Teaching and Learning Process | Teaching and Learning | Shikshan Prakriya

शिक्षण: अर्थ, प्रक्रिया और विशेषताएँ
1. शिक्षण का अर्थ (Meaning of Teaching)
1.1. परिचय
1.2. शिक्षण की परिभाषा
1.3. शिक्षण का उद्देश्य
1.4. शिक्षण के तत्व
2. शिक्षण की प्रक्रिया (Process of Teaching)
2.1. प्रारंभिक योजना
2.2. पाठ योजना (Lesson Planning)
2.3. शिक्षण विधियाँ (Teaching Methods)
2.4. शिक्षण सहायक सामग्री (Teaching Aids)
2.5. शिक्षण का मूल्यांकन (Evaluation in Teaching)

3. शिक्षण की विशेषताएँ (Characteristics of Teaching)
3.1. शिक्षक और विद्यार्थी के बीच का संबंध
3.2. संवाद और संप्रेषण
3.3. विविधता और अनुकूलनशीलता
3.4. शिक्षण के नैतिक पहलू
3.5. प्रेरणा और प्रोत्साहन

1. शिक्षण का अर्थ (Meaning of Teaching)

1.1 परिचय
शिक्षण मानव जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह न केवल ज्ञान के हस्तांतरण का माध्यम है बल्कि यह व्यक्तित्व विकास, नैतिकता, और सामाजिकता का भी संवर्धन करता है।
1.2 शिक्षण की परिभाषा
शिक्षण एक योजना बद्ध क्रिया है जो शिक्षक और विद्यार्थी के बीच होती है। इसका उद्देश्य विद्यार्थियों को ज्ञान, कौशल, और मूल्यों की प्राप्ति में सहायता करना है।
शिक्षण एक सामाजिक और द्विध्रुवीय प्रक्रिया है जिसमें शिक्षक और छात्र दोनों शामिल होते हैं। यह क्रिया छात्रों में ज्ञान, कौशल, मूल्यों, और दृष्टिकोणों का संचार करती है। बी.ओ. स्मिथ के अनुसार, "शिक्षण अधिगम को प्रेरित करने वाली क्रियाओं की एक प्रणाली है"। एडम्स के अनुसार, "शिक्षण एक द्विध्रुवीय प्रक्रिया है, इसका एक ध्रुव शिक्षक है और दूसरा शिष्य है"

1.3 शिक्षण का उद्देश्य
1. ज्ञान का संवर्धन
2. कौशल विकास
3. नैतिक और सामाजिक मूल्यों का विकास
4. समग्र व्यक्तित्व विकास

1.4 शिक्षण के तत्व
1. शिक्षक: ज्ञान का स्रोत और मार्गदर्शक
2. विद्यार्थी: सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय भागीदार
3. पाठ्यक्रम: अध्ययन की योजना और सामग्री
4. शिक्षण विधि: ज्ञान हस्तांतरण के तरीके

2. शिक्षण की प्रक्रिया (Process of Teaching)

2.1 प्रारंभिक योजना
प्रारंभिक योजना में शिक्षक को शिक्षण की रूपरेखा और उद्देश्यों का निर्धारण करना होता है।

2.2 पाठ योजना (Lesson Planning)
पाठ योजना शिक्षण प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें शिक्षण के उद्देश्यों, शिक्षण विधियों, और मूल्यांकन तरीकों का निर्धारण किया जाता है।

2.3 शिक्षण विधियाँ (Teaching Methods)
शिक्षण विधियों के अंतर्गत विभिन्न तरीके आते हैं जैसे:
1. व्याख्यान पद्धति (Lecture Method)
2. संवाद पद्धति (Discussion Method)
3. प्रयोगात्मक पद्धति (Experimental Method)
4. परियोजना पद्धति (Project Method)
शिक्षण की विधियाँ
शिक्षण की कई विधियाँ होती हैं जो शिक्षक की प्राथमिकताओं और शिक्षण लक्ष्यों पर निर्भर करती हैं:

