद्धांत।
  14. विज्ञान पढ़ने वाले छात्रों में प्रयोग करने की क्षमता का विकास कैसे किया जा सकता है -  उन्हें प्रयोग करने का अभ्यास करा कर।
  15. यदि कक्षा शिक्षण के दौरान बीच-बीच में छात्रों को हंसने का मौका मिलता रहे और थोड़ा मनोरंजन होता रहे, तो -  पढ़ाई रोचक बन जाती है।
  16. कक्षा शिक्षण में विविधता और रोचकता बनाती है -  शिक्षण सामग्री के प्रयोग से।
  17. प्रश्न पूछने की कौन सी विधि को आप उचित समझते हैं -  प्रश्न पूछने के बाद छात्र को सोचने का मौका दीजिए, उसके बाद छात्र को उत्तर देने को कहिए।
  18. सीखने का मुख्य तत्व है -  सीखने की इच्छा, प्रेरणा और अनुकूल परिवेश।
  19. अच्छे शिक्षक को किस का ज्ञान होना चाहिए -  बाल मनोविज्ञान, शिक्षा मनोविज्ञान, व्यवहारिक मनोविज्ञान।
  20. शिक्षा का एक सिद्धांत है कि बालक से पूर्व ज्ञान को जानकर उससे जोड़कर नया ज्ञान दिया जाए। बालक का पूर्व ज्ञान कैसे पता लगाएंगे -  बालक से प्रश्न पूछ कर।
  21. पाठ योजना तभी सही बन सकेगी जब शिक्षक को -  शिक्षण विधियों, शिक्षण सिद्धांतों और छात्रों का पूर्व ज्ञान हो।
  22. कक्षा शिक्षण की सफलता का रहस्य है - शिक्षक और छात्रों के बीच  संतुलित एवं सुसंगत संवाद।
  23. कक्षा शिक्षण के दौरान आप छात्रों से कैसे प्रश्न पूछेंगे -  पठित पाठ से संबंधित और पूर्व ज्ञान से संबंधित।
  24. किस शैली के शिक्षण को आधुनिक युग में उत्तम नहीं माना जाता है -  व्यक्तिगत भिन्नता पर आधारित मनोवैज्ञानिक  शिक्षण।
  25. संदर्भ पुस्तकों एवं अन्य पाठ सामग्रियों के अध्ययन से क्या लाभ है -  ज्ञान में व्यापकता आती है।
  26. कक्षा शिक्षण में छात्रों की तल्लीनता को भंग  होने से बचाने के लिए अध्यापक को चाहिए कि -  विषय को रोचक बनाने के लिए वह उचित शिक्षण सामग्रियों एवं तकनीकों का प्रयोग करता रहे।
  27. कक्षा शिक्षण को प्रभावशाली और सार्थक बनाने का एक उपाय है -  शिक्षण के तत्काल बाद छात्रों से इस संबंध में प्रश्न पूछना।
  28. यदि कोई छात्र लगातार गृह कार्य नहीं करता, तो उसे सुधारने के लिए आप कौन सा उपाय करना चाहेंगे -  छात्र के मां-बाप का सहयोग लेना चाहेंगे।
  29. आप आकस्मिक परीक्षा लेना उचित समझते हैं क्योंकि - उससे छात्रों की योग्यता और उनके ज्ञान का सही अनुमान लगाया जा सकता है।
  30. शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने के लिए क्या आवश्यक है -  छात्रों का सतत मूल्यांकन।
  31. गृह कार्य देने के ढंग के संबंध में आपका क्या विचार है -  गृह कार्य छात्रों की क्षमता और उनकी योग्यता के अनुसार देना लाभदायक होता है।
  32. जब आपको अपने विषय का पूर्ण ज्ञान होगा तभी -  आप अपने छात्रों की सभी शंकाओं का समाधान कर सकेंगे।
  33. शिक्षक को निरंतर अध्ययन करते रहना चाहिए ताकि वह -  अपनी शैक्षिक योग्यता बढ़ा सकें।
  34. छोटे बच्चों की कोई विषय वस्तु याद कराने का आप सबसे अच्छा उपाय क्या समझते हैं -  बार-बार दोहरा कर याद करना।
  35. छोटे बच्चों को गृह कार्य देने के संबंध में आपकी क्या राय है -  उन्हें गृह कार्य थोड़ा ही देना चाहिए ताकि कक्षा में जो पढ़ाया गया है उसे दोहरा लें।
  36. कक्षा में नया पाठ पढ़ाने से पहले शिक्षक को -  नए पाठ के बारे में बच्चों में रुचि और जिज्ञासा पैदा कर लेनी चाहिए।
  37. कक्षा के लिए पाठ योजना तैयार करते समय अध्यापक को मुख्यता किस बात का ध्यान रखना चाहिए -  छात्रों के औसत दर्जे का ज्ञान, शिक्षण उद्देश्य, पाठ्यचर्या के लक्ष्य।
  38. प्रोजेक्ट कार्य का उद्देश्य छात्रों में -  सृजनात्मक योग्यताओं को प्रोत्साहित करना है।
  39. शिक्षण की सबसे कमजोर विधि कौन सी है -  पाठ्यपुस्तक विधि।
  40. किस विधि से  छात्र सबसे अधिक और अच्छी तरह से सीखते हैं -  स्वयं करके।
  41. शिक्षक शिक्षण विधि सबसे अधिक सीखता है अपने -  छात्रों से।
  42. छात्रों को पहले कोई सामान्य नियम बताकर उसके बाद उस नियम के उदाहरण देकर नियम की पुष्टि करने की विधि को -  निगमन विधि कहते हैं।
  43. आगमन विधि पढ़ाने में पहले -  उदाहरण दिए जाते हैं फिर उनके आधार पर नियम बनाया जाता है।
  44. कहानी सुनाना शिक्षण की एक विधि है, इस विधि में शिक्षक को क्या नहीं करना चाहिए -  हाव भाव प्रदर्शन और अभिनय नहीं करना चाहिए।
  45. आवृत्ति के सिद्धांत का उद्देश्य है -  अर्जित ज्ञान को स्थाई बनाने के लिए उसे दोहराना।
  46. शिक्षा की प्रयोगात्मक विधि का प्रयोग -  सभी विषयों के शिक्षण के लिए किया जा सकता है।
  47. बुनियादी शिक्षा का आधार मनोवैज्ञानिक है क्योंकि -  इसमें पाठ पुस्तकों की अपेक्षा छात्र को प्रधानता दी जाती है।
  48. शिक्षण की परियोजना पद्धति -  बालक केंद्रित है।
  49. प्रोजेक्ट शिक्षण विधि छात्र को व्यवहारिक ज्ञान प्रदान करती है क्योंकि -  इसमें छात्र के ज्ञान का आधार उसका निजी अनुभव होता है।
  50. वस्तुनिष्ठ प्रश्नों की एक विशेषता यह है कि -  उनका मापन हमेशा स्थिर होता है।
  51. वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के संबंध में कौन सी बात सही है -  ऐसे प्रश्नों के माध्यम से पाठ्यक्रम के बहुत बड़े भाग को सम्मिलित किया जा सकता है।
  52. अभ्यास पाठ का अर्थ है -  छात्रों के समक्ष तथ्यों को एक क्रम में रखना।
  53. शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने के लिए यह आवश्यक है कि -  छात्रों का सतत मूल्यांकन किया जाए।
  54. निबंधात्मक परीक्षण विश्वसनीय नहीं होते हैं क्योंकि -  इनके परिणाम भिन्न भिन्न होते हैं।
  55. गृह कार्य देने का लाभ होता है कि -  छात्रों की प्रगति की जांच की जा सकती है।
  56. शिक्षण प्रक्रिया में सम्मिलित नहीं है -  ज्ञान निर्मित करना।
  57. रटने का सबसे बड़ा दोष क्या है -  इससे बहुत सी अनुपयोगी चीज याद हो जाती हैं।
  58. एक अच्छे अध्यापक को समाचारपत्र तथा पत्रिकाएं पढ़नी चाहिए क्योंकि -  इससे विद्यार्थी को उपयोगी जानकारी देने में सहायता मिलती है।
  59. अपने शिक्षण को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए आप -  अधिक समय के लिए उदाहरण देंगे।
  60. शिक्षार्थियों की अधिगम कठिनाइयों को दूर करने के लिए क्या करना चाहिए -  कारण जानकर उन्हें दूर करना।
  61. मूल्यांकन की सर्वाधिक उपयुक्त विधि है -  सतत एवं व्यापक मूल्यांकन।

बाल विकास और शिक्षाशास्त्र : व्यावसायिक दक्षता

बाल विकास और शिक्षाशास्त्र : व्यावसायिक दक्षता

  1. एक अध्यापक के आचरण और योग्यता का सही मूल्यांकन करते हैं उसके -  छात्र।
  2. यदि मुझे किसी परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन करना हो तो मैं -  उत्तर के अनुरूप अंक दूंगा।
  3. विद्यालय में बढ़ती हुई अनुशासनहीनता को कम किया जा सकता है -  छात्रों को सही निर्देशन देकर।
  4. अध्यापक की सर्वाधिक उपयुक्त उपमा दी जा सकती है -  माली से।
  5. अध्यापन कार्य ही सच्ची समाज सेवा है यह कथन के बारे में आप -  पूर्ण तरह सहमत हैं।
  6. एक अध्यापक को अपने उस विद्यार्थी पर गर्व करना चाहिए जो -  छात्रों के चरित्र निर्माण में सहायता कर रहा है।
  7. अध्यापन कार्य में एक अध्यापक को तब अधिक परेशानी होती है जब -  अभिभावकों को सहयोग ना मिले।
  8. आप विद्यालय के प्रधानाचार्य हैं। कुछ सहयोगी आप की दबी जुबान से आलोचना करते हैं तो आप - आत्म निरीक्षण करेंगे।
  9. यदि विद्यालय की किसी सभा में अचानक आपको किसी विषय पर भाषण देने के लिए कहा जाए तो आप -  बोलने के लिए तुरंत तैयार हो जाएंगे।
  10. कुछ छात्र परीक्षा भवन में दादागिरी से अनुचित साधन प्रयोग करना चाहते हैं तो आप -  सिद्धांतों का समर्थन करते हुए नियमानुसार कार्य करेंगे।
  11. अपने छात्रों से व्यक्तिगत कार्य कराने के संदर्भ में आप का मत है कि -  सिद्धांत के अनुसार यह कार्य गलत है।
  12. आपके कक्षा शिक्षण के समय में यदि एक छात्र रोज बैठकर गणित के सवालों को हल करता है तो आप उसे -  इसका कारण ज्ञात करेंगे।
  13. एक छात्र दूसरे शिक्षक की कक्षा में पढ़ता है, आपके विषय से संबंधित प्रश्न लेकर मध्यांतर में आपके पास आता है तो आप -  उसी समय समझा देंगे।
  14. यदि आपको प्रधानाचार्य का पद मिल जाए तो आपका लक्ष्य होगा -  विद्यालय की शिक्षा व्यवस्था का संचालन करना ।
  15. एक छात्र अधिकतर कक्षा में भयभीत रहता है  तो आप -  अपनत्व और प्यार से उसका उत्साहवर्धन करेंगे।
  16. किसी विषय वस्तु से संबंधित पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देना आपको रुचिकर लगता है -  समझा कर देने में।
  17. बच्चों की शिक्षा में यह अधिक आवश्यक है कि -  बच्चों का सर्वांगीण विकास हो।
  18. स्कूल से भागने वाले बच्चों को आप -  भागने के कारणों को जानकर उन्हें दूर  करेंगे।
  19. आपकी कक्षा में बच्चों के बैठने का पर्याप्त साधन नहीं है, ऐसी स्थिति में आप -  उन्हीं परिस्थितियों में समायोजन करके पढ़ाएंगे।
  20. नई नई बातों को सीखने के लिए आवश्यक नहीं है कि -  चिंतन किया जाए।
  21. बोध क्षमता सबसे अधिक कैसे प्राप्त की जा सकती है -  निर्देशित मोन पाठक से।
  22. आपको मालूम हुआ है कि आप के प्रधानाचार्य संस्था में कुछ गलत कार्य कर रहे हैं, तो आप -  उच्च अधिकारियों से उसकी शिकायत करेंगे।
  23. यदि कहीं राजनीतिक बहस हो रही है तो आप - उधर ध्यान नहीं देंगे।
  24. कक्षा में पाठ पढ़ाते समय अचानक कोई छात्र प्रश्न पूछता है, जो उस समय उस प्रसंग से मेल नहीं खाता है तो आप -  पाठ समाप्त होने के बाद समाधान करेंगे।
  25. एक शिक्षक की पसंद का वह छात्र होता है जो -  अधिक क्रियाशील हो।
  26. कक्षा में शांत वातावरण तभी रह सकता है जब -  अध्यापक और छात्रों में परस्पर सहयोग हो।
  27. मेरे विचार से विद्यालय में खेलकूद रैलियों के आयोजन से -  छात्रों की दूसरी अन्य प्रतिभाओं का विकास होता है।
  28. छात्रों में सहयोग की भावना को विकसित करने के लिए शिक्षक को चाहिए कि वह -  छात्रों से सामूहिक कार्य कराए।
  29. आपके विचार से शिक्षा में हो रहे नुकसान को रोकने के लिए आवश्यक है -  अध्यापकों द्वारा नियमित कक्षा शिक्षण।
  30. प्रयोग करके सीखना अधिक उपयोगी है क्योंकि -  बच्चे क्रियाशीलता पसंद करते हैं।
  31. कक्षा में छात्र-छात्राओं का ध्यान विकसित करने के लिए आप -  छात्र-छात्राओं में जिज्ञासा का विकास करेंगे।
  32. आपके कक्षा शिक्षण में छात्र उतना ध्यान नहीं देते जितना उन्हें देना चाहिए ऐसी स्थिति में आप -  विषय को अधिक रोचक बनाएंगे।
  33. निम्न उद्देश्य से शिक्षक को अपने विषय पर अधिक अधिकार होना चाहिए -  शिक्षण को प्रभावी बनाने के लिए।
  34. परीक्षा समीप आने पर शिक्षक को चाहिए कि वह -  अतिरिक्त समय देकर पाठ्यक्रम पूरा कर दें।
  35. मैं अवकाश के क्षणों का उपयोग करना पसंद करता हूं -  ज्ञानवर्धक पुस्तकों के अध्ययन से।
  36. छात्रों को प्रभावित करने का सरल उपाय है -  अपने आचरण को आदर्श बना कर।
  37. आपके अध्यापन के समय यदि कोई छात्र आप की त्रुटियों की ओर संकेत करता है तो आप -  स्वीकार कर लेंगे।
  38. एक कक्षा में पढ़ने वाले सभी बच्चों की उपलब्धि एक समान नहीं होती, क्योंकि -  उनमें श्रम और एकाग्रता का अंतर होता है।
  39. बच्चे कक्षा में किसी दिन थके हुए हैं वह पढ़ना नहीं चाहते हैं तो आप -  खेल खिलाएंगे।
  40. शिक्षक को प्रभावी शिक्षण के लिए छात्रों की व्यक्तिगत भिन्नता को भी ध्यान में रखना चाहिए इस कथन से आप कितना सहमत हैं -  बिल्कुल नहीं।
  41. कक्षा में मंद गति से सीखने वाले छात्र के सुधार हेतु आप -  किसी विशेषज्ञ से संपर्क कर राय लेने को कहेंगे।
  42. एक छात्र ने आपके प्रश्न का जो उत्तर दिया है वह पाठ्यपुस्तक में नहीं है। अध्यापक के रूप में आप -  उत्तर को स्पष्ट करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।
  43. आपको एक विचार गोष्ठी में जाना है तथा कक्षा में महत्वपूर्ण पाठ का अध्यापन भी करना है तो आप -  विचार गोष्ठी के उपरांत आकर बच्चों को अतिरिक्त समय में पढ़ाएंगे।
  44. विद्यालय में बढ़ती अनुशासनहीनता को समाप्त किया जा सकता है -  शिक्षकों द्वारा अनुशासन के प्रति उदाहरण प्रस्तुत करके।
  45. आप विद्यालय में छात्रों में सहयोग की भावना विकसित करने के लिए क्या करेंगे -  सभी शिक्षक मिलजुल कर कार्य करेंगे।
  46. एक प्रभावशाली और सफल अध्यापक वह है जो -  विषय ज्ञान और अभिव्यक्ति में अच्छा हो।
  47. एक आदर्श अध्यापक का लक्षण है -  छात्रों की भलाई हेतु सभी संभव प्रयास करना।

