बाल विकास और शिक्षाशास्त्र : राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005

राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा

 (2005)

यह विद्यालय शिक्षा का अब तक का नवीनतम राष्ट्रीय दस्तावेज है। इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर के शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों, विषय विशेषज्ञ तथा अध्यापकों ने मिलकर तैयार किया है। मानव विकास संसाधन मंत्रालय इसका नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है की पहल पर प्रोफेसर यशपाल की अध्यक्षता में देश के चुने हुए  विद्वानों ने शिक्षा को नई राष्ट्रीय चुनौती के रूप में देखा।

मार्गदर्शी सिद्धांत

  1. ज्ञान को स्कूल के  बाहरी जीवन से जोड़ा जाए।
  2. पढ़ाई को रटने की प्रणाली से मुक्त किया जाए।
  3. पाठ्यचर्या पाठ्यपुस्तक केंद्रित न रह जाए।
  4. कक्षा कक्ष को गतिविधियों से जोड़ा जाए।
  5. राष्ट्रीय मूल्यों के प्रति आस्थावान विद्यार्थी तैयार किए जाएं।
प्रमुख सुझाव

  1. शिक्षण सूत्रों जैसे ज्ञात से अज्ञात की ओर मूर्त से अमूर्त की ओर आदि का अधिकतम प्रयोग हो।
  2. सूचना को ज्ञान मानने से बचा जाए।
  3. विशाल पाठ्यक्रम व मोटी किताबें शिक्षा प्रणाली की असफलता का प्रतीक है, इन्हें जल्द से जल्द परिवर्तित किया जाए।
  4. मूल्यों को उपदेश देकर नहीं वातावरण देकर स्थापित किया जाए।
  5. बच्चों को स्कूल से बाहर के जीवन में तनाव मुक्त वातावरण प्रदान करना चाहिए।
  6. सह शैक्षिक गतिविधियों में बच्चों के अभिभावकों को भी जोड़ा जाए।
  7. वे पाठ्यपुस्तक महत्वपूर्ण होती हैं जो अंत:क्रिया का मौका दें, ऐसी पुस्तकों को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए।
  8. सजा वह पुरस्कार की भावना को सीमित रूप में प्रयोग करना चाहिए।
  9. शिक्षक प्रशिक्षण व विद्यार्थियों के मूल्यांकन को सतत प्रक्रिया के रूप में अपनाया जाए।
  10. कल्पना व मौखिक लेखन के अधिकाधिक अवसर प्रदान करावे।
Teacher Eligibility Test : राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2009

  1. प्रशिक्षुओं के पाठ्यक्रम में बच्चों के मनोवैज्ञानिक विकास के आकलन से संबंधित प्रशिक्षण सामग्री को समाहित करने की आवश्यकता है।
  2. प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में भाषा, गणित, सामाजिक विषय एवं विज्ञान विषयों का पाठ्यक्रम भी शामिल किया जाए।
  3. शिक्षक प्रशिक्षण के दौरान मूल्यों के विकास पर जोर दिया जाए। मूल्यों के विकास में प्रयोगात्मक और क्रियात्मक तकनीकी को समाहित करने की आवश्यकता है।
  4. 10+2 स्तर के बाद 4 या 5 वर्ष का प्रशिक्षण कोर्स होना चाहिए।
  5. प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षुओं को अनौपचारिक, प्रौढ़ शिक्षा विषयक प्रशिक्षण तकनीकी पर प्रशिक्षित किया जाए।
  6. प्रशिक्षण के दौरान इंटर्नशिप से संबंधित क्रियाकलापों को प्रायोगिक रूप से किए जाने की आवश्यकता है।
  7. शिक्षकों के लिए “पूर्व बाल्यावस्था शिक्षण की तकनीकी” पर प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाए।
  8. शिक्षक शिक्षा हेतु राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2009 एक नवीनतम दस्तावेज है। इसका मुख्य उद्देश्य योग्य, पेशेवर और मानवीय मूल्यों से युक्त शिक्षकों को तैयार करना है। इस दस्तावेज में शिक्षक शिक्षा हेतु प्रमुख सुझाव निम्नलिखित हैं -
  9. प्रशिक्षण के दौरान प्रत्येक क्षेत्र में जैसे प्रश्न पत्र निर्माण, पाठ्यपुस्तक विश्लेषण, मूल्यांकन प्रक्रिया आदि के संदर्भ में क्रियात्मक या प्रायोगिक कार्य पर विशेष जोर देना चाहिए।

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