बालक के विकास में परिवार का योगदान
Child Development And Pedagogy : Family's Contribution to Child Development
बालक के विकास में परिवार का योगदान
Child Development And Pedagogy : Family's Contribution to Child Development
Child Development And Pedagogy : परिवार बालक के विकास की प्रथम पाठशाला है। परिवार या घर समाज की न्यूनतम समूह इकाई है। परिवार में बालक उदारता,अनउदारता,निस्वार्थ और स्वार्थ,न्याय और अन्याय,सत्य व असत्य,परिश्रम और आलस्य में अंतर सीखता है। बालक के जीवन पर घर का प्रभाव इस प्रकार पड़ता है -
- बालक की प्रथम पाठशाला परिवार है।
- नैतिकता व सामाजिकता का प्रशिक्षण परिवार में मिलता है।
- समायोजन तथा अनुकूलन के गुण परिवार में विकसित होते हैं।
- बालक सामाजिक व्यवहार का अनुकरण करता है।
- बालक सामाजिक,नैतिक,सांस्कृतिक व आध्यात्मिक मूल्यों का विकास करता है।
- बालक में उत्तम आदतों एवं चरित्र के विकास में सहायता मिलती है।
- बालक में रुचि अभिरुचि तथा प्रवृत्तियों का विकास होता है।
- प्रेम की शिक्षा मिलती है।
- सहयोग,परोपकार,सहिष्णुता,कर्तव्य पालन के गुण विकसित होते हैं।
- घर बालक को समाज में व्यवहार करने की शिक्षा देता है।
"स्कूल" शब्द स्कोला से बना है जिसका अर्थ है -"अवकाश" ,यूनान में विद्यालयों में पहले खेलकूद पर बल दिया जाता था। कालांतर में यह विद्यालय यानी शिक्षा के केंद्र बन गए इस दृष्टि से विद्यालय बालक के विकास में निम्न प्रकार योगदान करता है -
- जीवन की जटिल परिस्थितियों का सामना करने योग्य बनाता है।
- सामाजिक-सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण और उसे हस्तांतरित करता है।
- बालकों को घर तथा संसार से जोड़ने का कार्य करते हैं।
- व्यक्तित्व का सामंजस्य पूर्ण विकास करता है।
- आदर्शों ,विचारधाराओं एवं शिक्षित नागरिकों का निर्माण करता है।
- मनोविज्ञान के अनुसार विद्यालय सूचना के बजाय बालक को अनुभव प्रदान करता है।
- बालकों का दृष्टिकोण विश्व के संदर्भ में विकसित करते हैं।
- व्यक्तित्व में संतुलन एवं विशेष वातावरण का सृजन करते हैं।
- विद्यालय सामुदायिक केंद्र के रूप में विकसित हो रहे हैं। यह लघु समाज हैं।
Child Development And Pedagogy : विद्यालय में शिक्षण व अधिगम
- विद्यालय शिक्षा में ज्ञान,कौशल,सलागा, अवबोध पर बल दिया जाता है।
- विद्यालय में अधिगम -शिक्षण की प्रक्रिया द्वारा संपन्न होता है।
- विद्यालय में दिए जाने वाले अनुभव पाठ्यक्रम द्वारा प्रदान किए जाते हैं।
- विद्यालयों में औपचारिक ढंग से अनौपचारिक व्यवहार तथा कौशलों को सिखाया जाता है।
- विद्यालय में शिक्षण भी होता है और अधिगम भी।
- विद्यालय में संज्ञानात्मक विकास विकसित होती है।
- निर्णय शक्ति,नेतृत्व के गुण उपार्जन की क्षमता - संतुलन का विकास होता है।
- अधिगम पर शिक्षा त्रिमुखी प्रक्रिया है ,जिसमें शिक्षक,बालक और पाठ्यक्रम या पाठशाला शामिल होती है।
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