बाल विकास और शिक्षाशास्त्र : विद्यालय में अनुशासन

विद्यालय में अनुशासन

  1. छात्रों को दंड देते समय अध्यापक के मन में क्या भावना होनी चाहिए -  छात्रों में सुधार पैदा हो।
  2. विद्यालय में अनुशासन हीनता उत्पन्न होने का कारण आप मानते हैं -  अध्यापकों में जिम्मेदारी का अभाव।
  3. अनुशासनहीनता पर अधिकतम किसी छात्र को क्या दंड दिया जाना चाहिए -  छात्र को स्कूल से अनिश्चितकाल के लिए निलंबित कर दिया जाए और यदि वह छात्र क्षमा मांग कर अंडरटेकिंग हो तो उसे पुनः स्कूल में ले लेना चाहिए।
  4. यदि आपको आपकी किसी गलती पर प्रधानाध्यापक द्वारा डाटा या फटकारा जाता है तो इस पर आपकी क्या राय होगी -  आप प्रधानाध्यापक के इस व्यवहार पर दुखी होंगे किंतु अपनी गरिमा को बचाने के लिए उसकी गरिमा को नहीं  गिरआएंगे।
  5. यदि आप किसी ऐसे स्कूल में पढ़ा रहे हैं जहां आदिवासी बालक पढ़ते हैं तो आप इन बालकों को अनुशासन में रखने के लिए क्या उपाय अपनाएंगे -  आप उनके लिए पाठ्यचर्या को इस प्रकार संगठित करेंगे जो कि उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति में सहायक हो, ऐसा करने से अनुशासनहीनता की समस्या स्वत: कम हो जाएगी।
  6. छात्रों में अनुशासन बनाए रखने के लिए एक शिक्षक की कौन सी भूमिका सराहनीय है -  शिक्षक की कक्षा प्रबंध की क्षमता।
  7. अपने विद्यालय के छात्रों को अनुशासित रखने हेतु निम्न में से कौन सा उपाय सर्वोत्तम है -  अनुशासित छात्रों को पुरस्कार देना।
  8. एक छात्र के रूप में कक्षा में अच्छा अनुशासन रखने के बारे में आप का मत है -  छात्रों को समझाने की सैली अच्छी होनी चाहिए।
  9. यदि कोई छात्र अध्यापक के साथ दुर्व्यवहार करें तो भी अध्यापक को शांत रहना चाहिए क्योंकि -  छात्र के दुर्व्यवहार से क्रोधित होकर छात्र को दंड देना अध्यापक को शोभा नहीं देता।
  10. अनुशासन भंग करने वाले छात्र को दिया गया दंड ऐसा होना चाहिए कि -  दंड पाने वाला छात्र अपने को सुधार ले।
  11. आपने किसी छात्र को दंड दिया, बाद में पता लगता है कि जिस अपराध का दंड दिया गया हुआ अपराध उसने किया ही नहीं था, ऐसी हालत में आप क्या करेंगे -  छात्र के समक्ष खेद प्रकट करेंगे।
  12. स्कूल अनुशासन के संबंध में निम्न में से कौन सा कथन सही है -  अनुशासन का उद्देश्य छात्रों को दंड देना नहीं होता बल्कि यह सुधारात्मक प्रक्रिया है।
  13. यदि बार-बार समझाने के बावजूद कोई छात्र अनुशासन तोड़ने से बाज ना आए तो कक्षा अध्यापक को क्या करना चाहिए -  ऐसे छात्रों को कुछ देर के लिए कक्षा से बाहर कर देना चाहिए।
  14. शिक्षक को समय पर पाठशाला में आ जाना चाहिए, इसका एक सबसे बड़ा लाभ है कि -  छात्र समय की पाबंदी की शिक्षा ग्रहण करेंगे।
  15. बच्चों में अनुशासन की भावना किस प्रकार पैदा की जा सकती है -  उन्हें जिम्मेदारी सौंपकर।
  16. यदि कक्षा में कोई छात्र आप से दुर्व्यवहार करता है तो आप क्या करेंगे -  कारणों का पता करके उपचारात्मक कदम उठाएंगे।
  17. शिक्षक जब कक्षा में बच्चों को डांटता है तो इससे -  भविष्य में अच्छे बच्चे उसकी डांट से बचना चाहते हैं।
  18. शिक्षक द्वारा कक्षा में पुरस्कार और दंड दिया जाना चाहिए -  जैसी परिस्थिति हो उसके अनुसार।
  19. एक विद्यार्थी विद्यालय में विलंब से आता है, शिक्षक के रूप में आप क्या करेंगे -  विलंब से आने के कारणों का पता लगाएंगे।
  20. विद्यालय में अनुशासन बनाए रखने के लिए उचित होगा -  विद्यार्थियों की आवश्यकताओं की पूर्ति करना।
  21. विद्यार्थियों को कक्षा में अपमानित क्यों नहीं किया जाना चाहिए -  इससे शिक्षण कार्य में अवरोध उत्पन्न होता है।
  22. एक अध्यापक को निम्नलिखित में से कौन-सी रणनीति अपनानी चाहिए, यदि एक छात्र उसका अपमान करता है -  छात्र को कक्षा नियमों की याद दिलाना।
  23. आप परीक्षा दौरान कक्ष निरीक्षक का कार्य कर रहे हैं,  उसमें विद्यालय के प्रधानाचार्य का पुत्र परीक्षा दे रहा है, यदि वह अनुचित कार्य करता है तो -  परिणाम की परवाह किए बिना उसे अनुचित साधन का प्रयोग नहीं करने देंगे।
  24. किन्ही कारणों से आप की प्रधानाचार्या प्रायः देर से विद्यालय आते हैं, ऐसे आप क्या करेंगे -  अपने समय अनुसार कार्य करेंगे।
  25. विद्यालय में कार्य अनुभव के अंतर्गत नर्सरी तैयारी करनी है, किंतु छात्र काम करने से कतरा रहे हैं, आप उन्हें -  स्वयं कार्य में भाग  लेकर प्रेरित करेंगे।
  26. आपके विद्यालय के  छात्र  मध्यांतर अवकाश के बाद प्राय: विद्यालय से चले जाते हैं, ऐसी स्थिति में आप -  माहौल बदलने का हर संभव प्रयास करेंगे।
  27. यदि कोई छात्र खेल में अपने साथियों से हमेशा झगड़ा करता है, तो अध्यापक को चाहिए कि -  उसके कारणों का पता लगाएं।
  28. अध्यापक के सुझाव के बावजूद कोई छात्र अपनी स्वच्छता का ध्यान नहीं रखता है, तो उसे चाहिए कि वह -  कारणों का पता करें।
  29. छात्रों में बड़ों के प्रति आदर की भावना के विकास के लिए -  शिक्षक को स्वयं अपने से बड़ों के प्रति आदर प्रदर्शित करना चाहिए।
  30. भय और दंड का प्रभाव बच्चों को अनुशासनहीन बना सकता है, इस कथन से आप - अनिश्चय हैं।
  31. अधिगम का सर्वाधिक उपयुक्त  अर्थ है -  व्यवहार में सुधार।
  32. कक्षा में कुछ छात्र उद्दंड है जो सही छात्रों को पढ़ने में बाधा उत्पन्न करते हैं, आप सोचते हैं कि -  उद्दंड छात्रों को हर कीमत पर दबाया जाए।
  33. कौन सा छात्र अनुशासन का सही अर्थ में पालन करता है - जो जानता है कि किन किन परिस्थितियों में कैसा कैसा आचरण उचित होगा।
  34. यदि किसी दिन आप की कक्षा के छात्र आपसे कहे कि उनका पढ़ने का मन नहीं है, तो आप -  उनकी बात मान कर नहीं पढ़ाएंगे पर उन्हें साथ लेकर कोई सृजनात्मक कार्य करेंगे।
  35. एक शिक्षक में गंभीर दोष होता है -  अपरिपक्व मानसिक विकास वाला है।
  36. यदि 2 विद्यार्थी स्थान के लिए झगड़ पड़े तो -  आप दोनों में समझौता कराने का प्रयास करेंगे।
  37. आपके स्कूल में निरीक्षण चल रहा है,  यदि कोई अभिभावक आपके विरुद्ध निरीक्षक को रिपोर्ट करता है, तो आप -  निरीक्षक तथा अभिभावक को कारण बताएंगे।
  38. कक्षा में शिक्षण करते समय आपको पता लगता है कि कुछ विद्यार्थी जो अन्य कक्षाओं में उपस्थित थे आपकी कक्षा में उपस्थित नहीं है। आपका सबसे उपयुक्त निष्कर्ष क्या होगा -  मेरे शिक्षण में कुछ कमी है। 

