कक्षा कक्ष में सामाजिक अधिगम का प्रयोग
Child Development And Pedagogy : Social Learning Approach In The Classroom
Child Development And Pedagogy : शिक्षकों का तर्क है कि प्रयोगशाला के वातावरण में पशुओं पर प्रयोग करके प्रतिपादित किए जाने वाले सीखने के सिद्धांतों का कक्षा के वातावरण में बालकों के लिए अति अल्प महत्व है। शिक्षकों के विचार से सहमत होकर J. B. Rotter ने 1945 में अपनी पुस्तक “सोशल लर्निंग एंड क्लिनिकल साइकोलॉजी” में सामाजिक अधिगम का सिद्धांत प्रतिपादित किया।
Child Development And Pedagogy : सामाजिक अधिगम का अर्थ
सामाजिक मनोविज्ञान का आधारभूत तथ्य है कि व्यक्ति एक दूसरे के संपर्क में आना चाहते हैं और एक दूसरे से दूर भी रहना चाहते हैं। आपस में संपर्क स्थापित करने की प्रकृति सार्वभौमिक है संपर्क द्वारा ही व्यक्ति की आवश्यकताओं की पूर्ति होती हैं। उदाहरण के लिए शिशु, भोजन, सुरक्षा, आराम आदि शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए दूसरों से संपर्क करना चाहता है और यह प्रक्रिया आजीवन चलती रहती है। दूसरों के संपर्क में आकर हम अनेक नए अनुभव प्राप्त करते हैं और अनेक नई बातें सीखते हैं जिसके फलस्वरूप हमारे व्यवहार में चेतन अथवा अचेतन रूप में परिवर्तन होता है। इस प्रकार अधिगम एक सामाजिक प्रक्रिया है।
Child Development And Pedagogy : कक्षा में सामाजिक अधिगम की प्रक्रिया
कक्षा में सामाजिक अधिगम की प्रक्रिया को निम्न प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है। कक्षा में बालक समूह में होते हैं और यह विभिन्न प्रकार के होते हैं। कुछ बालक शिक्षण कार्य में सहयोग देते हैं, उसमें रुचि लेते हैं शिक्षक की बातों को ध्यान से सुनते हैं और उसके प्रति भक्ति रखते हैं। इसके विपरीत कुछ बालक शिक्षण कार्य में सहयोग नहीं देते हैं, उसमें रुचि नहीं लेते हैं, शिक्षक की बातों को ध्यान से नहीं सुनते हैं और उनके प्रति भक्ति भी नहीं रखते हैं। समूह में होने के कारण सभी बालक शिक्षक और उसके शिक्षण से कुछ ना कुछ मात्रा में प्रभावित होते हैं साथ ही उनमें अंतः क्रिया भी होती है। इस अंतर के कारण वे एक दूसरे को अपने व्यवहार से उद्दीप्त करते हैं और होते हैं एवं इस प्रकार एक दूसरे के व्यवहार को प्रबल बनाते हैं ।
कक्षा की सामाजिक स्थिति में छात्रों की अंतः क्रिया के फलस्वरूप सामाजिक अधिगम की प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है जिसके कारण बालक कुछ ना कुछ सीखते रहते हैं और उनके सामाजिक व्यवहार में परिवर्तन होता रहता है। इस प्रकार सामाजिक अधिगम में अंतः क्रिया का केंद्रीय स्थान है।
Child Development And Pedagogy : कक्षा में सामाजिक अधिगम में सहायक कारक
कक्षा में सामाजिक अधिगम में सहायता देने वाले अनेक कारक हैं इनमें से कुछ महत्वपूर्ण का उल्लेख नीचे किया जा रहा है -
- ध्यान - सामाजिक अधिगम में सहायता देने वाला पहला कारक ध्यान है। शिक्षक बालकों के प्रति साधारण से अधिक ध्यान देकर उनके व्यवहार में परिवर्तन कर सकता है।इस बात को हम लोग काल्विन के अनुसंधान से समझ सकते हैं जिसमें उन्होंने अपनी छात्राओं से बालिकाओं की ओर विशेष ध्यान देने और प्रशंसा करने के लिए कहा जो नीले रंग के कपड़े पहने थे। पहले दिन केवल 25% बालिकाएं नीले कपड़े पहने हुए आए और 5 दिन तक ध्यान देने के बाद और प्रशंसा करने के पश्चात 37% बालिका नीले कपड़े में दिखाई देने लगे। जब ध्यान और प्रशंसा कार्य बंद कर दिए गए तो इनके प्रतिशत संख्या 27 रह गई।अतः कक्षा में सामाजिक अधिगम में ध्यान का महत्वपूर्ण स्थान है।
- अनुकरण - बालक दूसरे वालों को और व्यक्तियों के व्यवहार का अवलोकन और अनुकरण करके अनेक बातें सीखते हैं। इसका सर्वोत्तम उदाहरण है भाषा को सीखना। बालक अनुकरण द्वारा अधिगम में वास्तविक मॉडलों और सांकेतिक मॉडलों का प्रयोग करते हैं। वास्तविक मॉडल में व्यक्ति आते हैं और सांकेतिक मॉडल में कहानी, चित्र पुस्तक, फिल्म, सिनेमा, रेडियो और टेलीविजन आदि शामिल हैं।
