बाल केंद्रित शिक्षा
Child Centered Education
Child Development And Pedagogy : बालक को समझिए
Child Development And Pedagogy : "बाल केंद्रित शिक्षा "में बालक की स्थिति इस प्रकार स्पष्ट की गई है -बालक विकासशील प्राणी है।
बालक एक पृथक इकाई है। शिक्षक और इसकी क्रियाओं को अलग-अलग दृष्टिकोण से देखना वह समझना चाहिए।
बालक अपने विकास के तत्व उसी वातावरण से ग्रहण करता है।
मनुष्य में सीखने का गुण सबसे अधिक प्रबल होता है।
उत्सुकता।
उपार्जन।
द्वंद की प्रवृत्ति।
रचनात्मकता।
आत्म प्रदर्शन।
विनय।
अनुवृत्ति अभ्यास।
स्पर्धा या प्रतियोगिता।
निर्देश।
सहानुभूति।
Child Development And Pedagogy : बाल केंद्रित शिक्षा में शिक्षकों का मार्गदर्शन
Child Development And Pedagogy :"बाल केंद्रित शिक्षा " में शिक्षकों के मार्गदर्शन को हम नियमों के तहत समझ सकते हैं जो कि नीचे दिए जा रहे हैं -पाठ्यक्रम बालक की आवश्यकता व क्षमता पर आधारित होना चाहिए।
बालक को करके सीखने पर बल दे।
बालक को खेल द्वारा शिक्षा पर बल दे।
शिक्षक को सलाहकार मार्गदर्शक व अनुकरण योग्य बनाना चाहिए।
ज्ञात से अज्ञात की ओर बढ़े।
बालकों को पर्याप्त स्वतंत्रता दें।
बालकों की जिज्ञासा को बढ़ाएं।
बालकों को आदर व सम्मान दें तथा निडर बनाएं।
बालकों को कहानी गीत और समूह गान सिखाएं ।
बालकों को पर्यटन पर ले जाएं।
बालकों को खेल-खेल में भाषा में व्याकरण का ज्ञान दें।
ग्लोब द्वारा भूगोल और इतिहास की शिक्षा कहानी द्वारा दें।
बालक को सिखाने में अभिनय का प्रयोग करें।
बच्चों के अधिगम क्रियाओं की प्रशंसा व सृजन को प्रोत्साहित करें।
Child Development And Pedagogy : बाल केंद्रित शिक्षा में पाठ्यक्रम
Child Development And Pedagogy :"बाल केंद्रित शिक्षा "में पाठ्यक्रम में निम्नांकित विशेषताएं होनी चाहिए -
पूर्व ज्ञान पर आधारित।
छात्रों की रुचि अनुसार।
लचीला।
जीवन प्रयोगों पर आधारित।
वातावरण के अनुसार।
राष्ट्रीय भावना का विकास करने वाला।
सामाजिक आवश्यकताओं को पूर्ण करने वाला।
बालक के मानसिक स्तर अनुसार।
व्यक्तिगत विविधताओं का ध्यान।
Child Development And Pedagogy : बाल केंद्रित शिक्षा
Child Development And Pedagogy :"बाल केंद्रित शिक्षा " शीर्षक के अंतर्गत हम विभिन्न बाल मनोवैज्ञानिकों द्वारा बाल केंद्रित शिक्षा का जो प्रकार और रूप बताया गया है उसके बारे में बात करेंगे। आइए देखते हैं विभिन्न विद्वानों द्वारा बताए गए उनके विचार एक संक्षिप्त रूप में -
रूसो - रूसो एक फ्रांसीसी बाल मनोवैज्ञानिक थे इन्होंने अपनी पुस्तक ईमेल में प्रथम बार बाल शिक्षा का आदर्श दिया। इसमें प्रकृति की ओर लौटने का नारा दिया। इनके अनुसार बालक को आवश्यकता अनुकूल शिक्षा पाने की स्वतंत्रता होनी चाहिए।
पेस्टोलॉजी - पेस्टोलॉजी ने स्वाभाविक विकास के सिद्धांत पर बल दिया है।
फ्रोबेल - फ्रोबेल ने बालक के चेतना तत्व को दैवी तत्व बताया है। इन्होंने आत्म प्रेरणा व स्वत; क्रिया को महत्व दिया है।
जॉन डीवी - जॉन डीवी ने प्रगतिशील शिक्षा की अवधारणा प्रस्तुत की। इन्होंने बालक को पर्याप्त अवसर व्यक्तिगत आकांक्षाओं की तृप्ति सुरुचि अनुकूल विकास को ज्यादा महत्व दिया। इनके अनुसार रुचि व प्रयास तत्व महत्वपूर्ण है। जॉन डीवी ने शिक्षक को समाज में ईश्वर की संज्ञा दी है।
मैडम मांटेसरी - मैडम मांटेसरी ने बालक को यथासंभव पूर्ण स्वतंत्रता देने पर बल दिया है।
किंडर गार्डन - किंडरगार्टन विधि में बालक को बगीचा में खेल के द्वारा शिक्षा प्रदान करने पर बल दिया गया है। इसे बगीचा शिक्षण विधि भी कहते हैं।
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