बाल विकास और शिक्षाशास्त्र : विद्यालय में पाठ्यक्रम

विद्यालय में पाठ्यक्रम

  1. छात्रों को यौन शिक्षा संबंधी शिक्षा देने के लिए उसे पाठ्यक्रम में समावेश करने के बारे में आप का मत है कि -  इससे उत्पन्न होने वाली बुराइयों से बचा जा सकता है।
  2. प्रैक्टिकल करके सीखना अधिक उपयोगी है क्योंकि -  बच्चे क्रियाशीलता पसंद करते हैं।
  3. राष्ट्रीय शैक्षिक सर्वेक्षण के अनुसार बच्चों के विद्यालय छोड़ने का क्या कारण होता है -  विद्यालय की  पाठ्यचर्या को नीरस पाते हैं।
  4. छात्रों को गृह कार्य समय से करने के लिए आप क्या करेंगे -  यथासंभव छात्रों की सहायता करेंगे।
  5. यदि छात्र पाठ्यवस्तु में रुचि नहीं ले रहा है तो आप क्या करना पसंद करेंगे -  अरुचि का कारण जानने का प्रयास करेंगे।
  6. आपके विचार से कक्षा शिक्षण में छात्रों को अच्छी तरह पाठ्यवस्तु सिखाने के लिए अध्यापक में आवश्यक है -  प्रभावी अभिव्यक्ति।
  7. पाठ्यक्रम निर्माण में किस बात को मुख्य रूप से ध्यान में रखा जाता है -  पाठ्यक्रम को।
  8. समय चक्र में विषयों के वितरण का क्या आधार होना चाहिए -  छात्रों की रुचि के आधार पर।
  9. आपको कक्षा आठ का समय चक्र बनाने के लिए कहा जाता है, प्रयोगात्मक घंटे देने के लिए आप प्रधानाचार्य को इस पक्ष में क्या दलील देंगे -  प्रयोगात्मक कक्षा में बच्चों को नया माहौल मिलता है।
  10. छात्रों के पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा के बारे में आपका क्या विचार है -  छात्रों के चरित्र के विकास के लिए लाभकारी है।
  11. कुछ वर्षों बाद पाठ्य पुस्तकें बदल देनी चाहिए क्योंकि -  ज्ञान में निरंतर वृद्धि होती है।
  12. एक अच्छी पाठ्यपुस्तक वह है जो अन्य विशेषताओं के अतिरिक्त अनिवार्य रूप से सम्मिलित करती है -  बहुत से गृह कार्य के अभ्यास।
  13. छात्रों को मूल्यों की शिक्षा देना आवश्यक है क्योंकि -  उनमें सद्गुणो के प्रति आस्था और सजगता बढ़ेगी।
  14. विद्यालय में पर्यावरण शिक्षा की व्यवस्था आपके विचार से -  छात्रों में पर्यावरण चेतना जगाने के लिए आवश्यक है।
  15. विद्यालय में  पर्यावरण शिक्षा दी जा सकती है -  स्वयं अपनाकर।
  16. छात्र केंद्रित शिक्षण का आशय है -  प्रत्येक छात्र की आवश्यकता का ध्यान रखना।
  17. पाठ्यक्रम लोचशील होना चाहिए यदि ऐसा नहीं होगा तो -  उससे अलग अलग व्यक्तित्व वाले छात्रों का विकास नहीं हो पाएगा।
  18. कोई नया पाठ कक्षा में पढ़ाने के लिए आप कौन सा उपाय अपनाएंगे -  उस विषय के बारे में बच्चों को जो भी ज्ञान है,  उसकी चर्चा बच्चों के साथ करके उसी के साथ नए विषय की नई जानकारी बच्चों को प्रदान करेंगे।
  19. क्या आप समझते हैं कि बालको और बालिकाओं दोनों के लिए एक समान पाठ्यचर्या हो -  जी नहीं, बालिकाओं के लिए पाठ्यचर्या उनकी शारीरिक एवं भावनात्मक आवश्यकताओं के अनुकूल होनी चाहिए।
  20. पाठ्यचर्या के निर्माण में मुख्य रूप से किस बात का ध्यान रखा जाता है -  शिक्षा के उद्देश्यों का।
  21. आपके ख्याल में छात्रों के लिए उपयुक्त पाठ्यक्रम वह है जो -  उनके विकास, आवश्यकता और स्तर के अनुरूप हो।
  22. विद्यालयों में निर्धारित पाठ्यक्रम द्वारा शिक्षा की व्यवस्था इसलिए की जाती है जिससे विद्यार्थियों की -  जानकारी और कुशलता  में वृद्धि हो।
  23. पाठ्य पुस्तकों से सहायता मिलती है -  शिक्षण कार्य ठीक से संचालित करने में।
  24. स्कूल के विद्यार्थियों के लिए विभिन्न कक्षाओं से संबंधित विषय की पाठ्य पुस्तकों का चयन किसे करना चाहिए -  कक्षा शिक्षक द्वारा।
  25. निम्नलिखित में से कौन-सी पाठन विधि कक्षा में छात्रों की सहभागिता को सुनिश्चित करेगी -  विचार विमर्श।
  26. कक्षा में विद्यार्थियों और अध्यापक में पाठ्य विषय वस्तु पर वाद विवाद होने का क्या परिणाम होगा -  शिक्षा स्तर में सुधार होगा।
  27. पाठ्यक्रम को अधिक उपयोगी बनाने हेतु आवश्यक है - भारतीय संस्कृति का ज्ञान।

बाल विकास और शिक्षाशास्त्र : कक्षा में संप्रेषण

कक्षा में संप्रेषण

  1. भाषा सीखने का प्रभावी उपाय है -  वार्तालाप करना।
  2. कक्षा के शोरगुल को नियंत्रित रखने के लिए संप्रेषण की कौन सी पद्धति सबसे अच्छी है -  शोरगुल की परवाह किए बिना शिक्षा आरंभ कर देना।
  3. प्रभाव कारी शिक्षण फलन है -  स्पष्ट एवं यथा तथ्य संप्रेषण का।
  4. कक्षा में संप्रेषण की सबसे शक्तिशाली बाधा है -   शिक्षक के स्तर पर भ्रांति।
  5. पुस्तके संप्रेषण का प्रभावशाली स्रोत हो सकती हैं -  यदि विषय वस्तु उदाहरण सहित प्रस्तुत की गई है।
  6. कक्षा में या कक्षा के बाहर संप्रेषण को तभी प्रभावशाली माना जाएगा जब -  यदि वह प्राप्तकर्ता के पास भेजने वाले के इरादे के अनुसार पहुंचे।
  7. गणित शिक्षण के लिए कौन-सी संप्रेषण रणनीति सर्वाधिक उपयुक्त है -  एल्गोरिदम।
  8. नए नए संचार माध्यमों के विकास ने कक्षा में शिक्षकों के दायित्वों को -  बहुत  विस्तृत कर दिया है।
  9. कुछ विषयों का शिक्षण टेलीविजन के माध्यम से बहुत बढ़िया हो सकता है क्योंकि  - टेलीविजन द्वारा जो दृश्य, अनुभव व प्रयोग दिखाए जा सकते हैं, उनका प्रबंध स्कूल में कर पाना संभव नहीं होता।
  10. शिक्षा में टेलीविजन का उपयोग स्थान है क्योंकि -  टेलीविजन पर पाठ्यवस्तु को पूरे विस्तार के साथ प्रस्तुत किया जा सकता है।
  11. छोटे ग्रुप में संचार बड़े ग्रुप में संचार से किस प्रकार भिन्न होता है -  छोटा ग्रुप उस में भाग लेने वालों को आपस में अपेक्षाकृत अधिक प्रभावित करने का अवसर प्रदान करता है।
  12. परिचर्या विधि कक्षा शिक्षण में बहुत कारगर हो सकती है -  चर्चा का विषय विद्यार्थियों को पहले से बता दिया जाए।
  13. कोई भी अध्यापक प्रभावी संप्रेषण तभी बन सकता है जब वह -  पढ़ाते समय बीच-बीच में प्रश्न भी पूछता रहे।
  14. शिक्षण में श्रव्य दृश्य सामग्री का प्रयोग आपकी दृष्टि में कैसा है -  इनके प्रयोग से अधिगम की दर कई गुना बढ़ जाती है।
  15. छात्रों को गणित शिक्षण में केलकुलेटर का प्रयोग नहीं करने देना चाहिए क्योंकि -  इससे उसकी अभ्यास शक्ति कम हो जाएगी और वह आगे नहीं सीख पाएगा।
  16. दूरदर्शन के कार्यक्रम मुझे अच्छे लगते हैं जिनमें होता है -  रुचिकर और उपयोगी ज्ञान।
  17. प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में पढ़ाना बेहतर होता है क्योंकि -  यह बौद्धिक विकास में सहायक है।
  18. कौनसी संवाद की  प्रक्षेपी प्रविधि नहीं है -  इंटरनेट।
  19. एक अध्यापक छात्रों में सामाजिक तथा नैतिक मूल्यों का संप्रेषण कर सकता है -  छात्रों के पाठ्य सहगामी गतिविधियों में सक्रिय कार्य से।


बाल विकास और शिक्षाशास्त्र में शिक्षण अभियोग्यता एक अवधारणा

शिक्षण अभियोग्यता एक अवधारणा

  1. शिक्षण प्रशिक्षण क्यों आवश्यक है -  अध्यापक कुशलता में वृद्धि, शिक्षण व्यवस्था विधियों को समझना, विषय के ज्ञान की वृद्धि के लिए।
  2. अधिगम के होने या ना होने का वास्तविक मापदंड होगा - संशोधित व्यवहार।
  3. एक अध्यापक का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है -  बच्चों का सामाजिक विकास करना।
  4. अध्यापक के व्यक्तित्व निर्माण को प्रभावित करता है -  आनुवंशिकता और वातावरण की अंतर क्रिया।
  5. शिक्षा में प्रेरणा द्वारा विद्यार्थी में कौन सा तत्व बढ़ता है या घटता है -  क्रिया।
  6. विद्यार्थियों को उच्च उपलब्धि के लिए प्रोत्साहित करने हेतु कौन सी विधि अधिक प्रभावी है -  कठोर श्रेणी  बाध्यता।
  7. कौन सी शिक्षण पद्धति बच्चों में लोकतांत्रिक जीवन शैली को प्रोत्साहित कर सकती है -  सामाजिक अंतः क्रिया।
  8. बुद्धि परीक्षण बनाने वाला पहला व्यक्ति था -   बिने।
  9. शिक्षा के भिन्न-भिन्न उद्देश्य हैं, अध्यापक के नाते क्या आप मानते हैं कि शिक्षा के सभी उद्देश्य -  समान रूप से महत्वपूर्ण है।
  10. किंडरगार्टन शिक्षा पद्धति किस पर जोर देती है -  इंद्रियों के शारीरिक शिक्षण पर।
  11. लड़कियों में शिक्षा की उन्नति के लिए आप क्या सुझाव देंगे -  शिक्षा निशुल्क और अनिवार्य करना।
  12. बच्चों को सामाजिकरण का पहला पाठ कहां से प्राप्त होता है -  परिवार से।
  13. हमारे जैसे बदलते समाज वाले देश में अध्यापक का योगदान तभी अर्थपूर्ण है जबकि वह -  सामाजिक उद्देश्यों के साथ-साथ व्यक्तित्व के विकास में मदद करता है।
  14. महात्मा गांधी ने किस शिक्षा प्रणाली का प्रतिपादन किया था -  बेसिक शिक्षा।
  15. किशोरावस्था का आयु वर्ग है -  13 से 18 वर्ष।
  16. हमारे देश में निम्नलिखित में से कौन सी शिक्षा प्रणाली प्रचलित है - 10+2+3।
  17. प्रारंभिक शिक्षा की सबसे बड़ी समस्या क्या है -  प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण किए बिना बालकों द्वारा विद्यालय छोड़ जाना।
  18. बालक के विकास में शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान है -  बालक के सर्वांगीण विकास में।
  19. शिक्षित नागरिक होने के नाते आप सर्वाधिक  बल किस बात पर देंगे -  अधिक से अधिक लोगों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित करने पर।
  20. शिक्षा का सार्थक एवं प्राथमिक उद्देश्य है -  छात्रों  के अनुभवों को अधिक से अधिक बढ़ाना।
  21. जीवन मूल्यों की शिक्षा देने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है -  परिवार की।
  22. छात्र नैतिक शिक्षा प्राप्त करते हैं -  शिक्षक द्वारा अच्छे आचरण के आदर्श प्रस्तुत करने से।
  23. शिक्षण व्यवसाय की तुलना की जा सकती है -  संवेदनशील और जवाबदेह कार्य से।
  24. अच्छे शिक्षण का विकास निर्भर करता है -  अध्यापक के ज्ञान पर।
  25. मनोवैज्ञानिक रूप से सीखना है -  व्यवहार में परिवर्तन।
  26. शिक्षण प्रक्रिया में सर्वाधिक सहायक कौन है -  शिक्षक छात्र संबंध।
  27. बाल केंद्रित शिक्षा के अंतर्गत छात्र को किस प्रकार की शिक्षा दी जानी चाहिए -  शिक्षक प्रभावी करण पर आधारित।
  28. शैक्षणिक स्तर को ऊपर उठाने के लिए -  कुशल प्रशिक्षित अध्यापकों की भर्ती करनी चाहिए।
  29. गैर औपचारिक शिक्षा का तात्पर्य है -  ऐसी शिक्षा जिसमें पाठ्यक्रम तथा समय को ऐसे बच्चों की आवश्यकता अनुसार बदला जा सके, जो किन्ही कारणों से विद्यालय में आने में असमर्थ हैं।
  30. राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्रारंभिक शिक्षा से अभिप्राय है -  जीरो से 6 वर्ष तक के बच्चों को विद्यालय शिक्षा ।
  31. राष्ट्रीय शिक्षा नीति में रटना पर बल ना देने का अर्थ है - रटंत अधिगम को कम किया जा सके।
  32. शिक्षा एक त्रिकोणीय प्रक्रिया है इसके तीन अंग हैं -  छात्र, शिक्षक,  सामाजिक परिवेश।
  33. कौन सा छात्रों की शैक्षिक निष्पत्ति को प्रभावित करने वाला सबसे महत्वपूर्ण कारक है -  कक्षा में छात्रों की कम संख्या तथा छात्रों की पारिवारिक पृष्ठभूमि।
  34. अच्छा  शिक्षण प्रकार्य है -  शिक्षण व्यवसाय के प्रति ईमानदारी और निष्ठा का।
  35. शिक्षण के लिए ज्ञान, प्रशिक्षण, अनुभव तथा अनुसंधान के अलावा किस बात की आवश्यकता पड़ती है -  अभिरुचि और सकारात्मक अभिवृत्ति की।
  36. शिक्षण अभिरुचि का एक महत्वपूर्ण पहलू है -  शिक्षकों को छात्र उन्मुख बनाने की क्षमता।
  37. यदि शिक्षक में न्याय और निष्पक्षता का गुण ना हो तो इसका क्या परिणाम होता है -  शिक्षक विश्वास और सम्मान खो देता है।
  38. आपके विचार में शिक्षण क्या है -  एक कौशल।
  39. अध्यापक संगठन का दायित्व होना चाहिए -  शिक्षकों की समस्याओं पर विचार करना तथा उन्हें दूर करने का प्रयास करना।
  40. शिक्षण व्यवसाय अन्य व्यवसायों से इसलिए उत्तम है क्योंकि इसमें -  उत्पाद यानी कि छात्र जीते जागते रूप में अध्यापक की आत्म संतुष्टि का माध्यम बनते हैं।
  41. कभी-कभी बहुत विद्वान व्यक्ति भी अच्छा शिक्षक नहीं बन पाता, इसका  संभावित कारण हो सकता है -  कक्षा में सूचना संप्रेषित करते समय छात्रों के स्तर को ध्यान में ना रखना और शिक्षण कौशल में परिपक्व न होना।
  42. आपके अनुसार शिक्षण की योजना पद्धति होनी चाहिए -  बालक केंद्रित।
  43. शिक्षण समस्याओं को हल करने की जिम्मेदारी आपके अनुसार किस की होनी चाहिए -  शिक्षकों की।
  44. आपकी दृष्टि में शिक्षण कैसा काम है -  चुनौती भरा आनंददायक।
  45. अध्यापक मुख्य रूप से किसके प्रति जवाबदेह होता है -  समाज तथा छात्रों के प्रति।
  46. एक अध्यापक का श्रेष्ठतम गुण है -   अध्यापन के प्रति पूर्ण समर्पण।
  47. उत्तम अधिगम वातावरण की शर्त है -  कड़े प्रशासन द्वारा।
  48. अध्यापक की कार्य क्षमता को बढ़ाया जा सकता है -  अध्यापक के कार्यों की सराहना करके।
  49. आपकी दृष्टि में शिक्षण व्यवसाय -  वर्तमान समय में भी श्रेष्ठ है।
  50. विद्यालय में अध्यापक का प्राथमिक कर्तव्य है -  छात्र हित को सबसे ऊपर रखे और उसी के अनुसार काम करें।
  51. आपकी दृष्टि में अच्छे स्कूलों की स्थापना की जानी चाहिए -  प्राकृतिक वातावरण में।
  52. शिक्षण व्यवसाय अपनाने हेतु किसी व्यक्ति के अंदर निम्न में से किन बातों का होना आवश्यक है -  सकारात्मक शिक्षण अभिवृत्ति एवं अभियोग्यता।
  53. शिक्षा के क्षेत्र में आप उपयुक्त एवं योग्य व्यक्तियों को किस प्रकार प्रेरित करेंगे -  शोध प्रोत्साहन एवं पुरस्कार देकर।
  54. अध्यापक के जीवन शैली किस आदर्श के अनुरूप होनी चाहिए -  सादा जीवन उच्च विचार।
  55. संपूर्ण शिक्षण व्यवस्था में सुधार लाने के लिए क्या आवश्यक है -  अध्यापक की अभिरुचि में परिवर्तन।
  56. उच्च बौद्धिक क्षमता के लोग अध्यापन में तभी आते हैं जब वे -  शिक्षक जैसा चुनौती भरा जीवन बिताना चाहते हैं।
  57. निम्नलिखित गुण समूहों में से कौन सा गुण शिक्षक के लिए उपयुक्त है -  ज्ञान, संयम, विवेक, क्षमा।
  58. सामान्य व्यवसाय की अपेक्षा अध्यापन व्यवसाय को लोग कम महत्व देते हैं -  अध्यापन कार्य में नैतिकता का बंधन होता है।
  59. जब आप कार्य आरंभ करते हैं तो किस विषय पर अधिक सोचते हैं -  कार्य की प्रकृति एवं योजना पर।
  60. आप एक प्रभावी अध्यापक के लिए आवश्यक नहीं मानते हैं -  केवल दंड देने वाला हो।
  61. छात्रों को चरित्रवान एवं अनुशासित बनाने के लिए आप -  स्वयं चरित्रवान और अनुशासित होंगे।
  62. वर्तमान में शिक्षा के गिरते स्तर का प्रमुख कारण है -  जवाबदेही में कमी, परीक्षा व्यवस्था एवं मूल्यांकन की खामियां।
  63. आपकी दृष्टि में अध्यापन व्यवसाय है -  जीवन पर्यंत पठन-पाठन का।
  64. शिक्षक का वह गुण जो उसे अन्य व्यवसायियों से अलग करता है -  अध्ययन शीलता।
  65. एक शिक्षक को होना चाहिए -  कर्तव्यनिष्ठ।
  66. आप शिक्षण व्यवसाय पसंद करते हैं क्योंकि -  आपको इसमें रुचि है।
  67. प्राथमिक स्तर पर महिलाएं बेहतर शिक्षक होती हैं क्योंकि -  वह बच्चों के साथ अधिक धैर्य पूर्ण व्यवहार करती हैं।
  68. परिवार एक साधन है -  अनौपचारिक शिक्षा का।
  69. पूर्व प्राथमिक शिक्षा का केंद्र नहीं है -  प्रारंभिक स्कूल।
  70. प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम निम्नलिखित आयु वर्गों के लिए है -  15 से 35 वर्ष।
  71. शिक्षण संबंध स्थापित करने की प्रक्रिया है -  शिक्षक, शिक्षार्थी और पाठ्यक्रम के मध्य संबंध।
  72. कौन सा गुण आप अपने छात्र में सर्वाधिक पसंद करेंगे -  जिज्ञासा।
  73. यदि कोई बालक शब्द अर्थ सीखने में कमजोर है तो उसे -  निदानात्मक परीक्षा देनी चाहिए।
  74. प्रकृति अधिगम का प्रमुख स्रोत है किसने कहा -  जीन पियाजे।

