विद्यालय में शिक्षण तथा अधिगम

विद्यालय में शिक्षण तथा अधिगम 

Child Development And Pedagogy : Teaching And Learning In School

विद्यालय  वह स्थान है जहां बालकों को उद्देश्य के साथ अधिगम कराया जाता है और नियंत्रित वातावरण में शिक्षा दी जाती है। विद्यालय को मुख्य रूप से इस प्रकार का स्थान नहीं समझना चाहिए जहां किसी निश्चित ज्ञान को सीखा जाता है बल्कि ऐसा स्थान जहां बालकों को क्रियाओं के उन निश्चित रूप में प्रशिक्षित किया जाता है जो इस विशाल संसार में सबसे महान और सबसे अधिक महत्व वाली है।

निम्नांकित बिंदुओं के माध्यम से हम समझ सकते हैं कि विद्यालयों का समाज में स्थान कैसा है -
  • बच्चों की शिक्षा का दायित्व निभाना।
  • सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करना।
  • विशिष्ट वातावरण का निर्माण करना।
  • घर को संसार से जोड़ने की  कड़ी।
  • बालक के व्यक्तित्व का सर्वांगीण तथा संतुलित विकास करना।
  • बहुमुखी सांस्कृतिक चेतना का विकास करना।
  • समाज की निरंतरता को बनाए रखना।
  • शिक्षित नागरिकों का निर्माण करना।

विद्यालय में बालकों के व्यवहार में इस प्रकार परिमार्जन किया जाता है कि वे समाज संबंध व्यवहार सीख सकें। विद्यालयों में दी जाने वाली शिक्षा  के प्रत्येक विषय में यह चार तत्व बीज घटक महत्वपूर्ण रूप से कार्य करते हैं, जो निम्नांकित हैं -
  1. ज्ञान 
  2. कौशल
  3. शलाघा (आत्मप्रशंसा )
  4. अवबोध

इस प्रकार विद्यालय में अधिगम शिक्षण की प्रक्रिया द्वारा संपन्न होता है। शिक्षण शिक्षक द्वारा होता है और अधिगम छात्र द्वारा। दिए जाने वाले अनुभव पाठ्यक्रम द्वारा प्रदान किए जाते हैं।

Child Development And Pedagogy : विद्यालय में शिक्षण

विद्यालयों में औपचारिक ढंग से अनौपचारिक व्यवहार तथा कौशलों को सिखाया जाता है जिनका उपयोग व्यक्ति जीवन में औपचारिक तथा अनौपचारिक दोनों रूपों में करता है। सांस्कृतिक विरासत प्रदान करने में विद्यालय की महत्वपूर्ण भूमिका है। विद्यालय परिवार तथा समाज दोनों को जोड़ने की पहल करता है और यह अत्यंत सार्थक होती है। शिक्षित नागरिकों का निर्माण करने में विद्यालय का स्थान पहला है। विद्यालय में शिक्षण भी होता है और अधिगम भी। हम कह सकते हैं कि विद्यालय में शिक्षण तथा अधिगम मिलकर छात्रों में निम्न   गुण  का विकास करते हैं - 
  • सामान्य विचार की व्याख्या शिक्षण द्वारा संपन्न होती है और अधिगम द्वारा उसका पुनर प्रयोग किया जाता है।
  • बालक के ज्ञान के भंडार में वृद्धि होती है।
  • मान्यताओं का विकास करने में शिक्षण तथा अधिगम सहायक होते हैं।
  • शैक्षिक उद्देश्य - विश्लेषण, छात्र ,व्यवहार आदि शैक्षिक क्रिया का नियमन करते हैं।
  • शिक्षण तथा अधिगम छात्रों के व्यवहार का अनुकूलन करती है।

Child Development And Pedagogy : बालक को समझिए

बालक की स्थिति इस प्रकार विद्यालय में स्पष्ट की गई है -
  • बालक विकासशील प्राणी है।
  • बालक एक पृथक इकाई है। शिक्षक द्वारा इसकी क्रियाओं को अलग-अलग दृष्टिकोण से  देखना और समझना चाहिए।
  • बालक अपने विकास के तत्व उसी वातावरण से ग्रहण करता है।
  • मनुष्य में सीखने का गुण सबसे अधिक प्रबल होता है।

बालक में विकास के लिए निम्न प्रवृत्तियों का होना आवश्यक है -
  • उत्सुकता
  • उपार्जन
  • द्वंद की प्रवृत्ति
  • रचनात्मकता
  • आत्म प्रदर्शन
  • विनय
  • अनुवृत्ति  अभ्यास
  • स्पर्धा
  • निर्देश
  • सहानुभूति

Child Development And Pedagogy : विद्यालय का शिक्षा में योगदान

कक्षा शिक्षण विद्यालय जीवन का अभिन्न अंग है। कक्षा शिक्षण विद्यालय के छात्रों  के निम्न स्वरूपों पर ध्यान देते हैं। इन को दो भागों में बांटा जा सकता है -

Teaching And Learning In School : औपचारिक परिणाम

  • चरित्र निर्माण और आध्यात्मिकता का प्रशिक्षण।
  • सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण तथा हस्तांतरण।
  • निर्णय शक्ति का विकास।
  • नेतृत्व गुणों का विकास।
  • जीविकोपार्जन की क्षमता का विकास।
  • संतुलित मस्तिष्क के विकास द्वारा साध्य प्राप्त करना।

Teaching And Learning In School : अनौपचारिक परिणाम

  • समाज सेवा का प्रशिक्षण।
  • सक्रिय वातावरण द्वारा रचनात्मकता का विकास।
  • खेलकूद आदि द्वारा शारीरिक विकास।
  • पाठ्य सहगामी क्रियाओं द्वारा अनुशासन का विकास।

Child Development And Pedagogy : विद्यालय शिक्षण अधिगम का सशक्त साधन बने इसके लिए निम्नांकित उपाय बताए गए हैं -
  • बालक के परिवार से सहयोग तथा संपर्क बनाए रखना।
  • अभिभावक दिवस का आयोजन करना।
  • समाज सेवा, सामुदायिक संपर्क, सामुदायिक जीवन से संबंधों द्वारा विद्यालयों का लाभ उठाना।
  •  विद्यालय वातावरण में अधिगम के परिणाम

विद्यालय वातावरण में अधिगम के परिणाम इस प्रकार दिखाई देते हैं -
  • यह नवीन अधिगम पर बल देते हैं।
  • शिक्षा को त्रिमुखी प्रक्रिया के रूप में स्वीकारते हैं।
  • शिक्षा की प्रक्रिया शिक्षण तथा अधिगम के रूप में संपन्न होती है।
  • बालकों में छिपे गुण विकसित होते हैं।
  • नवीन अवधारणाओं का विकास होता है।
  • सार्थक तथा उद्देश्यपरक अधिगम संपन्न होता है।

Child Development And Pedagogy : विद्यालय अधिगम  के तत्व

विद्यालय अधिगम को प्रभावशाली बनाने के लिए निम्न तत्व आवश्यक है -
  • उद्देश्य निर्धारण
  • सीखने की दशाओं की व्यवस्था
  • प्रेरणा
  • प्रोत्साहन
  • प्रगति का ज्ञान
  • दृश्य श्रव्य सामग्री का उपयोग
  • कक्षा गत घटक
  • विश्राम
  • वातावरण निर्माण
  • दुश्चिंता
  • उत्तम आदतों का निर्माण
  • शिक्षा अधिगम की धारणा

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