1. व्याख्यान विधि: यह विधि तब उपयोगी होती है जब किसी विषय को समझाना या जानकारी देना होता है।
2. प्रदर्शन विधि: इसमें शिक्षक किसी कौशल या प्रक्रिया को दिखाते हैं और छात्रों को अभ्यास करने के लिए प्रेरित करते हैं।
3. चर्चा विधि: इसमें शिक्षक और छात्र दोनों विषय पर चर्चा करते हैं, जिससे समझ और विश्लेषण को बढ़ावा मिलता है।
4. मल्टीमीडिया विधि: इसमें वीडियो, ऑडियो, और अन्य डिजिटल उपकरणों का उपयोग करके शिक्षण किया जाता है, जो जटिल अवधारणाओं को सरल बनाने में मदद करता है।


2.4 शिक्षण सहायक सामग्री (Teaching Aids)
शिक्षण सहायक सामग्री में शामिल होते हैं:
1. दृश्य सामग्री (Visual Aids) जैसे चार्ट, ग्राफ
2. श्रव्य सामग्री (Audio Aids) जैसे रिकॉर्डिंग, पॉडकास्ट
3. श्रव्य-दृश्य सामग्री (Audio-Visual Aids) जैसे वीडियो, प्रेजेंटेशन

2.5 शिक्षण का मूल्यांकन (Evaluation in Teaching)
मूल्यांकन प्रक्रिया का हिस्सा है और यह निर्धारित करता है कि शिक्षण के उद्देश्यों की पूर्ति हुई है या नहीं।

शिक्षण की प्रक्रिया
शिक्षण की प्रक्रिया को समझने के लिए इसे विभिन्न चरणों में बांटा जा सकता है:

1. निर्धारण: शिक्षक पाठ्यक्रम और छात्रों की जरूरतों के आधार पर शिक्षण उद्देश्यों का निर्धारण करते हैं।
2. योजना: शिक्षण की योजना बनाना जिसमें पाठ्यक्रम, शिक्षण सामग्री, और शिक्षण विधियाँ शामिल होती हैं।
3. कार्यान्वयन: योजना के अनुसार कक्षा में शिक्षण गतिविधियों को लागू करना।
4. मूल्यांकन: छात्रों की प्रगति और अधिगम के स्तर का मूल्यांकन करना।


3. शिक्षण की विशेषताएँ (Characteristics of Teaching)

3.1 शिक्षक और विद्यार्थी के बीच का संबंध
शिक्षण का एक महत्वपूर्ण पहलू है शिक्षक और विद्यार्थी के बीच का संबंध। यह संबंध शिक्षण प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाता है।

3.2 संवाद और संप्रेषण
संप्रेषण शिक्षण प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। एक प्रभावी शिक्षक वही होता है जो स्पष्ट और संप्रेषणीय भाषा में विद्यार्थियों को समझा सके।

3.3 विविधता और अनुकूलनशीलता
शिक्षण में विविधता और अनुकूलनशीलता का होना आवश्यक है। हर विद्यार्थी की सीखने की गति और शैली अलग होती है।

3.4 शिक्षण के नैतिक पहलू
शिक्षक को नैतिकता का पालन करना चाहिए। उन्हें निष्पक्ष और समान रूप से सभी विद्यार्थियों के साथ व्यवहार करना चाहिए।

3.5 प्रेरणा और प्रोत्साहन
शिक्षण का एक महत्वपूर्ण पहलू है विद्यार्थियों को प्रेरित और प्रोत्साहित करना। यह उनकी अधिगम की गति को बढ़ाता है।

शिक्षण की विशेषताएँ
शिक्षण की निम्नलिखित मुख्य विशेषताएँ होती हैं:

1. बालकेन्द्रित: आज का शिक्षण बाल केन्द्रित है, जहाँ बच्चों की रुचियों, क्षमताओं, और आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर शिक्षण किया जाता है।
2. आत्मविश्वास: अच्छा शिक्षण छात्रों में आत्मविश्वास बढ़ाता है। शिक्षक को छात्रों की योग्यताओं को समझते हुए उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए।
3. बाल मनोविज्ञान: शिक्षक को बाल मनोविज्ञान का ज्ञान होना चाहिए ताकि वह छात्रों की भावनाओं, इच्छाओं, और प्रवृत्तियों को समझ सकें और उनकी जरूरतों के अनुसार शिक्षण कर सकें।



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