बाल विकास और शिक्षाशास्त्र में प्राथमिक शिक्षा का विकास

प्राथमिक शिक्षा का विकास

  1. शैक्षणिक प्रक्रिया में महत्वपूर्ण स्थान होता है -  बालक का।
  2. संपूर्ण प्रक्रिया का संचालन केंद्र मानकर किया जाता है -  विद्यार्थी।
  3. आधुनिक शिक्षा को कहा जाता है -  बाल केंद्रित शिक्षा।
  4. शिक्षा के क्षेत्र में बाल केंद्रित शिक्षा का श्रीगणेश करने वाला विचारक था -  रूसो।
  5. बालक का अध्ययन करने के लिए मनोवैज्ञानिक विधियां हैं -  प्रेक्षण, प्रयोग, अंतर निरीक्षण, मनोविश्लेषण।
  6. भारत वर्ष में 100% साक्षरता प्राप्ति हेतु कार्यक्रम चलाए गए -  साक्षरता आंदोलन।
  7. नई शिक्षा नीति का प्रारूप प्रस्तुत किया गया -  1986 में ।
  8. प्रारंभिक शिक्षा के नवीन प्रयास प्रारंभ हुआ -  नई शिक्षा नीति से।
  9. प्रोग्राम आफ एक्शन की घोषणा की गई -  1986 में।
  10. जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना की गई  - नई शिक्षा नीति के प्रस्ताव पर।
  11. जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान का प्रमुख कार्य है -  प्रारंभिक विद्यालयों के शिक्षकों की योग्यता में सुधार ।
  12. प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों के प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाती है -  जिला  शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान पर।
  13. जिला शिक्षा परिषद की शाखा के रूप में कार्य करता है -  जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान।
  14. विद्यालय कार्यक्रमों का संचालन होता है -  जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान पर।
  15. शिक्षा से संबंधित गैर औपचारिक कार्यक्रम का संचालन करता है -  जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान।
  16. प्रारंभिक शिक्षा संबंधी परियोजनाएं संचालित करता है -  जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान।
  17. ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड का प्रारंभ हुआ -  1987
  18. ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड का प्रस्ताव पारित हुआ -  नई शिक्षा नीति 1986 द्वारा।
  19. ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड संबंधित है -  प्राथमिक शिक्षा से।
  20. राष्ट्रीय साक्षरता मिशन प्रारंभ हुआ -  1988 में।
  21. जिला प्रारंभिक शिक्षा कार्यक्रम प्रारंभ हुआ -  1994 में।
  22. अनिवार्य एवं सार्वजनिक शिक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण कार्यक्रम है -  जिला प्रारंभिक शिक्षा कार्यक्रम।
  23. मध्यान्ह भोजन योजना प्रारंभ हुई -  15 अगस्त 1995।
  24. मध्यान्ह भोजन योजना का उद्देश्य है -  प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को पोषाहार की व्यवस्था करना।
  25. प्राथमिक विद्यालय में नामांकन में वृद्धि करना उद्देश्य है -  मध्यान्ह भोजन योजना का।
  26. प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को पका हुआ भोजन देने का प्रावधान किया गया - 2001।
  27. 2001 से पूर्व मिड डे मील में व्यवस्था थी -  3 किलोग्राम गेहूं  प्रत्येक महीने ।
  28. कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों को विद्यालय के प्रति आकर्षित करने के लिए अभियान चलाया गया -  स्कूल चलो अभियान जुलाई 1996 में।
  29. अनुसूचित जाति एवं जनजाति तथा अल्पसंख्यक वर्ग के बच्चों को विद्यालय के प्रति आकर्षित करने के लिए छात्रवृत्ति की व्यवस्था की गई -  स्कूल चलो अभियान के माध्यम से।
  30. सचल विद्यालय चलाया जाता है -  राजस्थान में।
  31. राजस्थान में घुमंतु जनजाति के परिवारों के बच्चों को शिक्षा उपलब्ध कराई जाती है -  सचल विद्यालय द्वारा।
  32. प्राथमिक शिक्षा की सर्व सुलभता हेतु बिहार में चलाया जाता है -  चरवाहा विद्यालय।
  33. स्कूल चलो अभियान अंग है -  सर्व शिक्षा अभियान का।
  34. सर्व शिक्षा अभियान नाम से नई संशोधित योजना लागू की गई है -  2001 से।
  35. सर्व शिक्षा अभियान चलाया जाता है -  मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा।
  36. सर्व शिक्षा अभियान का लक्ष्य है -  सार्वभौम अनिवार्य शिक्षा।
  37. सर्व शिक्षा अभियान का उद्देश्य है -  प्राथमिक शिक्षा को गुणात्मक तथा समुदाय केंद्र बनाना।
  38. राज्य शैक्षिक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना की गई -  1995 में।
  39. सर्व शिक्षा अभियान का लोगो है -  सब पढ़े सब बढ़े।
  40. कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना प्रारंभ हुई -  2004 में।
  41. प्राथमिक स्तर पर अनुसूचित जाति एवं जनजाति, अन्य पिछड़े वर्ग और अल्पसंख्यक वर्गों की बालिकाओं के लिए दुर्गम क्षेत्रों में आवासीय सुविधाएं उपलब्ध है -  कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में।
  42. प्राथमिक शिक्षा को 6 से 14 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों के लिए बुनियादी अधिकार बनाने हेतु संसद में 86 वा संशोधन किया -  2002 में।
  43. 86 वा संशोधन द्वारा क्या को शामिल किया गया -  मौलिक अधिकार में।
  44. शिक्षा का अधिकार मौलिक अधिकार है -  अनुच्छेद 21 क ।
  45. बच्चों को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम पारित हुआ -  2009 में।
  46. शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 लागू हुआ -  1 अप्रैल 2010 से।
  47. सामाजिक न्याय और लोकतंत्र की सफलता के लिए आवश्यक है -  प्रत्येक नागरिक को प्राथमिक शिक्षा सुलभ हो।
  48. कुछ शिक्षा संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा या धार्मिक उपासना में उपस्थित होने की स्वतंत्रता है -  अनुच्छेद 28।
  49. अल्पसंख्यकों के हितों का संरक्षण है -  अनुच्छेद  29।
  50. शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करने का अल्पसंख्यक वर्गों का अधिकार -  अनुच्छेद 30।
  51. कुछ दशकों में काम, शिक्षा और लोक सहायता पाने का अधिकार - अनुच्छेद 41।
  52. शैशव पूर्व देखभाल  तथा 6 वर्ष से नीचे आयु वर्ग के बालकों के लिए शिक्षा व्यवस्था है -  अनुच्छेद 45।
  53. अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों तथा वंचित वर्गों की शिक्षा एवं अर्थ  संबंधित हितों का संरक्षण -  अनुच्छेद 46।
  54. प्राथमिक अस्तर पर मातृभाषा में शिक्षा व्यवस्था -  अनुच्छेद 350 क ।
  55. मूल अधिकार में निहित राज्य को 6 से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को निशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराना -  अनुच्छेद 21a ।
  56. संयुक्त राष्ट्र संघ ने बालकों के अधिकारों की घोषणा की -  20 नवंबर 1989।
  57. संयुक्त राष्ट्र संघ के बालक के अधिकारों की घोषणा को भारत में स्वीकार किया -  11 दिसंबर 1992।
  58. बाल अधिकारों के प्रमुख चार बिंदु -  जन्म पंजीकरण और राष्ट्रीयता प्राप्त करने का अधिकार, बच्चे को अपने राष्ट्रीयता, नाम एवं पारिवारिक नाम बनाए रखने का अधिकार, बच्चों के माता-पिता की इच्छा के विरुद्ध अलग न करना, माता-पिता अथवा परिवार से पुनः एकीकरण और संबंध बनाए रखने का अधिकार।