बालकों के अनुकरण आत्मक बिहार के संबंध में वाइट ने चार मुख्य बातें बताई हैं-
- पहला - बालक अपने उन साथियों का अधिक अनुकरण करते हैं जो बार-बार उनके सामने आते हैं।
- दूसरा - बालक अपने साथियों के बजाय वयस्कों का अधिक अनुकरण करते हैं।
- तीसरा - बालक बालकों का और बालिकाएं बालिकाओं का अधिक अनुकरण करती हैं।
- चौथा - निम्न मानसिक योग्यता के बालक श्रेष्ठ मानसिक योग्यता के बालकों का अधिक अनुकरण करते हैं।
- एकरूपता - एकरूपता सामाजिक अधिगम में तीन प्रकार की सहायता कर सकती है
- निरीक्षणकरता अर्थात बालकों को नए प्रकार का व्यवहार करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।
- बालकों के उस व्यवहार को प्रबल बनाया जा सकता है जो उनमें विद्यमान है।
- बालकों में पाए जाने वाले व्यवहार को रोका जा सकता है।
आता ही स्पष्ट है कि सामाजिक अधिगम में एकरूपता बहुत सहायक हो सकती है। इसका प्रयोग करके बालकों के कार्यों, विचारों, अभिवृत्ति, व्यवहार आदि में वांछनीय परिवर्तन किए जा सकते हैं।
- मॉडल की विशेषताएं - मॉडल का अवलोकन करके सीखना सुविधाजनक प्रतीत होता है। मॉडल की सामाजिक विशेषताएं छात्र के अनुकरण आत्मक व्यवहार के सीखने को प्रभावित करती हैं। छात्र अपने जीवन में मॉडल के दो रूपों का प्रयोग करता है जीवंत मॉडल और संकेतिक मॉडल।वास्तविक मॉडल में व्यक्ति आते हैं और सांकेतिक मॉडल में कहानी, चित्र, पुस्तक, फिल्म, सिनेमा, रेडियो और टेलीविजन आदि शामिल हैं।सामाजिक अधिगम के सिद्धांत को सभी शिक्षकों द्वारा स्वीकार किया जाता है। बालक कक्षा में केवल बैठे हुए देखते हुए और सुनते हुए बहुत सी बातें सीख लेते हैं। वह शिक्षक और अन्य छात्रों के व्यवहार का अवलोकन करके सीखते हैं।
- निरीक्षणकर्ता की विशेषताएं - निरीक्षणकर्ता का प्रयोग छात्र के लिए किया गया है क्योंकि वह मॉडल के व्यवहार का निरीक्षण करता है। कक्षा में अनेक छात्र होते हैं और सभी के गुणों या विशेषताओं में अंतर होता है। यह आवश्यक नहीं है कि सभी छात्र शिक्षक के व्यवहार का समान रूप से अनुकरण करके समान मात्रा में अधिगम करें या सीखें। अनुकरण आत्मक व्यवहार में कम या अधिक प्रभावित होने का कारण है छात्रों की विशेषताएं।
- प्रबलन - कुछ मनोवैज्ञानिकों द्वारा इस शब्द का प्रयोग पुरस्कार के स्थान पर किया जाता है। बिग एवं हंट ने अपनी पुस्तक “साइकोलॉजिकल फाउंडेशन ऑफ एजुकेशन” में प्रबलन के निम्नलिखित दो प्रकार बताए हैं -
- सकारात्मक प्रबलन - इनमें कोई उद्दीपक उपस्थित किया जाता है जिसके फलस्वरूप बालक के व्यवहार का पुष्टिकरण होता है। जैसे - शिक्षक की मुस्कान।
- नकारात्मक प्रबलन - इनमें किसी उद्दीपक को हटा लिया जाता है जिसके फलस्वरूप बालक के व्यवहार का पुष्टिकरण होता है। जैसे - शिक्षक की घुड़की या डांट।
Child Development And Pedagogy : बीएफ स्किनर चेतावनी दी है कि सकारात्मक प्रबलन को सुखद और नकारात्मक प्रबलन को दुखद नहीं समझना चाहिए। छात्रों के कार्यों की तत्कालिक प्रशंसा उनके कार्य करने की विधि को साधारण उत्तम बनाती है। हम कह सकते हैं कि कक्षा में सामाजिक अधिगम को सफल बनाने के लिए शिक्षक द्वारा प्रबलन का अधिक से अधिक प्रयोग किया जाना चाहिए।
अंत में हम यह कह सकते हैं कि कक्षा में सामाजिक अधिगम के प्रयोग से हम उम्र में यह आशा उत्पन्न होती है कि अधिकांश व्यक्ति अपने व्यवहार संबंधी प्रतिमान या मॉडल के व्यवहार द्वारा प्रदान किए जाने वाले उद्दीपन और प्रबलन के विभिन्न प्रतिमान के फलस्वरुप अर्जित करते हैं।
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें
Please do not comment any spam link in comment box.