बाल विकास और शिक्षाशास्त्र : राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005

राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा

 (2005)

यह विद्यालय शिक्षा का अब तक का नवीनतम राष्ट्रीय दस्तावेज है। इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर के शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों, विषय विशेषज्ञ तथा अध्यापकों ने मिलकर तैयार किया है। मानव विकास संसाधन मंत्रालय इसका नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है की पहल पर प्रोफेसर यशपाल की अध्यक्षता में देश के चुने हुए  विद्वानों ने शिक्षा को नई राष्ट्रीय चुनौती के रूप में देखा।

मार्गदर्शी सिद्धांत

  1. ज्ञान को स्कूल के  बाहरी जीवन से जोड़ा जाए।
  2. पढ़ाई को रटने की प्रणाली से मुक्त किया जाए।
  3. पाठ्यचर्या पाठ्यपुस्तक केंद्रित न रह जाए।
  4. कक्षा कक्ष को गतिविधियों से जोड़ा जाए।
  5. राष्ट्रीय मूल्यों के प्रति आस्थावान विद्यार्थी तैयार किए जाएं।
प्रमुख सुझाव

  1. शिक्षण सूत्रों जैसे ज्ञात से अज्ञात की ओर मूर्त से अमूर्त की ओर आदि का अधिकतम प्रयोग हो।
  2. सूचना को ज्ञान मानने से बचा जाए।
  3. विशाल पाठ्यक्रम व मोटी किताबें शिक्षा प्रणाली की असफलता का प्रतीक है, इन्हें जल्द से जल्द परिवर्तित किया जाए।
  4. मूल्यों को उपदेश देकर नहीं वातावरण देकर स्थापित किया जाए।
  5. बच्चों को स्कूल से बाहर के जीवन में तनाव मुक्त वातावरण प्रदान करना चाहिए।
  6. सह शैक्षिक गतिविधियों में बच्चों के अभिभावकों को भी जोड़ा जाए।
  7. वे पाठ्यपुस्तक महत्वपूर्ण होती हैं जो अंत:क्रिया का मौका दें, ऐसी पुस्तकों को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए।
  8. सजा वह पुरस्कार की भावना को सीमित रूप में प्रयोग करना चाहिए।
  9. शिक्षक प्रशिक्षण व विद्यार्थियों के मूल्यांकन को सतत प्रक्रिया के रूप में अपनाया जाए।
  10. कल्पना व मौखिक लेखन के अधिकाधिक अवसर प्रदान करावे।
Teacher Eligibility Test : राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2009

  1. प्रशिक्षुओं के पाठ्यक्रम में बच्चों के मनोवैज्ञानिक विकास के आकलन से संबंधित प्रशिक्षण सामग्री को समाहित करने की आवश्यकता है।
  2. प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में भाषा, गणित, सामाजिक विषय एवं विज्ञान विषयों का पाठ्यक्रम भी शामिल किया जाए।
  3. शिक्षक प्रशिक्षण के दौरान मूल्यों के विकास पर जोर दिया जाए। मूल्यों के विकास में प्रयोगात्मक और क्रियात्मक तकनीकी को समाहित करने की आवश्यकता है।
  4. 10+2 स्तर के बाद 4 या 5 वर्ष का प्रशिक्षण कोर्स होना चाहिए।
  5. प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षुओं को अनौपचारिक, प्रौढ़ शिक्षा विषयक प्रशिक्षण तकनीकी पर प्रशिक्षित किया जाए।
  6. प्रशिक्षण के दौरान इंटर्नशिप से संबंधित क्रियाकलापों को प्रायोगिक रूप से किए जाने की आवश्यकता है।
  7. शिक्षकों के लिए “पूर्व बाल्यावस्था शिक्षण की तकनीकी” पर प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाए।
  8. शिक्षक शिक्षा हेतु राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2009 एक नवीनतम दस्तावेज है। इसका मुख्य उद्देश्य योग्य, पेशेवर और मानवीय मूल्यों से युक्त शिक्षकों को तैयार करना है। इस दस्तावेज में शिक्षक शिक्षा हेतु प्रमुख सुझाव निम्नलिखित हैं -
  9. प्रशिक्षण के दौरान प्रत्येक क्षेत्र में जैसे प्रश्न पत्र निर्माण, पाठ्यपुस्तक विश्लेषण, मूल्यांकन प्रक्रिया आदि के संदर्भ में क्रियात्मक या प्रायोगिक कार्य पर विशेष जोर देना चाहिए।

प्रारंभिक शिक्षा से संबंधित संवैधानिक अनुच्छेद

प्रारंभिक शिक्षा से संबंधित संवैधानिक अनुच्छेद

अनुच्छेद 21(A) - संविधान के अनुच्छेद 21(a) के अंतर्गत राज्य को 6 से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को निशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध करानी होगी और यह राज्य द्वारा निर्धारित कानून के अंतर्गत होगा।

अनुच्छेद 29 - अनुच्छेद 29 में अल्पसंख्यक वर्गों के शैक्षणिक हितों का संरक्षण का प्रावधान किया गया है। कोई भी अल्पसंख्यक वर्ग अपनी भाषा, लिपि, और संस्कृति को सुरक्षित रख सकता है और उसे केवल भाषा, जाति, धर्म और संस्कृति के आधार पर उसे किसी भी सरकारी शैक्षिक संस्था में प्रवेश से रोका नहीं जाएगा। वर्तमान में 6 समुदाय मुस्लिम ,पारसी, ईसाई, सिख, बौद्ध एवं जैन को अल्पसंख्यक वर्ग का दर्जा प्रदान किया गया है।

अनुच्छेद 29(2) - किस अनुच्छेद के अंतर्गत राज्य द्वारा पोषित या राज्य विधि से सहायता प्राप्त करने वाली किसी शिक्षा संस्था में किसी नागरिक को केवल धर्म, जाति, प्रजाति, भाषा या इन में से किसी एक के आधार पर प्रवेश देने से नहीं रोका जाएगा।

अनुच्छेद 30 - इस अनुच्छेद में शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करने का अल्पसंख्यक वर्गों का अधिकार दिया गया है। कोई भी अल्पसंख्यक वर्ग अपनी पसंद का शैक्षणिक संस्थान चला सकता है और सरकार उसे अनुदान देने में किसी भी तरह का भेदभाव नहीं करेगी।

अनुच्छेद 45 - किस अनुच्छेद के अंतर्गत राज्य के इस संविधान के लागू होने के समय से 10 वर्ष के अंतर्गत सभी बच्चों के लिए जब तक वे 14 वर्ष के नहीं हो जाते निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने का प्रयास करेगा।


शिक्षा में बाल अधिकार

संयुक्त राष्ट्र संघ-यू एन ओ  ने मानव अधिकारों की सार्वजनिक घोषणा में 10 दिसंबर 1950 को सभी देशों को याद दिलाया कि प्रत्येक बालक बालिका को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है तथा शिक्षा को प्रारंभिक स्तर पर निशुल्क होना चाहिए।

बालकों के श्रम का  प्रतिषेध एवं उनको प्रदत्त संवैधानिक प्रत्याभूति के रूप में अनुच्छेद 14, 15(3), 21, 24,39(ड), एवं 39 च , 41, 45 एवं 46 विशेष महत्वपूर्ण है।

संयुक्त राष्ट्र संघ ने बालकों के अधिकारों की घोषणा 20 नवंबर 1989 में की। इस घोषणा का मूल्य उद्देश्य विश्व के समस्त बालकों और बालिकाओं के लिए मूलभूत मानवीय अधिकारों को सुनिश्चित करना था। भारत सरकार ने इस घोषणा को 11 दिसंबर 1992 को स्वीकार किया जिसके बिंदु निम्नलिखित प्रकार से  हैं - 

बच्चों के जन्म के तुरंत बाद पंजीकरण और राष्ट्रीयता प्राप्त करने का अधिकार है।
बच्चों को माता-पिता की इच्छा के विरुद्ध  अलग ना रखना।
बच्चों के अपहरण, क्रय विक्रय एवं व्यापार को रोकने के लिए राष्ट्र द्वारा कानून बनाना।
माता-पिता अथवा परिवार से पुनः एकीकरण और संबंध बनाए रखने का अधिकार।
बच्चों को नशीले  पदार्थों का प्रयोग करने से रोकना।
जहां गोद लेने की मान्यता है वहां बच्चों के हित को ध्यान में रखना।
लैंगिक शोषण से बचाना।
बच्चों को आर्थिक,  शारीरिक, मानसिक तथा नैतिक दृष्टि से शोषण होने से बचाना। 

Teacher Eligibility Test : बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009

आरटीई (RTE)अधिनियम क्या है

निशुल्‍क और अनिवार्य बाल शिक्षा (आरटीई) अधिनियम 2009 में बच्‍चों का अधिकार, जो अनुच्‍छेद 21क के तहत परिणामी विधान का प्रतिनिधित्‍व करता है, का अर्थ है कि औपचारिक स्‍कूल, जो कतिपय अनिवार्य मानदण्‍डों और मानकों को पूरा करता है, में संतोषजनक और एकसमान गुणवत्‍ता वाली पूर्णकालिक प्रांरभिक शिक्षा के लिए |

शिक्षा का उद्देश्य क्या है

राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 के मुताबिक, शिक्षा के व्यापक लक्ष्य हैं, बच्चों के भीतर विचार और कर्म की स्वतंत्रता विकसित करना, दूसरों के कल्याण और उनकी भावनाओं के प्रति संवेदनशीलता पैदा करना, और बच्चों को नई परिस्थितियों के प्रति लचीले और मौलिक ढंग से पेश आने में मदद करना।

प्रारंभिक शिक्षा का अधिकार कानून कब बना

शिक्षण अधिकार सर्व शिक्षा अभियान संविधान (86वां) संशोधन अधिनियम, 2002 के माध्‍यम से भारत के संविधान में अनुच्‍छेद 21-क शामिल किया गया है ताकि छह से चौदह वर्ष आयु वर्ग के सभी बच्‍चों को विधि के माध्‍यम से राज्‍य द्वारा यथा निर्धारित मौलिक अधिकार के रूप में नि:शुल्‍क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान की जा सके।

'शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009', 1 अप्रैल, 2010 से सम्पूर्ण भारत में लागू कर दिया गया । इसका प्रमुख उद्देश्य है- वर्ष आयु तक के सभी बच्चों को मुफ्त एवं अनिवार्य, गुणवतायुक्त शिक्षा को सुनिश्चित करना । इस अधिनियम को सर्व शिक्षा अभियान तथा वर्ष 2005 के विधेयक का ही संशोधित रूप कहा जाए, तो समीचीन ही होगा ।

Teacher Eligibility Test : बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 में निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान है। इसके अंतर्गत 7 अध्याय और 38 खंड हैं जिसमें अध्याय निम्न प्रकार से हैं -
प्रस्तावना
निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार
केंद्र राज्य स्थानीय सरकारों और अभिभावकों का दायित्व
स्कूल और शिक्षकों के दायित्व
प्रारंभिक शिक्षा के पाठ्यक्रम को पूरा किया जाना
बाल अधिकारों का संरक्षण
अन्य प्रासंगिक बातें
शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की विशेषताएं
भारत के 6 से 14 वर्ष आयु वर्ग के बीच आने वाले सभी बच्चों को मुफ्त तथा अनिवार्य शिक्षा।
कक्षा 1 से कक्षा 8 तक की शिक्षा 'प्राथमिक शिक्षा' के रूप में परिभाशित।
प्राथमिक शिक्षा खत्म होने से पहले किसी भी बच्चे को रोका नहीं जाएगा, निकाला नहीं जाएगा या बोर्ड परीक्षा पास करने की जरूरत नहीं होगी।

लार्ड मैकाले आज्ञा पत्र 1813

लार्ड मैकाले आज्ञा पत्र 1813

प्राचीन साहित्य की आलोचना के बाद लॉर्ड मैकाले ने सन 1813 में पत्र की विवेचना अपने ढंग से की इसकी प्रमुख विशेषताएं निम्न प्रकार थी -

'साहित्य' शब्द जो इस आज्ञा पत्र में प्रयुक्त किया गया था, इसका अर्थ प्राचीन साहित्य से नहीं बल्कि अंग्रेजी साहित्य से था।
मैकाले ने विद्वान शब्द की व्याख्या उन भारतीय विद्वानों के लिए कि जिन्हें 'जॉन लॉक' के दर्शन तथा 'मिल्टन' की कविताओं का ज्ञान था।
मैकाले के अनुसार अंग्रेजी विश्व की सर्वोत्तम भाषा है। भारत में इसकी शिक्षा दी जानी चाहिए क्योंकि शासक तथा उच्च वर्ग इस का ही प्रयोग करते थे।
अंग्रेजी भाषा द्वारा ज्ञान के विशाल भंडार को प्राप्त किया जा सकता था ऐसा मैकाले का मानना था।
अंग्रेजी ही नवजागरण का एकमात्र साधन था।
विश्व के उन्नतशील राष्ट्र अंग्रेजी बोलते हैं।
जिस प्रकार लैटिन भाषा के कारण इंग्लैंड में नवजागरण आया उसी प्रकार अंग्रेजी के माध्यम से भारत भी विकसित हो सकता है।
मैकाले के इन विचारों को तत्कालीन गवर्नर जनरल द्वारा स्वीकार कर लिया गया और पाश्चात्य शिक्षा की प्रगति के लिए समुचित शिक्षा नीति घोषित कर दी गई।

वुड का घोषणा पत्र 1854

वुड का घोषणा पत्र की प्रमुख सिफारिशें निम्न प्रकार से हैं -

ब्रिटिश संसद ने एक संसदीय प्रवर समिति की नियुक्ति की जिसके अध्यक्ष  वुड ने 19 जुलाई 1854 को अपनी शिक्षा नीति घोषित की।
भारतीय क्षेत्र में शिक्षा का प्रचार प्रसार करना कंपनी का उत्तरदायित्व है। इस प्रकार शिक्षा का दायित्व कंपनी के कंधों पर डाल दिया गया।
घोषणा पत्र  प्राची साहित्य को अच्छा मानता है किंतु शिक्षा का अंतिम उद्देश्य यूरोपीय साहित्य, विज्ञान, कला, दर्शन तथा धर्म का ज्ञान प्रदान करना है।
शिक्षा का माध्यम यूरोपीय भाषा अंग्रेजी होनी चाहिए क्योंकि यूरोपीय ज्ञान का विशाल ज्ञान भंडार केवल अंग्रेजी के माध्यम से ही प्राप्त किया जा सकता है।
प्रत्येक प्रांत में जन शिक्षा विभाग स्थापित किए जाएं।
हायर सेकेंडरी स्तर पर भारतीय भाषाओं का अध्ययन कराया जाना चाहिए।
'निस्पंदन सिद्धांत' के विरुद्ध घोषणा पत्र में जनसाधारण की शिक्षा के लिए अधिक से अधिक मात्रा में शिक्षा सुविधाएं उपलब्ध कराने की बात कही गई थी।
स्त्री शिक्षा के विकास के लिए उदारता पूर्वक बालिका विद्यालयों को अनुदान देने की घोषणा की गई।
व्यवसायिक शिक्षा की प्रगति के लिए चिकित्सा कानून तथा इंजीनियरिंग की शिक्षा की व्यवस्था करनी चाहिए।

हंटर कमीशन 1882

हंटर आयोग ने अपनी सिफारिशें और सुझाव शिक्षा के नियम क्षेत्रों में दिए  थे -

प्राथमिक शिक्षा
माध्यमिक शिक्षा
उच्च शिक्षा
सहायता अनुदान प्रणाली
स्त्री शिक्षा
मुस्लिम शिक्षा
हरिजनों और पिछड़े वर्ग की शिक्षा
आदिवासियों और पर्वतीय जातियों की शिक्षा
धार्मिक शिक्षा
देसी पाठशाला 
हंटर आयोग की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं -

आयोग ने शिक्षा का उत्तरदायित्व भारतीयों को देने का सुझाव दिया जिससे देश में राष्ट्रीय चेतना का विकास हुआ।
आयोग ने भारतीय शिक्षा के विकास के लिए एक निश्चित नीति दी और 1854 के वुड घोषणा पत्र के द्वारा निर्धारित सिद्धांतों को  पुष्ट किया।
आयोग की सिफारिशों के परिणाम स्वरूप मुस्लिम शिक्षा, स्त्री शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा तथा हरिजनों एवं पिछड़ी जातियों आदि के शैक्षिक विकास में सहायता मिली।

हंटर आयोग की कमियां अथवा  दोष

आयोग की सिफारिशों में मौलिकता की कमी थी। सिफारिशें वुड डिस्पैच से ली गई थी।
आयोग ने मुसलमानों की शिक्षा के लिए प्रथक से सिफारिश की जिससे देश में सांप्रदायिकता उत्पन्न हुई।
आयोग ने व्यवसायिक शिक्षा तथा शिक्षक प्रशिक्षण पर बहुत कम ध्यान दिया।
सरकार के शिक्षा के क्षेत्र से हट जाने के कारण निजी विद्यालय इतनी तीव्रता से बड़े कि शिक्षा का विकास संख्यात्मक रूप से तो हुआ परंतु शिक्षा की गुणवत्ता घटने लगे, क्योंकि निजी प्रबंधकों ने शिक्षा को लाभ प्राप्त करने का साधन बना लिया था।

हंटर आयोग का भारतीय शिक्षा पर प्रभाव निम्नांकित प्रकार से पड़ा -

शिक्षा के समस्त स्तरों पर विद्यालयों की संख्या में अपूर्व वृद्धि हुई।
छात्रों की संख्या में वृद्धि हुई।
शिक्षा का अधिक  प्रसार हुआ।
शिक्षा का भारतीय करण हुआ।
मिशनरियों ने अपना ध्यान नगरों की शिक्षा से हटाकर पिछड़े इलाकों की शिक्षा पर केंद्रित किया।
भारतीय शिक्षित वर्ग में शिक्षा के प्रति रुचि में वृद्धि हुई।
शिक्षा पुस्तकीय ज्ञान पर आधारित एवं  सैद्धांतिक बन गई।

ब्लॉक तथा न्याय पंचायत स्तर पर शैक्षिक अभिकरण

ब्लॉक तथा न्याय पंचायत स्तर पर शैक्षिक अभिकरण

Teacher Eligibility Test : ब्लॉक संसाधन केंद्र (B.R.C.) तथा न्याय पंचायत संसाधन केंद्र (N.P.R.C.)

ब्लाक स्तर पर ब्लाक संसाधन केन्द्र ( बीआरसी) तथा समष्टि/ समूह ( क्लस्टर) स्तर पर न्याय पंचायत संसाधन केन्द्र ( एनपीआरसी) नियमित रूप से शैक्षिक समर्थन प्रदान कर रहे हैं, अध्यापक प्रशिक्षण संचालित कर रहे हैं, कार्यशालाओं, बैठकों तथा समकक्षीय शिक्षा के केंद्र के साथ- साथ उत्कृष्ट व्यवहार की सहभागिता का अनुश्रवण कर रहे हैं।

पूर्व में सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी के उत्तरदायित्वों में शैक्षिक स्तर का निरीक्षण एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा स्तर सुनियोजित करना था। किन्तु विद्यालयों की संख्या एवं छात्रों के पंजीयन में एकाएक वृद्धि हो जाने के कारण शैक्षिक जगत की स्थितियां बेसिक शिक्षा अधिकारी के नियन्त्रण शक्ति से परे होने लगीं, जिसके फलस्वरूप शिक्षा जगत में संकट की स्थितियां उत्पन्न हो गयीं। अतः ऐसी असामान्य स्थिति के संशोधन हेतु कोठारी आयोग ने विद्यालय को समष्टि/ समूह के रूप में परिकल्पिक करते हुये " विद्यालय क्लस्टर" ( विद्यालय समष्टि) की अवधारणा के आधार पर प्रत्येक विद्यालय में एक " समिती" गठन का परामर्श दिया, ताकि शिक्षा की गुणवत्ता एवं विद्या अर्जन की उपलब्धियों में अभिवृद्धि हो सके।

प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्तर के उपर्युक्त 17 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में बीआरसी / एनपीआरसी समन्वयकों की भूमिका एवं उत्तरदायित्व निर्वहन हेतु उन्हें प्रभावी निरीक्षण एवं पर्यवेक्षण का प्रशिक्षण दिया गया।

पदों का सृजन

परियोजना उत्तरदायित्वों को बीआरसी / एनपीआरसी की दिन - प्रतिदिन की गतिविधियों के अनुकूल क्रियान्वित किये जाने हेतु बीआरसी समन्वयक एवं एनपीआरसी समन्वयक के पद सृजित किये गये हैं। 

चयन प्रक्रिया

बीआरसी- समन्वयक एवं एनबीआरसी- समन्वयक की महत्त्वपूर्ण भूमिकाओं के दृष्टिगत उनका चयन सावधानी के साथ किया जाना आवश्यक है। इस प्रकार से बीआरसी/ एनपीआरसी समन्वयकों के चयन हेतु सुनियोजित चयन प्रक्रिया के अन्तर्गत लिखित परीक्षा एवं साक्षात्कार प्राविधानित किया गया है। 
लिखित परीक्षा के संचालन हेतु निम्नांकित सदस्यों वाली समिति गठित की गयी है-

प्राचार्य डीआईईटी अध्यक्ष  
विशेषज्ञ बी0 एस0 ए0 सदस्य - सचिव
 उपप्राचार्य,  डीआईईटी उपाध्यक्ष
वरिष्ठ प्रवक्ता,  डीआईईटी सदस्य
उप बेसिक शिक्षा अधिकारी सदस्य
चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता का सावधानीपूर्वक निर्वाह किया जाता है। 
प्राथमिक शिक्षा के प्रबंधन के लिए ब्लॉक स्तर पर बीआरसी तथा एनपीआरसी की स्थापना की गई है। इन केंद्रों पर किए जाने वाले समस्त कार्यों को निम्नांकित प्रकार से वर्गीकृत किया जाता है -
अकादमिक कार्य - इसके कार्य निम्न प्रकार से हैं -

विद्यालय भ्रमण एवं शैक्षिक अनु समर्थन।
बैठकों एवं गोष्ठियों का आयोजन।
प्रतियोगिताओं का आयोजन।
प्रशासनिक तथा वित्तीय कार्य -  इसके अंतर्गत निम्न कार्य आते हैं -

कार्य योजना बनाना।
क्रियान्वयन।
अभिलेखों का रखरखाव।
प्रबंधन।
ब्लाक स्तर पर ब्लाक संसाधन केन्द्र (B.R.C.) तथा समष्टि/ समूह स्तर पर न्याय पंचायत संसाधन केन्द्र (N.P.R.C.) नियमित रूप से शैक्षिक समर्थन प्रदान कर रहे हैं, अध्यापक प्रशिक्षण संचालित कर रहे हैं, कार्यशालाओं, बैठकों तथा समकक्षीय शिक्षा के केंद्र के साथ- साथ उत्कृष्ट व्यवहार की सहभागिता का अनुश्रवण कर रहे हैं।

Teacher Eligibility Test : भौतिक एवं वित्तीय संसाधन

बीआरसी एवं एन बी पी आर सी के आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु यथेष्ट भौतिक एवं आर्थिक संसाधन उपलब्ध कराये जा रहे हैं। यथा - इन्हें टी 0 वी 0, वी 0 सी 0 आर 0, जेनरेटर सेट, दृष्य - श्रव्य सामग्री, पुस्तकें, पत्रिकायें, टाट - पट्टी, दरी, कुर्सियां, मेज, अलमारी, आकस्मिकता सामग्री, यात्रा भत्ता एवं दैनिक भत्ता आदि उपलब्ध कराया जा रहा है। इस हेतु वित्त समिति है, एबीएसए समिति के अध्यक्ष हैं जो वित्त समिति के सहयोग से धन व्यय हेतु अधिकृत हैं। इस प्रकार से बीआरसी एवं एनपीआरसी उपयुक्त भवनों में कार्यरत है और समस्त संसाधनों सहित शैक्षिक क्षेत्र का नेतृत्व कर रहे हैं। इन केन्द्रों में संगीत के उपकरण भी स्थापित हैं जिनकी सहायता से बीआरसी एवं एनपीआरसी समन्वयक अध्यापकों को ग्रामीण क्षेत्रों में उपयुक्त वातावरण को सृजित करने में सहयोग करते हैं। बीआरसी एवं एनपीआरसी समन्वयक महिलाओं व पुरूषों के निमित्त कार्यक्रमों  के समाधान हेतु अभियान का भी प्रबन्धन कर सकते हैं। इस प्रकार से बीआरसी एवं एनपीआरसी बच्चों की विद्यार्जन प्रक्रिया एवं उनकी हर क्षेत्र की प्रोन्नति हेतु निरन्तर कार्यरत हैं।

बीआरसी / एनपीआरसी समन्वयकों का सशक्तिकरण

परियोजना के उत्तरदायित्वों को बीआरसी/ एनपीआरसी की दिन- प्रतिदिन की गतिविधियों के अनुकूल क्रियान्वित किये जाने हेतु बीआरसी समन्वयक एवं एनपीआरसी समन्वयक के पद सृजित किये गये हैं। बीईपी अर्थात् बेसिक शिक्षा परियोजना में मात्र एक बीआरसी- समन्वयक का पद है किन्तु D.P.E.P.- ।। अर्थात् जनपदीय प्राथमिक शिक्षा परियोजना श्रृंखला- दो में बीआरसी- समन्वयक पद के साथ ही सहायक बीआरसी- समन्वयक का पद भी सृजित किया गया है जबकि D.P.E.P.- ।।। में बीआरसी स्तर पर इन दो पदों के साथ ही दो सहायक समन्वयकों के पद भी सृजित किये गये हैं। वर्तमान में बी आर सी स्तर पर ७ सह समन्यक कार्य केर रहे है।

क्षमता निर्माण

विद्यालय स्तर पर अध्यापकों के समर्थन हेतु बीआरसी एवं एनपीआरसी समन्वयकों का सशक्तिकरण एवं क्षमता निर्माण अति महत्वपूर्ण है। अध्यापकों के आधारभूत प्रशिक्षण योजना के अन्तर्गत इनका  "समर्थन" शैली के अन्तर्गत तीन दिवसीय अभिमुखीकरण कार्यषाला ( व्तपमदजंजपवद) आयोजन भी किया गया। इस प्रशिक्षण योजना में निम्नांकित बिन्दु सम्मिलित थे -

सुनियोजन - इस कार्यशाला  में समन्वयकों को वार्षिक योजना, त्रैमासिक योजना एवं मासिक योजना विकसित करने के कौषल में प्रषिक्षित किया गया। उन्हें विद्यालय निरीक्षण करने/ अध्यापकों को शैक्षिक समर्थन देने, प्रषिक्षण, बैठक, संगोष्ठी, कार्यशाला, यात्रा, पर्यवेक्षण, अभिलेखीकरण आदि कार्य सम्पन्न करने से सुपरिचित कराया गया।

आयोजन ( कार्यक्रमों का क्रियान्वयन ) - समन्वयकों को कार्यक्रमों के विविध प्रारूपों यथा - कार्य विभाजन, कार्यक्षेत्र, उत्तरदायित्व विकेन्द्रीकरण तथा आयोजनों की प्रणालियों से भी परिचित कराया गया। उन्हें अभिलेखों के रख- रखाव, सहभागिता की शैली में कार्य करने, सहयोग प्राप्त करने, सामूहिक कार्य संचालित करने एवं सीमित समय को प्रभावी ढंग से विभाजित करने ( समय प्रबन्धन) के कौषल में भी प्रषिक्षित किया गया।  

प्रबन्धन - आधारभूत प्रशिक्षण कार्यशाला  में प्रबन्धन कौशल  के विविध आयामों, यथा- निर्णय क्षमता, परिस्थिति आंकलन, धन व समय की अधिकतम उपयोगिता, दिषा- निर्देष प्रदान करने का अनुभव तथा दूसरों से सहयोग प्राप्त करने के कौशल  में प्रशिक्षित  किया गया।        

मूल्यांकन एवं  विश्लेषण - आधारभूत प्रशिक्षण  के समय मूल्यांकन/ विष्लेषण के मानकों में भी उन्हें प्रशिक्षित  किया जाता है। इसलिए शिक्षा- शास्त्र के प्रकाश में डीपीईपी में मूल्यांकन/ विशलेषण के 38 मानक विकसित किये गये। विद्यालयों को ए, बी, सी, डी के अनुक्रम में ग्रेड प्रदान किया जाने लगा। अव्यहारिकता के दृष्टिगत 10 बिन्दु वाले मानक विद्यालयों के ग्रेडिंग हेतु निर्धारित किये गये। इसी प्रकार से डीआईईटी द्वारा बीआरसी एवं एनपीआरसी की ग्रेडिंग की जाती है।            

अभिलेखीकरण ( प्रगति लेखन ) - इन समन्वयकों को सूक्ष्म, पारदर्शी  एवं निष्पक्ष प्रगति लेखन के कौषल में भी प्रषिक्षित किया जाता है।              

संसाधन व्यक्तियों का चिन्हांकन - पठन- पाठन के क्षेत्र में अतिरिक्त रूप से मार्गदर्शन  देने के उद्देश्य से ये संसाधन व्यक्ति बैठकों, कार्यषालाओं एवं संगोष्ठियों में आमंत्रित किये जाते हैं। इन संसाधन व्यक्तियों द्वारा अध्यापन सम्बन्धी विविध समस्याओं का निवारण किया जाता है।                

वित्तीय प्रषिक्षण - कैश बुक पूर्ण करने व इसके रख- रखाव, आय- व्ययक विवरण तेयार करने एवं वित्तीय रूप- पत्रों को भरने तथा इसके रख- रखाव का वित्तीय प्रषिक्षण,यात्रा भत्ता/ दैनिक भत्ता प्रारूप भरने, कोटेशन  आमंत्रण, तुलनात्मक तालिका बनाने, सामग्री प्रापक आदेश  एवं बिल भुगतान विधि का प्रशिक्षण।
कार्यशाला  की परिकल्पना पर प्रशिक्षण।
उपरोक्त के अतिरिक्त B.R.C./ N.P.R.C. समन्वयकों को अभिलेखों एवं विद्यालय पुस्तकालय के रखरखाव, छोटे स्तर की प्रतियोगिताओं का संचालन, न्यूज लेटर प्रकाशन  तथा संसाधन व्यक्तियों की टीम बनाने के कार्यों में भी प्रशिक्षित  किया जाता है।           

Teacher Eligibility Test : शैक्षिक समर्थन एवं पर्यवेक्षण

इस प्रकार से N.P.R.C. समन्वयकों को माह में एक बार समस्त प्राथमिक विद्यालयों तथा बीआरसी समन्वयकों एवं सहायक समन्वयकों को माह में 20 प्राथमिक विद्यालयों का भ्रमण करना चाहिये।
अध्यापक प्रशिक्षण  ( वर्ष 2010-2011)

प्राथमिक स्तर
निरन्तर विस्तृत मूल्यांकन (C.C.E.) पर प्रशिक्षण  (2 दिवसीय )।
पठन कौशल  एवं अंकीय कौषल विकास प्रशिक्षण (2 दिवसीय) । 
अंग्रेजी अध्यापन प्रशिक्षण (3 दिवसीय)। 
आरटीई अधिनियम , 2009 के सन्दर्भों पर प्रषिक्षण (3 दिवसीय)।

Teacher Eligibility Test : उच्च प्राथमिक स्तर 
व्यवहारिक गणित अध्यापन प्रशिक्षण (2 दिवसीय)
व्यवहारिक विज्ञान अध्यापन प्रशिक्षण (2 दिवसीय)
अंग्रेजी अध्यापन प्रशिक्षण (3 दिवसीय)

जिला स्तर पर शैक्षिक अभिकरण

जिला स्तर पर शैक्षिक अभिकरण

बेसिक शिक्षा परिषद 

जूनियर हाई स्कूल तथा बेसिक प्रशिक्षण प्रमाण पत्र प्रदान करना।
शिक्षकों के प्रशिक्षण की व्यवस्था करना।
शैक्षिक स्तर का उन्नयन करना।
जिला एवं नगर बेसिक शिक्षा समितियों द्वारा स्थापित संस्थाओं के लिए स्तर मापक निर्धारण करना।
सर्व शिक्षा अभियान
विद्यालयों में मध्यान्ह भोजन योजना का राष्ट्रीय कार्यक्रम
कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय योजना (वर्ष 2007-08 से सर्व शिक्षा अभियान में सम्मिलित )
शिक्षा की पहुँच का विस्तार
बच्चों के ठहराव में वृद्धि
शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार
इस प्रकार प्रारम्भिक शिक्षा की सार्वभौमिकरण के लक्ष्य की प्राप्ति हेतु सुनियोजित एवं समयबद्ध कार्यक्रम संचालित हैं

जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (D.I.E.T.)

पूर्व-सेवा प्रशिक्षण
सेवाकालीन प्रशिक्षण
अनुसंधान / अध्ययन / सर्वेक्षण
शैक्षणिक सहायता
प्रशिक्षण मॉड्यूल और उपकरणों का विकास
बीटीसी प्रशिक्षण -
बीटीसी और एनटीटी पाठ्यक्रम के संचालन के लिए एनसीटीई से मान्यता प्राप्त निजी संस्थानों से संबद्धता प्रदान करना।
शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) आयोजित करना।
बीटीसी, स्पेशल बीटीसी, दो साल उर्दू बीटीसी 2005, 2006 (आईआईटी) और 2006 (IInd) के लिए परीक्षा आयोजित करना।
दूर के मोड के माध्यम से बीटीसी प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले शिक्षा मित्र के लिए परीक्षा आयोजित करना।
२०११ के प्रशिक्षु शिक्षा चरण के प्रशिक्षुओं के लिए परीक्षा आयोजित करना।
बीटीसी प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले प्रशिक्षुओं के लिए रोगग्रस्त (मृतक आश्रित) के रूप में परीक्षा आयोजित करना।
विभिन्न छात्रवृत्ति कार्यक्रमों के लिए परीक्षा आयोजित करना।
सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा।
सेवा पूर्व शिक्षक प्रशिक्षण विभाग।
कार्यानुभव विभाग।
जिला संस्थान इकाई।
सेवारत कार्यक्रम क्षेत्रीय संपर्क तथा प्रवर्तन समन्वय विभाग।
पाठ्यक्रम सामग्री विकास एवं मूल्यांकन विभाग।
शैक्षिक तकनीकी विभाग।
नियोजन एवं प्रबंधन विभाग।

प्राथमिक शिक्षा से सम्बन्धित गैर सरकारी निजी विद्यालयों को मान्यता एवं सामान्य नियंत्रण के कार्य हेतु उ० प्र० बेशिक शिक्षा परिषद का गठन 25 -7-1972 को किया गया | ऐसे विद्यालयों कि देख रेख हेतु मण्डल स्तर पर मण्डलीय सहायक शिक्षा निदेशक (बेसिक ) तथा जनपद स्तर पर बेसिक शिक्षा अधिकारी तथा विकास खण्ड स्तर पर खण्ड शिक्षा अधिकारियों कि व्यवस्था रखी गई| परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक / शिक्षणेत्तर कर्मचरियों के वेतन वितरण , सामान्य भविष्य निर्वाह निधि कि धनराशि के रख -रखाव एवं सेवा निवृत्त लाभों के भुगतान हेतु बेसिक शिक्षा परिषद में लेखा संगठन की भी स्थापना वर्ष 1986 में की गई जिसके अन्तर्गत जनपदों के वित्त एवं लेखाधिकारी (बेसिक शिक्षा) तथा परिषद मुख्यालय पर वित्त नियंत्रक बेसिक शिक्षा का अधिष्ठान स्थापित किया गया | यह एक स्वायत्तशासी निकाय है। बेसिक शिक्षा परिषद के कार्य निम्नांकित प्रकार से हैं -

प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण के लक्ष्य की प्राप्ति हेतु निम्नलिखित परियोजनायें संचालित की गई हैं :

Teacher Eligibility Test :उपर्युक्त परियोजनाओं के माध्यम से निम्नलिखित लक्ष्य प्राप्ति करने की व्यवस्था की गई :-


भारत सरकार द्वारा प्राथमिक और उच्च प्राथमिक शिक्षकों को अकादमिक सहायता प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा अलग-अलग चरणों में DIETs की स्थापना की गई है, इन-सेवा और पूर्व-सेवा प्रशिक्षण, वयस्क कार्यक्रम और कार्यक्रम आयोजित करके अन्य शैक्षणिक कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण। वर्तमान में राज्य में 70 डाइट एससीईआरटी के तहत काम कर रहे हैं।

DIET 2 साल का BTC प्रशिक्षण आयोजित करता है। यह राज्य सरकार के निर्देशों के अनुसार समय-समय पर विशेष बीटीसी और उर्दू बीटीसी प्रशिक्षण आयोजित करता है। इनके अलावा, DIET प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों को विषय-आधारित, कौशल-आधारित और योग्यता-आधारित प्रशिक्षण प्रदान करता है, शिक्षा मित्र, BRC और NPRC समन्वयकों के लिए प्रशिक्षण आयोजित करता है, वैकल्पिक शिक्षा के प्रशिक्षकों को शैक्षणिक सहायता प्रदान करता है और साक्षरता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और ग्राम शिक्षा समिति। 
डाइट के मुख्य कार्य इस प्रकार हैं: -

परीक्षा नियंत्रक प्राधिकरण, उत्तर प्रदेश, प्रयागराज- परीक्षा नियंत्रक प्राधिकरण, उत्तर प्रदेश का कार्यालय प्रयागराज में स्थित है। यह कार्यालय समय-समय पर जारी किए गए GO के अनुसार नियमित परीक्षा और अन्य विभिन्न परीक्षाएं आयोजित करता है। निदेशक, राज्य विज्ञान शिक्षा संस्थान, उत्तर प्रदेश, प्रयागराज पदेन सचिव, परीक्षा नियंत्रक प्राधिकरण, उत्तर प्रदेश है। 

परीक्षा नियंत्रक प्राधिकरण, उत्तर प्रदेश के मुख्य कार्य इस प्रकार हैं: -

1986 के राष्ट्रीय शिक्षा नीति के द्वारा निर्धारित रणनीति के द्वारा 1987 में प्रत्येक जिले में  जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों के स्थापना का कार्य प्रारंभ किया गया। 

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय इग्नू

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (I.G.N.O.U.)

Teacher Eligibility Test : इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय इग्नू की स्थापना सितंबर 1985 में हुई थी। इसका दायित्व देश की शिक्षा व्यवस्था में मुक्त विश्वविद्यालयों को बढ़ावा देना एवं सुदूर शिक्षा प्रणाली प्रारंभ होने के साथ ही ऐसी प्रणाली में समन्वय और मानकों को निर्धारण करना है।

इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू‎ -IGNOU) भारतीय संसदीय अधिनियम के द्वारा सितम्बर, 1985 में स्थापित एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय है। इसका मुख्य कार्यालय नयी दिल्ली (मैदान गढ़ी) में स्थापित है। यह दुनिया का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय है। भारत और अन्य 33 देशों के लगभग 40 लाख विद्यार्थी इसमें अध्ययन करते हैं। यह विश्वविद्यालय भारत में मुक्त और दूरवर्ती अध्ययन का राष्ट्रीय संसाधन केंद्र भी है तथा दूरवर्ती शिक्षा में दुनिया का नायक है।

शिक्षण और अनुसंधान के अलावा, विस्तार और प्रशिक्षण इस विश्वविद्यालय की शैक्षणिक गतिविधियों का मुख्य आधार है।
उद्देश्य
इंदिरा गांधी राष्‍ट्रीय मुक्‍त विश्‍वविद्यालय की स्‍थापना संसदीय अधिनियम के जरिए 1985 में की गई थी जिसे दो जिम्‍मेदारियां सौंपी गई थी-
दूरस्‍थ शिक्षा पद्वति के माध्‍यम से उच्‍चतर शिक्षा की सुलभता एंव समानता में वृद्वि करना,
मुक्‍त अधिगम (ओपेन लर्निंग) त्तथा दूरस्‍थ शिक्षा प्रणालियों में मानकों का प्रोन्‍नयन, समन्‍वयन तथा निर्धारण करना।
इंदिरा गांधी राष्‍ट्रीय मुक्‍त विश्‍वविद्यालय अधि‍नियम के उपबंधों के अनुसार, यह विश्‍वविद्यालय-

देश की अर्थव्‍यवस्‍था बनाने के लिए यथा-अपेक्षित रोजगार की जरूरतों से संबंधित डिग्री, डिप्‍लोमा तथा प्रमाणपत्र कार्यक्रम संचालित करेगा,

बड़ी संख्‍या में लोगों को (विशेषत: समाज के लाभवंचित वर्गों के लोगों) उच्‍चतर शिक्षा प्रदान करने हेतु अवसर प्रदान करेगा,

ज्ञान प्राप्ति तथा ज्ञान के स्तर के उन्‍नयन को बढ़ावा देगा और नवाचार तथा शोध प्रशिक्षण, पुनर्प्रशिक्षण हेतु अवसर प्रदान करेगा,

विश्‍ववि़द्यालय स्‍तरीय शिक्षा की एक नवाचारी प्रणाली को बढ़ावा देगा जो पद्धतियों एवं अध्‍ययन गति, पाठयक्रमों का सम्‍मलित, नामाकंन हेतु पात्रता, प्रवेश आयु, परीक्षा संचालन और उत्‍कृष्‍टता को प्रोत्‍साहित करने हेतु कार्यक्रमों के संचालन के मामले में उदार एवं मुक्‍त हो,

संस्‍थाओं और मुक्‍त तथा दूरस्‍थ शिक्षा प्रणाली द्वारा प्रदत कार्यक्रमों का समन्‍वयन, मूल्‍यांकन तथा प्रत्‍यायित करना और साथ ही संस्‍थाओं को ऐसे उपायों के जरिए, जो उचित समझा जाए, घटिया पाठयक्रम तथा कार्यक्रम संचालित करने से रोकना।

Teacher Eligibility Test :इग्नू के विभिन्न विद्यापीठ

शिक्षा विद्यापीठ
कृषि विद्यापीठ
विधि विद्यापीठ
विज्ञान विद्यापीठ
प्रबन्धन विज्ञान विद्यापीठ
कंप्यूटर एवं सूचना विज्ञान विद्यापीठ
सतत शिक्षा विद्यापीठ

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय मूल्यांकन की द्वि-स्तरीय प्रणाली का प्रयोग करता हैः

अध्यापक जाँच/कंप्यूटर जाँच सत्रीय कार्यों, प्रयोगात्मक सत्रीय कार्यों, परियोजना कार्य द्वारा सतत मूल्यांकन |
सत्रांत परीक्षा (आमतौर पर साल में दो बार (जून और दिसम्बर))

सत्रीय कार्य और सत्रांत परीक्षाएँ अनिवार्य हैं। मूल्यांकन के उद्देश्य से दोनों प्रकार के आकलनों के लिए आनुपातिक अंक निर्धारित किए गए हैं। प्रथम प्रयास में अधिकतम अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय के वार्षिक दीक्षांत समारोह में स्वर्ण पदक प्रदान किए जाते हैं।

दूर शिक्षा के क्षेत्र में यह विश्वविद्यालय अग्रणी है और कॉमनवेल्थ ऑफ लर्निंग द्वारा दूर शिक्षा में सर्वोत्तम केंद्र का सम्मान प्राप्त कर चुका है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अपने देश के अतिरिक्त राष्ट्रीय सीमाओं को लाँघते हुए विकासशील देशों (खाडी देशो, अफ्रिका तथा दक्षिण पूर्वी एशिया आदि) में भी इस क्षेत्र में सहायता प्रदान कर रहा है। अत्याधुनिक दूर शिक्षा प्रणाली ने समाज के दूर-दराज के क्षेत्रों में रहने वाले वर्गों तक पहुँचने में इसकी सहायता की है।

Teacher Eligibility Test :पाठ्यक्रम

विश्वविद्यालय का शुभारंभ वर्ष 1987 में दो शैक्षिक कार्यक्रमों - प्रबंधन में डिप्लोमा और दूर शिक्षा में डिप्लोमा से हुआ और कुल 4,528 विद्यार्थियों से हुआ। इस समय वि‍श्‍ववि‍द्यालय में 338 अध्‍ययन‑कार्यक्रम है जो 3,500 पाठ्यक्रम के माध्‍यम से उपलब्‍ध हैं। वि‍द्यार्थि‍यों की कुल संख्‍या 30 लाख से अधि‍क है। अध्‍ययन‑कार्यक्रम वि‍श्‍ववि‍द्यालय में इन स्‍तरों पर वि‍भि‍न्‍न कार्यक्रम उपलब्‍ध हैं:‑ डॉक्‍टरेट, स्नातकोत्तर, और स्‍नातक डि‍ग्री कार्यक्रम, स्‍नातकोत्‍तर और पूर्वस्‍नातक डि‍प्‍लोमा, सर्टि‍फि‍केट पाठ्यक्रम, शि‍क्षा पारंपरि‍क रूप के साथ‑साथ उपभोक्‍ता संरक्षण, आपदा प्रबंधन, पर्यावरण, मानवाधि‍कार, पर्यटन, महि‍ला अधि‍कारि‍ता एवं बाल वि‍कास, सहभागी वन प्रबंधन, सहभागी योजना, पुनर्वास एवं बहाली, अध्‍यापन शि‍क्षा, खाद्य एवं पोषण, चि‍कि‍त्‍सकीय एवं स्‍वास्‍थ्‍य शि‍क्षा, एचआईवी/एड्स, प्रयोगशाला तकनीक और ऑनलाइन शि‍क्षण जैसे उभरते हुए अंतर‑वि‍षयक क्षेत्रों में भी प्रदान की जाती है।

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय विश्वविद्यालय के भीतर विभिन्न प्रशासनिक गतिविधियों का ख्याल रखने के लिए ग्यारह डिवीजन हैं।

शोध इकाई

शोध इकाई की स्थापना इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय में 6 अक्टूबर 2008 की अधिसूचना के अनुसार की गई थी। इससे पहले, अनुसंधान से संबंधित गतिविधियों को अकादमिक समन्वय प्रभाग द्वारा देखा गया था। निम्नलिखित उद्देश्यों के साथ इकाई स्थापित की गई है:

अनुसंधान गतिविधियों के संचालन के लिए नीतियों और ढांचे के विकास के लिए अनुसंधान परिषद और अनुसंधान परिषद की स्थायी समिति की बैठकों का संचालन करना।
सभी पूर्णकालिक और अंशकालिक एमफिल और पीएचडी उम्मीदवारों को पंजीकृत और निगरानी करने के लिए।
अनुसंधान और शिक्षण के संचालन के लिए इग्नू-डीईसी आरटीए योजना के तहत अनुसंधान शिक्षण सहायकों को शामिल करना।
पूर्णकालिक और अंशकालिक शोध उम्मीदवारों के लिए शोध पद्धति पर कार्यशालाओं / सेमिनार आयोजित करने के लिए।
विश्वविद्यालय में व्यवस्थित / अनुशासन आधारित अनुसंधान की सुविधा के लिए।

पढ़ाई के स्कूल

अंतःविषय कार्यक्रमों को विकसित करने की दृष्टि से, विश्वविद्यालय अपने स्कूलों के अध्ययन के माध्यम से संचालित होता है। प्रत्येक स्कूल का नेतृत्व एक निदेशक करता है जो समन्वय में अपने शैक्षणिक कार्यक्रमों और पाठ्यक्रमों को व्यवस्थित करने की व्यवस्था करता है स्कूल के संकाय और कर्मचारियों, और विश्वविद्यालय के विभिन्न शैक्षणिक, प्रशासनिक और सेवा प्रभागों के साथ। विभिन्न स्तरों पर पाठ्यक्रमों की एक विस्तृत पसंद प्रदान करने पर जोर दिया गया है।

वर्तमान में अध्ययन के निम्नलिखित स्कूल संचालन में हैं:

मानविकी का स्कूल
सामाजिक विज्ञान के स्कूल
विज्ञान के स्कूल
शिक्षा का स्कूल
सतत शिक्षा की पाठशाला
इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी के स्कूल
स्कूल ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज
स्वास्थ्य विज्ञान के स्कूल
कंप्यूटर और सूचना विज्ञान के स्कूल
कृषि का स्कूल
कानून का स्कूल
स्कूल ऑफ जर्नलिज्म एंड न्यू मीडिया स्टडीज
स्कूल ऑफ जेंडर एंड डेवलपमेंट स्टडीज
पर्यटन और आतिथ्य सेवा प्रबंधन के स्कूल
अंतःविषय और ट्रांस-अनुशासनात्मक अध्ययन के स्कूल
स्कूल ऑफ सोशल वर्क
स्कूल ऑफ वोकेशनल एजुकेशन एंड ट्रेनिंग
स्कूल ऑफ एक्सटेंशन एंड डेवलपमेंट स्टडीज
विदेशी भाषाओं का स्कूल
अनुवाद अध्ययन और प्रशिक्षण के स्कूल
प्रदर्शन और दृश्य कला के स्कूल

Teacher Eligibility Test : राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय शिक्षा संस्थान (N.I.O.O.S.)

राष्ट्रीय मुक्त शिक्षा संस्थान पूर्व में राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता था। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा 1979 में मुक्त शिक्षा कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी। आगे चलकर इस कार्यक्रम ने एक स्वतंत्र शिक्षा प्रणाली का रूप धारण कर लिया।

राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (NIOS, NOS या राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय), भारत के मुक्त विद्यालयों की शिक्षा-परिषद है। यह एक स्वायत्त संगठन है। इसकी स्थापना भारत. सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा 1989 के नवम्बर में हुई थी। इसका उद्देश्य देश के सुदूरवर्ती क्षेत्रों के विद्यार्थियों को सस्ती शिक्षा सुलभ कराना है। केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा परिषद (सीबीएसई) और उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद आदि की भांति राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान भी माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्तर पर परीक्षा संचालित करता है। माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर पर लगभग 15 लाख छात्रों के वर्तमान नामांकन के साथ यह दुनिया में सबसे बड़ी खुली स्कूली शिक्षा प्रणाली है जो भारत में मौजूद है।

संगठन की ओर से स्कूल स्तर की शिक्षा के अलावा वोकेशनल कोर्स भी कराए जाते हैं। इसके अंतर्गत आप अपनी जरूरत के अनुसार कोई भी विषय चुन सकते हैं। इसके साथ एक भाषा संबंधी विषय भी चुनना अनिवार्य होता है। प्रवेश लेने वालों के लिए अधिकतम आयु सीमा नहीं होती है।

पाठ्यक्रम

ओपन बेसिक एजुकेशन
सेकेंडरी सर्टिफिकेट कोर्स
सीनियर सेकेंडरी सर्टिफिकेट कोर्स
वोकेशनल एजुकेशन

योग्यता

सेकेंडरी कोर्स में प्रवेश के लिए आठवीं पास होना जरूरी है। सीनियर सेकेंडरी सर्टिफिकेट कोर्स करने के लिए किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से दसवीं पास अनिवार्य है। सेकेंडरी तथा सीनियर सेकेंडरी सर्टिफिकेट के माध्यम से किसी भी वोकेशनल कोर्स में एडमिशन लिया जा सकता है।

सभी पाठ्यक्रम मान्यता प्राप्त हैं,लोगों को सामान्यत: यह शंका रहती है कि ओपन स्कूल से की जाने वाली पढाई की वैल्यू रेग्युलर पढाई की तरह नहीं होती है। यह धारणा बिल्कुल गलत है। लगभग 75 प्रतिशत विश्वविद्यालयों ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग के सीनियर सेकेंडरी कोर्स को अपने यहां प्रवेश के लिए मान्यता दे रखी है।

Teacher Eligibility Test : राज्यों में ओपन स्कूल

एनआईओएस के रीजनल सेंटर हैदराबाद, पुणे, कोलकाता (भुवनेश्वर), गुवाहाटी, चंडीगढ, दिल्ली, इलाहाबाद (देहरादून), पटना, जयपुर, कोच्चि तथा भोपाल में स्थित हैं। इसके अलावा हरियाणा, मध्यप्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु, वेस्ट बंगाल, कर्नाटक, केरल व जम्मू और कश्मीर में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूल के साथ मिलकर राज्य स्तरीय ओपन स्कूल स्थापित किए गए हैं। राजस्थान और आंध्रप्रदेश के अपने ओपन स्कूल हैं।
शिक्षा एवं शिक्षा सामग्री

संस्थान में मॉडर्न कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी के माध्यम से शिक्षा प्रदान की जाती है। छात्रों को सेल्फ लर्निंग मैटीरियल दिया जाता है, जिसमें सहायता के लिए हर सेंटर पर कॉन्टैक्ट क्लासेज होती हैं। यहां ऑडियो और विडियो प्रोग्राम्स के माध्यम से भी समय-समय पर छात्रों को सहायता दी जाती है।

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